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नेपोटिज्म से भी ज्यादा खतरनाक ग्रुपिज्म!

मुंबई | सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद बॉलीवुड में नेपोटिज्म को लेकर बहस छिड़ी हुई है लेकिन एक्टर अध्ययन सुमन का मानना है कि ग्रुपिज्म यानी खेमेबाजी इससे कहीं बड़ी समस्या है। अध्ययन ने एक इंटरव्यू में यह दावा किया है कि खेमेबाजी के चक्कर में उनके हाथ से कई फिल्में निकल गईं और जो मिलीं भी तो उनके बॉक्सऑफिस नंबर गलत दिखाते हुए उन्हें फ्लॉप करार दे दिया गया।

बॉलीवुड बबल के साथ इंटरव्यू में अध्ययन सुमन ने कहा, ”इंडस्ट्री में सालों से पावर डायनैमिक्स और गुटबंदी है। यह मेरे साथ भी हुआ है। मुझे 14 फिल्मों से निकाला गया। मेरी फिल्मों के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन को गलत तरीके से पेश किया गया। लोगों ने इस पर पहले ध्यान नहीं दिया। यह दुर्भाग्य की बात है कि इन सब चीजों के बारे में लोगों को अहसास कराने के लिए सुशांत सिंह राजपूत को सुसाइड जैसा कदम उठाना पड़ा।”

अध्ययन ने कहा कि बॉलीवुड में कैंप्स टैलेंटेड एक्टर्स को आगे बढ़ने नहीं देते हैं। उन्होंने कहा, ”लोग आंख बंद कर नेपोटिज्म के खिलाफ लड़ रहे हैं और बात कर रहे हैं। मैं कहना चाहूंगा कि नेपोटिज्म पर लड़ाई मत करिए बल्कि इंडस्ट्री में मौजूद गुटबंदी, कैम्स और उन प्रोडक्शन हाउस के खिलाफ लड़िए, जो प्रतिभासाली स्टार्स को अपनी जगह नहीं बनाने देते हैं।”

इससे पहले एक इंटरव्यू के दौरान अध्ययन सुमन ने कहा था कि स्टार किड होते हुए काम न मिलना काफी डिप्रेसिंग होता है। कहीं न कहीं केवल एक स्टार या एक्टर को ही ब्लेम नहीं करना चाहिए। ऑडियंस भी इसमें शामिल होती है। सच यह है कि ऑडियंस भी नेपोटिज्म फैलाने वाले लोगों का सपोर्ट करती है। तभी तो ये लोग बड़े बनते हैं और माफिया गैंग चलाने लगते हैं।

अध्ययन ने कहा था, मैं खुद इस गैंग का कहीं न कहीं हिस्सा रहा हूं। हालांकि, मैं उस व्यक्ति का नाम नहीं लेना चाहता। हां, यह जरूर बताना चाहता हूं कि वह मेरे से मिला, अपना पर्सनल नंबर भी दिया। लेकिन मेरे फोन का उसने आज तक जवाब नहीं दिया। तो समझिए कि ऐसा नहीं होता कि आप आउटसाइडर हैं, इसलिए आपका फोन नहीं उठाया जाता।

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