रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आवाह्न पर फसलों को चराई से बचाने के लिए पूरे प्रदेश में शुरू हुए रोका-छेका अभियान से कोरबा जिले के ग्रामीण भी उत्साहित हैं। जिले के सभी ग्राम पंचायतों और गौठान गांवों में इस अभियान की शुरूआत हुई। स्थानीय विधायकों, जनप्रतिनिधियों के साथ-साथ शासकीय अधिकारी-कर्मचारियों ने भी इस अभियान की शुरूआत में अपनी भागीदारी सुनिश्चित की। कोरबा जिले की चिर्रा ग्राम पंचायत के गौठान परिसर में रिमझिम बारिश के बीच मुंह पर मास्क बांधे और सोशल डिस्टेंसिंग मेन्टेन करते हुए पचास से अधिक संख्या में ग्रामीणों और गौठान समिति के सदस्यों, स्व सहायता समूहों की महिलाओं ने पूरे उत्साह से इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। गौठान समिति के सदस्य ललिता राठिया ने उत्साह पूर्वक बताया कि सरकार कोई कार्यक्रम शुरू करती है तो लोग जागरूक होते हैं। अपने फायदे के लिए लोग उस कार्यक्रम को अपनाते हैं। रोका-छेका अभियान भी गांव वालों के फायदे का अभियान है। ललिता राठिया ने बताया कि अब गांव के जानवर खुले में नहीं छोड़े जायेंगे। खेतों और बाड़ियों में घुसकर फसलों और सब्जियों को नहीं खायेंगे। बाहर छुटे जानवरों को सीधे गौठान में छेका जायेगा और पचास रूपये जुर्माना वसूलकर ही छोड़ेंगे। ललिता राठिया ने बताया कि इससे धान, सब्जी का उत्पादन ज्यादा होगा और किसानों को ज्यादा फायदा होगा। जुर्माने की राशि से पशुओं और गौठानों को सक्षम बनाया जायेगा। गांव की माली हालत सुधरेगी। ललिता राठिया ने रोका-छेका अभियान के लिए मुख्यमंत्री बघेल का आभार व्यक्त किया।
ग्राम गौठान समिति की सदस्य कुंती राठिया ने कहा कि गौठान बनने से महिलाओं को अच्छा फायदा हुआ है। महिलाएं गौठान में केचुआ खाद बना रहीं है। एक लाख रूपये से अधिक की खाद अभी तक बेच दिये हैं। गौठान की बाड़ी में सब्जी लगा रहे हैं और उसे बेचकर भी फायदा कमा रहें हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री बघेल को धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा कि अब आजीविका ठीक से चल रही है। पहले काम नहीं मिल रहा था, अब 10 से ज्यादा महिलाओं को रोज का रोजगार मिल गया है। राठिया ने आशा जताई की गौठानों में अच्छे से काम करने पर एक साल में ही गांव की तस्वीर बदल सकती है।