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CBSE बोर्ड परीक्षा रद्द कराने सुप्रीम कोर्ट पहुंचे मां-बाप

दिल्ली। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) द्वारा 12वीं कक्षा की बची हुई परीक्षाओं को रद्द कराने के लिए छात्रों के अभिभावक अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गए हैं। 12वीं के कुछ छात्रों के अभिभावकों ने COVID-19 महामारी के कारण देश में मौजूदा हालात को देखते हुए परीक्षाओं के आयोजन को छात्रों के लिए खतरा बताया और उच्चतम न्यायालय में याचिका दाखिल की है। पैरेंट्स का मानना है कि इस मुश्किल समय में छात्रों को परीक्षा के लिए भेजना उनकी जान को खतरे में डालने के बराबर है। दाखिल की गई याचिका के मुताबिक, पैरेंट्स चाहते हैं कि 12वीं की शेष बची हुईं परीक्षाएं रद्द हों और छात्रों के परिणाम, आंतरिक मूल्यांकन अंकों के साथ औसत आधार पर तैयार होने चाहिए।

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दरअसल, सीबीएसई बोर्ड ने हाल ही में 1 जुलाई से 15 जुलाई 2020 तक परीक्षाएं आयोजित कराने का शेड्यूल जारी किया था। बोर्ड इन परीक्षाओं के लिए कई तरह की योजनाएं भी तैयार कर ली हैं, जैसे- छात्रों को एग्जाम के लिए किसी एग्जाम सेंटर पर जाने की जरूरत नहीं है। वे उसी स्कूल में एग्जाम देंगे जहां पढ़ते हैं। जो छात्र इस दौरान अपने गृह राज्यों में पलायन कर गए हैं वे अपने स्कूल को अपनी लोकेशन शेयर कर सकते हैं ताकि होम टाउन में ही एग्जाम दे सकें। छात्रों के लिए स्पेशल बसों का आयोजन किया जाएगा। स्कूल में थर्मल स्कैनर, सैनेटाइजर, फेस मास्क, सोशल डिस्टेंसिंग आदि नियमों का ध्यान रखना जरूरी होगा। इसके अलावा, 25 मई को, मानव संसाधन और विकास मंत्रालय ने 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं के लिए लगभग 15,000 परीक्षा केंद्रों के इंतजाम की भी बात कही है, जो पहले कुल 3,000 केंद्रों पर आयोजित होने वाली थी।

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वहीं दूसरी ओर, छात्रों के अभिभावकों की ओर से लाखों छात्रों की सुरक्षा पर चिंता जताते हुए, दलील में कहा है कि अगर वायरस के संक्रमण के मामलों की संख्या में वृद्धि के बीच उन्हें परीक्षाओं में उपस्थित होना पड़ता है वे COVID -19 संक्रमण के संपर्क में आ सकते हैं। उन्होंने सीबीएसई पर भेदभावपूर्ण और मनमानी आचरण की ओर इशारा करते हुए विदेश में सीबीएसई से मान्यता प्राप्त लगभग 250 स्कूलों में परीक्षा रद्द होने और अन्य शिक्षण संस्थान जैसे IIT की परीक्षा रद्द होने का उदाहरण भी सामने रखा है।

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साथ ही, पैरेंट्स ने कहा है कि बोर्ड जुलाई, 2020 के महीने परीक्षा आयोजित कराना चाहता है जिसमें AIIMS डेटा के अनुसार, कोरोनावायरस महामारी का संक्रमण अपने चरम पर होगा। याचिका में कहा गया है कि इस साल अप्रैल में बोर्ड ने 9वीं और 11वीं क्लास के छात्रों को भी स्कूल के आकलन के आधार पर अगली क्लास में प्रमोट करने का निर्देश दिया था। इन्हीं पहलूओं के मद्देनजर, सीबीएसई द्वारा 18 मई को जारी नोटिफिकेशन को रद्द करने के लिए शीर्ष अदालत से आग्रह किया। नोटिफिकेशन में 10वीं और 12वीं की शेष परीक्षाओं की तारीख घोषित की गई थी।

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