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नगरीय प्रशासन विभाग ने निगम, मंडल, आयोग, कंपनियों और विभागों की खाली पड़ी जमीनों की जानकारी, कॉम्पलेक्स बना राजस्व बढ़ाएंगे

प्रदेश के सरकारी विभागों के साथ निगम, मंडल, आयोग औैर कंपनियों की खाली पड़ी जमीनों से राज्य का संसाधन तथा राजस्व बढ़ाने की नई कार्य योजना तैयार की गई है। ऐसी जमीनों पर भवन, कॉम्पलेक्स और अन्य उपयोगी चीजें बनाकर उसका रिडव्हलपमेंट किया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी चार अलग-अलग एजेंसियों को दी गई है। जबकि आवास एवं पर्यावरण विभाग को इस योजना का नोडल विभाग बनाया गया है।

तीन स्तर पर परीक्षण करने के बाद जमीन का आवंटन निजी या सरकारी एजेंसियों को किया जाएगा। दरअसल नगरीय प्रशासन विभाग ने प्रदेश के सभी विभागों, निगम, मंडल, आयोगों, कंपनी औैर बोर्ड के स्वामित्व की अनुपयोगी सरकारी जमीनों के व्यवस्थित विकास औैर सदुपयोग के लिए रिडव्हलपमेंट के लिए चिट्ठी भेजी है। इसके तहत ऐसी जमीनों, भवनों औैर परिसरों की जानकारी मांगी गई है जो विभागीय गतिविधियों के लिए उपयोगी नहीं है। विभागीय अफसरों का कहना है कि शहरी क्षेत्र की ऐसी जमीनों के विकास के लिए यह बेहद जरूरी है।

रिडव्हपमेंट के बाद रखरखाव भी जरूरी
शासकीय भवन, संरचना एवं परिसर के निर्माण के बाद शुरू के तीन साल तक शासन द्वारा कोई भी राशि खर्च नहीं की जाएगी। निर्माण में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी होने पर उसे दूर करने, मरम्मत करने की जिम्मेदारी निर्माण एजेंसी पर होगी। इसके लिए निर्माण एजेंसी से पांच साल तक के लिए परफार्मेंस गारंटी ली जाएगी।

जमीनों का उपयोग इसमें भी
रिडव्हलपमेंट योजना में आर्थिक रुप से कमजोर तथा निम्न आय वर्ग के लिए भूखंड, मकानों की उपलब्धता कराना जरूरी होगा। इसके तहत शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के लिए अधिनियमों, नियमों में संशोधन के बाद छूट प्रदान की जाएगी। कमजोर लाेगों को आवास के लिए एक रुपए में जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। पीपीपी के प्रकरणों में लाइसेंस के आधार पर रजिस्ट्री के माध्यम से टेंडर किया जाएगा।

तीन स्तर पर ये समितियां
इसके लिए तीन अलग-अलग समितियां गठित की गई हैं। जिसमें राज्य स्तरीय समन्वय समिति में आवास एवं पर्यावरण विभाग के प्रमुख सचिव या भारसाधक संयोजक सचिव होंगे तथा राजस्व, वित्त, पीडब्ल्यूडी, विधि एवं विधायी कार्य संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव के साथ ही कलेक्टर औैर विभागाध्यक्ष इसके सचिव होंगे। राज्य स्तरीय परियाेजना समिति और जिला स्तरीय परियोजना समिति भी गठित की जाएगी जिसमें संबंधइत विभाग के अफसर शामिल होंगे। में पीडब्ल्यूडी के कार्यपालन यंत्री संयोजक सदस्य होंगे तथा नगर तथा ग्राम निवेश के उप संचालक स्तर के अफसर ,एसपी , निगम आयुक्त तथा संबंधित विभाग के प्रमुख इसके सचिव होंगे।

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