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मल्लिकार्जुन खरगे का नाम पी एम चहरे के लिये आगे! ममता और केजरीवाल चाहते है?

I.N.D.I.A. PM Face: 19 दिसंबर को दिल्ली में हुई विपक्षी गठबंधन इंडिया की चौथी मीटिंग में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री फेस के लिए मल्लिकार्जुन खरगे का नाम बढ़ाकर सभी को चौंका दिया. साँथ ही दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ममता बनर्जी के प्रस्ताव का समर्थन किया. हालांकि, खुद खरगे ने इससे इनकार किया है लेकिन प्रधान मंत्री पद के लिए उनका नाम बढ़ाए जाने के कई मायने हैं. जिसपर कुछ इस तरह तर्क लगाया जा सकता है:-

प्रथम दलित पीएम बनने का मौका:-

जानकारी मुताबिक, अलायंस की बैठक में अरविंद केजरीवाल ने खरगे का नाम पीएम फेस के लिए प्रस्तावित किए जाने पर कहा कि देश में प्रथम दलित प्रधानमंत्री बनाने का यह मौका है, इसलिए यह प्रस्ताव का समर्थन करने योग्य है. विपक्ष के लिए दलित प्रधानमंत्री भी एक मुद्दा बन सकता है क्योंकि दलित राष्ट्रपति और एक दो राज्यों में दलित मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद अब दलित पीएम बनने का क़यास लगाये जा रहे है।

साउथ इंडिया को साधने में खरगे होंगे आगे:- 

मल्लिकार्जुन खरगे के पीएम फेस बनने से विपक्ष को दक्षिण भारत को साधने में आसानी होगी. दरअसल, दक्षिणी हिस्सों में बीजेपी कमजोर है. कांग्रेस ने इस साल दक्षिण के दो राज्यों में जीत हासिल की है. पहले कर्नाटक और फिर तेलंगाना. खरगे के पीएम फेस बनाने से विपक्ष के पास इस बात की ज़्यादा संभावना होगा कि वह दक्षिण में बीजेपी के खिलाफ मजबूती से ताल ठोंके.

बेदाग छवि का मिल सकता है सपोर्ट:-

विपक्ष के खरगे को पीएम फेस बनाकर उनकी छवि का सपोर्ट मिल सकता है. खरगे एक वरिष्ठ नेता के साँथ राजनीति में बेदाग चेहरा के हैं. यहीं नहीं, तमाम विपक्षी पार्टियों के बीच उन्हें सपोर्ट करते भी देखी जाती है.

हिंदी भाषा पर भी स्ट्रॉंग पकड़:-

मूल रूप से कर्नाटक से होने के बावजूद मल्लिकार्जुन खरगे की हिंदी पर अच्छी-खासी पकड़ है. वह अक्सर हिंदी में अपनी बात रखते या भाषण देते हुए देखे जाते हैं. इसलिए उत्तर भारत के मतदाताओं को भी खरगे लुभा पाएंगे, विपक्ष ऐसा मानकर चल सकता है.

एकता बनाये रखने में माहिर:-

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में मल्लिकार्जुन खरगे का सबको साथ लेकर चलने की कला के रूप में उभरकर सामने आई है. दरअसल, राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट, मध्य प्रदेश में दिग्विजय सिंह और कमलनाथ, कर्नाटक में डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया या फिर तेलंगाना में रेवंत रेड्डी, खरगे को सभी के बीच तालमेल बैठाने और उन्हें साथ रखने में भूमिका निभाते हुए देखा गया है.

गांधी परिवार के प्रति झुकाव, जल्द फैसला:-

मल्लिकार्जुन खरगे के बारे में माना जाता है कि वह अन्यों के मुक़ाबले फैसला जल्दी लेते हैं. वहीं, मल्लिकार्जुन खरगे को गांधी परिवार का वफादार भी कहा जाता है. विपक्षी गठबंधन कांग्रेस की प्रभावी भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता है. विपक्षी गठबंधन को ऐसे बेदाग़ छवि और लीडरशिप करने की क्षमता वाले नेता की बहुत जरूरत होगी जो जल्दी फैसला ले और सबको जिसकी बात समझ में आ जाएगा. ये खूबियां खरगे के पास हैं. 

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