110 ग्राम पंचायतों के किसानों ने जैविक खेती करने का प्रस्ताव किया पारित ; छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले की 110 ग्राम पंचायतों के किसानों ने केवल जैविक खेती करने का प्रस्ताव पारित किया है। इसके लिए उन्होंने 65 हजार हेक्टेयर भूमि को जैविक खेती के रूप में प्रमाणित करने के लिए आवेदन दिया है। केंद्र सरकार की ओर से जैसे ही यह प्रमाणपत्र मिलेगा, इनके उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अच्छे दाम मिलने लगेंगे। साथ ही केंद्र सरकार की विभिन्न् प्रोत्साहन योजनाओं का भी लाभ मिलने लगेगा।
इन ग्राम पंचायतों के किसान घर में ही वनस्पतियों, गोबर और गोमूत्र से खाद बना रहे हैं। इसके लिए दंतेवाड़ा जिला प्रशासन की ओर से उन्हें प्रशिक्षण दिया गया है। जिले में कुल 234 ग्राम पंचायत में 110 ग्राम पंचायतों ने जैविक खेती को पूरी तरह से अपना लिया है। यही वजह है कि उन्होंने प्रमाणीकरण के लिए आवेदन दिया है। कलेक्टर विनीत नंदनवार का कहना है कि आने वाले समय में जिले के हर किसान को जैविक खेती के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया जाएगा। बता दें कि 27 अप्रैल 2021 को केंद्र सरकार ने वृहद जैविक क्षेत्र प्रमाणीकरण योजना की शुरुआत की थी। इसी के तहत किसानों ने आवेदन दिया है।
गोबर-गोमूत्र से उगा रहे फसल
दंतेवाड़ा विकासखंड के कटेकल्याण की ग्राम पंचायत बेंगलुरु की सरपंच कुमारी सुखमती कुंडामी ने बताया कि गांव में 80 मतदाता है। 200 की आबादी है। यहां धान से लेकर विभिन्न् प्रकार की साग-सब्जियों की खेती में गोबर और गोमूत्र से बने जैविक खाद का उपयोग कर रहे हैं।
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युवा सरपंच ने कहा- खुद बनाते हैं खाद
विकासखंड कटेकल्याण की ग्राम पंचायत कोरीरास के युवा सरपंच सुनील कुमार मंडावी ने बताया कि गांव के सभी किसान इस बात को लेकर खुश हैं कि उनकी मिट्टी अब प्रदूषित नहीं होगी। हम जंगल की वनस्पतियों से खाद बनाकर अपने खेतों में डाल रहे हैं। इससे उत्पादन बढ़ा है।
केस 03
किसानों में है काफी उत्साह
भूमगादि जैविक कृषक उत्पादक संगठन के मुख्य कार्यपालन अधिकारी आकाश बड़वे ने बताया कि कटेकल्याण के गांव गुड़से और पाढ़ापुर के ग्रामीणों ने हाल ही में ग्राम पंचायत आयोजित कर जैविक खेती को पूरी तरह से अपना लिया है। इससे वे काफी उत्साहित हैं।
छत्तीसगढ़ के कृषि उत्पादन आयुक्त डा. कमलप्रीत ने कहा, राज्य सरकार ने माटी पूजन अभियान की शुरुआत की है। दंतेवाड़ा में जिस तरह से जैविक खेती के लिए किसानों ने प्रस्ताव पारित किया है, वह सुखद संकेत है।