गांवों में रोजगार और आजीविका संवर्धन पर केन्द्रित गोधन न्याय योजना
रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने विशेष पहल की जा रही है। इसी कड़ी में राज्य सरकार की सुराजी गांव योजना, राजीव गांधी किसान न्याय योजना और गोधन न्याय योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देने में अहम भूमिका निभाएगी। हाल ही में राज्य शासन ने गोबर खरीदने का निर्णय लिया है इसको लेकर गांवों में खुशी और उत्साह का वातावरण है। गांव के चौपाल में अब पशु-पालक और ग्रामीण जनों में गोबर को लेकर खाशी चर्चा हो रही है।
खेती-किसानी में पहले से ही गोबर का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। किसान पहले ग्रामीण तकनीक से गोबर की खाद बड़ी मेहनत से तैयार करते थे। अच्छी विधि से बनायी गोबर खाद जिस खेत में डाली जाती थी। उस खेत की फसल का नजारा अलग ही होता था और फसल उत्पादन भी सबसे ज्यादा होता था। फसल उत्पादन से प्रेरित होकर दूसरे किसान भी अपने-अपने खेतों के लिए अच्छी से अच्छी खाद तैयार करते थे। समय के साथ ग्रामीण खाद का उपयोग कम हुआ रासायनिक खादों का उपयोग फसल उत्पादकता के लिए किया जाने लगा। रासायनिक खादों के प्रयोग से फसलों की उत्पादकता में वृद्धि हुई, परंतु खेती किसानी की लागत बढ़ी। लगातार खेतों में रासायनिक खादों के उपयोग से भूमि की नैसर्गिक उर्वरता का ह्रास हुआ, खाद्यान्नों की गुणवत्ता में भारी कमी आई। जिसका सीधा असर आम जन के स्वास्थ्य पर भी पड़ा है।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती के लिए सरकार बनते ही उन्होंने गांव, गरीब, किसान के लिए कई फैसले लिए जिसके समृद्ध छत्तीसगढ़ के निर्माण में दूरगामी असर होंगे। छत्तीसगढ़ की सरकार पूरी दृढ़ता से गांव के संसाधनों का दोहन एवं उपयोग करने के लिए नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी योजनाओं का सफल संचालन कर रही है। गांवों में बने गौठान अब आजीविका केन्द्रों के रूप में परिवर्तित होने लगे हैं। गांवों के नरूवा के विकास अब सरकार नियोजित एवं योजनाबद्ध कर रही है। अब निश्चित ही नरूवा विकास से गांवों में जल संसाधनों में भी वृद्धि होगी। सिंचाई सुविधा बढ़ेगी, जिसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा।
घुरूवा के लिए राज्य सरकार ने क्रांतिकारी कदम उठाया है। अब सरकार गोबर खरीदेगी। यह अपनी तरह का एक अनूठा कार्यक्रम है। छत्तीसगढ़ सरकार की इस योजना से गांव की अर्थव्यवस्था को तेज गति मिलेगी। पशुधन की ओर किसान फिर से लौटेंगे। गोबर से पशुपालकों को आमदनी होगी ही और सरकार अच्छी किस्म की गोबर की खाद बनायेगी, जिससे कृषि उत्पादकता बढेगी। पशुओं का प्रबंधन रोका-छेका कर किया जा रहा है। इससे फसलांे को नुकसान से बचाया जाएगा। पशओं को अब गांव के गौठान में रखा जाना सुनिश्चित किया जा रहा है। गौठानों में पशुओं की आवक से कम्पोस्ट और वर्मी खाद अधिक मात्रा में तैयार होगा।