FEATUREDछत्तीसगढ़राजनीतिशिक्षा

मोटर साइकिल गुरूजी: रूद्र प्रताप सिंह राणा

रायपुर |  कोविंड-19 के बढ़ते संक्रमण के दौरान बच्चों को सुरक्षित रखते हुए सीखने-सिखाने की प्रक्रिया से जोड़े रखने के लिए कोरिया जिले के विकासखंड-खड़गवां की शासकीय प्राथमिक शाला के सहायक शिक्षक एलबी रूद्रप्रताप सिंह राणा द्वारा गया। प्रधानमंत्री को भी उनका यह तरीका भाया। उन्होंने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में इसका जिक्र किया। शिक्षक राणा ने ‘‘रहें सुरक्षित, रखें सुरक्षित, ढूंढा मैने एक उपाय, छतरी, टीएलएम, ग्रीनबोर्ड से मोटरसाइकिल लिया सजाय। संक्रमण के खतरे से बचाने डेहरी पर बच्चों को बिठाए, घंटी की ध्वनि पुकारे स्कूल आपके द्वार है आए।‘‘
Read More :हर जिले में खुलेंगे स्वामी आत्मानंद हिन्दी माध्यम शासकीय स्कूल…
शिक्षक राणा ने एक नवाचार किया। उनके मन में एक विचार आया कि क्या हुआ अगर बच्चे स्कूल नहीं आ पा रहे हैं ? क्यूं न हम विद्यालय को ही बच्चों तक ले चलें। इस विचार के साथ अपनी मोटरसाइकिल में घंटी, ग्रीनबोर्ड, एक छोटा पुस्तकालय ( पाठ्यपुस्तक एवं चित्रों से परिपूर्ण कहानी की किताबें ) रखकर रोचक सहायक शिक्षण सामग्री (एमजीएमएल) के शब्द-चित्र कार्ड अंक व संख्या कार्ड वर्ण कार्ड ) छतरी मे सजाकर चल पड़े गाँव के एक मोहल्ले में। तय योजना के अनुरूप घंटी की ध्वनि सुनते ही बच्चे अपने घरों से निकलकर उछलते-कूदते घर के सामने बनी देहरी पर बैठ जाते हैं। राष्ट्रगान के बाद शुरू होती सीखने सिखाने की प्रक्रिया। फिलहाल बच्चों को किताब पढ़ पाना, पढ़कर समझना और एक दूसरे के प्रश्नों का उत्तर देना, संख्याओं एवं गणितीय संक्रियाओं पर समझ बनाना आदि गतिविधियों पर कार्य किया। कुछ ही दिनों में यह प्रक्रिया 5 मोहल्ले में सुचारू रूप से संचालित होने लगी। सरपंच श्री संकर सिंह एवं सचिव शुभांग सिंह ने खुश होकर हैंड सेनेटाइजर मास्क आदि उपलब्ध करवाए। अलग-अलग 5 मोहल्ले, 5 शिक्षक सारथि (कु.इंदु, सावित्री, संतोषी, समलिया,सोनकुंवर ) ने मिलकर लगभग 62 बच्चों के साथ सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए बिना एक दूसरे के सीधे संपर्क में आये शिक्षण कार्य कर रहे हैं। इस अभियान की मुख्य विशेषता यह है कि न तो शिक्षक बच्चों के सीधे संपर्क में आते हैं और न ही बच्चे एक दूसरे के संपर्क में।
Read More :धर्मांतरण को लेकर थाने में घुसकर पादरी की जमकर पिटाई…
छतरी लगाने का उद्देश्य था कि यह धूप व बारिश से बचाएगी साथ ही इसमें सहायक शिक्षक सामग्री के कार्ड्स लगाए जाएंगे ताकि बच्चे दूर से दी देखकर पढ़ सकेंगे। पर यही छतरी आकर्षण का केन्द्र बन गयी और गाँव के लोग जिले से राज्य तक विभाग के उच्च अधिकारी गण शिक्षक राणा को ‘छतरी वाले गुरुजी’के नाम से संबोधित करने लगे।
Read More :यात्री अब Unreserved ticket के साथ भी कर सकेंगे यात्रा…
उन्होंने बताया कि लॉकडाउन होते ही मन मे आशंका थी कि बच्चों की पढ़ाई का क्या होगा तभी प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. आलोक शुक्ला के निर्देशन में राज्य स्तरीय ऑनलाइन कक्षाएं ‘पढ़ई तुंहर दुआर’  आरंभ की गई। कोरिया जिले में इस अभियान की सफलता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से तुरंत एक टीम का गठन किया। खुशबू दास के नेतृत्व में तकनीकी सहायक शशिभूषण पाण्डे, अश्फाक उल्ला खान, जितेंद्र साहू , नीतू वर्मा,  अश्विन मलिक, जे पी साहू, अशोक लोधी, शैलेंद्र श्रीवास्तव के प्रयास से राज्य स्तरीय एवं जिला स्तरीय ऑनलाइन कक्षाओं का नियमित संचालन होने लगा। स्मार्टफोन की पर्याप्त उपलब्धता ना होने के कारण अपेक्षा से कम बच्चे लाभान्वित हो पा रहे थे। फिर शिक्षक राणा ने सहायक विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी से चर्चा कर सायं कालीन मोहल्ला क्लास आरम्भ की।  अब कक्षा में 17 से बढ़कर 38 बच्चे जुड़ चुके थे। ऑनलाइन क्लास में सीखकर बच्चे शिक्षक राणा की उपस्थित में शाम को अपने पड़ोस के बच्चों को सिखाना शुरू किए। अभी भी आधे बच्चे सीखने-सिखाने की प्रक्रिया से वंचित थे। फिर मैंने चलित स्कूल (छतरी वाले गुरुजी) आरम्भ किया। प्रातः 10 बजे से 3 बजे तक संचालित हो रहे अभियान में 50 से 62 बच्चे जुड़ने लगे हैं। में ‘स्कुल तुंहर दुआर’ पाठ्यक्रम के अनुसार नियमित क्लास संचालित की। पुस्तकालय में चित्रों से परिपूर्ण रोचक कहानियां, जो भाषा विकास के लिए उपयोगी हैं। बच्चे अलग-अलग किताबें पढ़कर उस कहानी को अपने साथियों, पालकों या शिक्षक को सुनाते और एक दूसरे से प्रश्न पूछ कर जवाब देते है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Follow Us

Follow us on Facebook Follow us on Twitter Subscribe us on Youtube