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बिना रजिस्ट्रेशन के सालों से चल रहे एसईसीएल के झोलाछाप अस्पताल, आरटीआई से हुआ खुलासा

कोरिया | अगर आपसे यूं कहें कि अब तक जिन अस्पतालों और डिस्पेंसरी को आप अच्छा समझ कर इलाज करा रहे थे, वह अस्पताल ही झोलाछाप है ! तो यह बिल्कुल गलत नहीं होगा। यह अस्पताल नियमों को ताक पर रखकर बगैर रजिस्ट्रेशन और बगैर मापदंड के ही धड़ल्ले से संचालित किए जा रहे है। हैरत की बात तो यह है कि आज तक विभाग इन पर मेहरबान बना हुआ है।
बात है चिरमिरी क्षेत्र में संचालित एसईसीएल के डिस्पेंसरी व अस्पतालों की सालों से यह अस्पताल बगैर रजिस्ट्रेशन और नर्सिंग होम एक्ट के मापदंडों को पूरा किए बगैर ही संचालित किए जाते रहे हैं। वही कुछ लोगों को गुमराह करने के लिए विभाग रजिस्ट्रेशन के नाम पर कोई अन्य कागज का टुकड़ा थमा कर उसे ही रजिस्ट्रेशन पेपर बताने से भी नहीं चूकता था। पर हाल ही में हुए खुलासे से परत दर परत सच्चाई सामने आ गई।

गौरतलब है कि, 14 अक्टूबर 2019 को आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा, सोनू दुबे तथा अभिनय पांडेय के द्वारा जिलाधीश कार्यालय कोरिया में ईमेल के माध्यम से एक शिकायत की थी कि चिरमिरी एसईसीएल क्षेत्र के अस्पताल और डिस्पेंसरीओं के द्वारा विभिन्न नियमों तथा आदेशों का उल्लंघन करने के कारण विधिवत जांच कर संवैधानिक कार्रवाई किया जाए। शिकायत के पश्चात 25 अक्टूबर 2019 को स्वास्थ्य विभाग की ओर से गठित जांच अधिकारियों ने एसईसीएल के अस्पताल व डिस्पेंसरी की विधिवत जांच की। इस दौरान जांच अधिकारी जिला अस्पताल के डा राजेन्द्र बंसरिया, डा योगेश्वर सराटिया, बीएमओ डा एस कुजूर व नगर निगम चिरमिरी के स्वच्छता विभागाध्यक्ष उमेश तिवारी ने अस्पताल अधीक्षक व रिजनल अस्पताल के प्रभारी सीएमओ के कथन लिए जिससे सच्चाई सामने आई। आधा दर्जन से ज्यादा सदस्य जांच के पश्चात शिकायतकर्ता के द्वारा सूचना के अधिकार के तहत जांच रिपोर्ट मांगी गई. जिसमें बड़ा खुलासा सामने आया है। जिसमे जांच अधिकारी ने साफ-साफ लिखा है कि एनसीपीएच अस्पताल के अधीक्षक डॉक्टर शंभू प्रसाद के दिए कथन के अनुसार अस्पताल वर्तमान स्थिति में नर्सिंग होम एक्ट के मापदंडों के बगैर ही संचालित किया जा रहा है। वही एसईसीएल रीजनल अस्पताल चिरमिरी के प्रभारी सीएमओ डॉ आनंद के द्वारा दिए कथन के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य उपचार गृह एवं रोग उपचार संबंधी स्थापना से कराए जाने हेतु आवेदन नहीं करने एवं सीएसआर मत से मरीजों का इलाज करने और ब्रांडेड दवाइयां लिखने जैसी बातें कहीं हैं। जांच के दौरान मरीजों को जेनेरिक दवाई ना लिखकर ब्रांडेड दवाइयां लिखने तथा बायो मेडिकल वेस्ट का सही से निपटान ना करने और खुले में ही उसे जलाने के साथ संस्था बगैर रजिस्ट्रेशन के ही संचालित किए जाने जैसे खुलासे हुए हैं।

निगम ने बिना जांच ही दे दी एनओसी –

आई जांच रिपोर्ट के अनुसार संबंधित संस्थान में बायो मेडिकल वेस्ट के निष्पादन हेतु पर्यावरण बोर्ड से सहमति एवं पंजीयन किया जाना था जिससे कि उचित माध्यम की व्यवस्था कर अपशिष्ट का निष्पादन किया जा सके परंतु निरीक्षण उपरांत यह पाया गया कि बायो मेडिकल वेस्ट का निष्पादन सही तरीके से नहीं किया जा रहा जिसमें डीप औऱ शार्प पिट ऐसे ही खुले हुए हैं संक्रमित सुई बोतल निपटान करने में अव्यवस्था पाई गई है यहां तक कि बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण करने के लिए संस्था में कोई उचित व्यवस्था ही नहीं है तथा पर्यावरण बोर्ड में पंजीयन भी ना होने के बावजूद निगम द्वारा एनओसी दिया जाना बिल्कुल गलत है।

पहले जुटाई जानकारी फिर की शिकायत –

आरटीआई कार्यकर्ता राजकुमार मिश्रा, सोनू दुबे और अभिनय पांडेय ने बताया कि उनके द्वारासूचना के अधिकार के तहत जानकारी जुटाने तथा अलग-अलग दिनांक को संबंधित अस्पताल में जाकर बायो मेडिकल वेस्ट को जलाने का वीडियो बतौर सबूत बनाने के पश्चात शिकायत जिलाधीश कार्यालय और सीएमएचओ कोरिया को की गई जिसके पश्चात शिकायत को गंभीरता से लेते हुए जिले की टीम जांच करने चिरमिरी पहुंची थी।

संलिप्त जिम्मेदार होंगे दंडित –

मामले में कठोर विभागीय कार्यवाही ना होने की स्थिति में शिकायतकर्ता राजकुमार मिश्रा ने हाई कोर्ट जाने की बात कही है । उन्होंने बताया कि नर्सिंग होम एक्ट 2010 के तहत बगैर रजिस्ट्रेशन वाले अस्पताल संचालित किए जाने पर जिम्मेदार अधिकारी को नर्सिंग होम एक्ट 2010 की धारा 4, 12 एवं 13 के तहत दंडित किए जाने का प्रावधान है। साथ ही फर्जी एनओसी जारी करने वाले निगम के अधिकारी, गलत जानकारी देकर गुमराह करने वाले अधिकारी के साथ शिकायत पर गंभीर कार्यवाही न करने वाले अधिकारी तथा जेनेरिक दवाएं ना लिखकर ब्रांडेड दवाएं लिखने वाले चिकित्सक के विरुद्ध भी कठोर दंडात्मक कार्यवाही कराई जाएगी।

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