रेबीज से भयानक मौत! इसके लक्षण व उपचार
रेबीज क्या है? What is Rabies?
रेबीज पशुओं की एक घातक वायरस जनित बीमारी है जो मुख्य रूप से संक्रमित पशुओं द्वारा मनुष्यों में भी हो जाती यह विषाणु संक्रमित पशुओं के लार में पाए जाते है और जब कोई संक्रमित पशु मनुष्य को काटता है तब यह विषाणु मनुष्य के शरीर में भी प्रवेश कर जाता है अतः या माना जाता है की पशुओं के कटने से ही यह वायरस इंसानों तक पहुंचता है। एक बार जब कोई व्यक्ति पर रेबीज के लक्षण दिखना शुरू हो जाए तो उस व्यक्ति की मौत लगभग तय ही माना जाता है।
मनुष्यों में रेबीज के क्या लक्षण दिखाई देते हैं? What are the symptoms of rabies in humans?
संक्रमित पशुओं के काटने के कुछ दिनों में लक्षण दिखने लगते है लेकिन कई मामलों में रोग के लक्षण प्रकट होने में कई सप्ताह से लेकर कई वर्षों तक लग जाते हैं। विषाणु (virus) के शरीर में पहुँचने के बाद वह धीरे धीरे नसों के माध्यम से मष्तिक तक पहुँच जाते हैं जिसके बाद निम्न तरह के लक्षण दिखाई पड़ते है-
बुखार, थकान, घाव में जलन, खुजली, झुनझुनी, दर्द या सुन्नता, खाँसी, गला खराब होना, मांसपेशियों में दर्द, उल्टी, दस्त, थकावट महसूस करना, सिरदर्द होना,बुखार आना, मांसपेशियों में जकड़न होना, व्याकुल होना, लार व आंसुओं का ज्यादा बनना, तेज रौशनी से तकलीफ होती है।
जबकि गंभीर स्थिति में लक्षण कुछ इस तरह से दिखाई देते हैं – बेचैनी, दौरे, मतिभ्रम, मांसपेशियों में मरोड़, तेज धड़कन, तेजी से सांस लेना, अत्यधिक लार आना, चेहरे का लकवा, पानी पीने का डर (हाइड्रोफोबिया)
भारत में रेबीज की स्थिति? Situations of rabies in India?
विश्व में रेबीज़ से होने वाली कुल मौतों में 36% मौतें भारत से संबंधित हैं। रेबीज़ से प्रत्येक वर्ष 19000-20000 मृत्यु हो जाती है। भारत में रिपोर्ट किये गए रेबीज़ के लगभग 35-60% मामले एवं मौतों में 15 वर्ष से कम उम्र के बच्चे शामिल हैं, क्योंकि बच्चों में काटने के निशान को अक्सर पहचाना नहीं जाता एवं रिपोर्ट नहीं किया जाता है।
भारत में मानव रेबीज़ के लगभग 97% मामलों के लिये कुत्ते ज़िम्मेदार हैं जिसके बाद बिल्लियाँ (2%), गीदड़, नेवले एवं अन्य (1%) हैं।
एक बार लक्षण दिखने पर रेबीज के लिए कोई ख़ास उपचार नहीं है। यदि आप रेबीज के संपर्क में आए हैं तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करें और उन्हें इस संबंध में पूरी जानकारी दें।घाव को साबुन और पानी से अच्छी तरह साफ करें। और अपने निकटतम अस्पताल में संपर्क करके प्राइमरी उपचार करवाएं।