FEATUREDGadgetsGeneralLatestNewsUncategorizedछत्तीसगढ़राजनीतिरायपुर

कोर्ट ने रद्द किया है 58% आरक्षण; छत्तीसगढ़ में हज़ारों भर्तियां रुकी:

छत्तीसगढ़ में आरक्षण पर आये बिलासपुर उच्च न्यायालय के एक फैसले ने युवाओं के भविष्य को प्रभावित करना शुरू कर दिया है। इस फैसले से उपजी नीतिगत उलझन ने सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश का रास्ता रोक दिया है। छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने राज्य प्रशासनिक सेवा परीक्षा का अंतिम परिणाम रोक दिया है। वहीं राज्य वन सेवा के साक्षात्कार टाल दिये गये हैं। स्कूल में 12 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी खटाई में पड़ती दिख रही है।

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने राज्य सेवा के 171 पदों पर इस साल परीक्षा ली थी। मुख्य परीक्षा में सफल 509 लोगों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया था। यह साक्षात्कार 20 से 30 सितम्बर के बीच चला। वहीं 8 से 21 अक्टूबर तक प्रस्तावित राज्य वन सेवा परीक्षा के साक्षात्कार को टाल दिया गया है। इस परीक्षा से 211 पदों पर भर्ती होनी थी।

लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी इस स्थिति पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। लेकिन कुछ अधिकारियोें ने बताया, इसके पीछे आरक्षण फैसले से पैदा हुई उलझन ही है। अभी तक की भर्तियों में इस फैसले के आधार पर आरक्षण डिसाइड करने की शर्त लगी रहती थी। अब फैसला आ गया तो कोई यह बताने की स्थिति में नहीं है कि आरक्षण रद्द करने का परिणाम आरक्षण खत्म हो जाना है, अथवा आरक्षण को पिछली स्थिति में लौट जाना है।

अगर इसको तय किये बिना भर्ती कर ली जाये तो अदालत की अवमानना का मामला भी बन जाएगा। अदालती उलझनों की वजह से पूरी भर्ती प्रक्रिया बाधित हो जाएगी। ऐसे में आयोग और दूसरे विभाग भी भर्ती प्रक्रिया को आगे बढ़ाने से पहले उच्च न्यायालय के फैसले को क्लियर कर लेना चाहते हैं। सामान्य प्रशासन विभाग इसपर कुछ नहीं बता रहा है। विधि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सामान्य तौर पर उनका विभाग अदालत के आदेशों की व्याख्या नहीं करता। उनसे ओपिनियन मांगा गया था, विभाग ने अदालत के आदेश पर कार्रवाई की अनुशंसा भेज दी है। छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े कानूनी अधिकारी महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा बार-बार पूछने पर भी कोई स्पष्टिकरण नहीं दे रहे हैं।

उच्च न्यायालय ने 19 सितम्बर को फैसला सुनाया था
बिलासपुर उच्च न्यायालय ने गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी बनाम राज्य सरकार के मुकदमे में 19 सितम्बर को अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस फैसले में अदालत ने छत्तीसगढ़ सरकार के उस कानून काे रद्द कर दिया जिससे आरक्षण की सीमा 58% हो गई थी। सामान्य प्रशासन विभाग ने 29 सितम्बर को सभी विभागों को अदालत के फैसले की कॉपी भेजते हुए उसके मुताबिक कार्रवाई की बात कही। उसी के बाद आरक्षण को लेकर भ्रम का जाल फैलना शुरू हो गया।
विभागों में दो तरह की राय, मांगी जा रही विधिक सलाह
अधिकांश विभागों में कहा जा रहा है कि इस फैसले का असर यह हुआ है कि आरक्षण की स्थिति 2011 से पहले वाली हो गई है। यानी अनुसूचित जाति को 16%, अनुसूचित जनजाति को 20% और अन्य पिछड़ा वर्ग को 14% आरक्षण मिलेगा। लेकिन कुछ पुराने अधिकारी कह रहे हैं कि इस फैसले में लिखी टिप्पणियां यह बता रही हैं कि उच्च न्यायालय ने प्रदेश की लोक सेवाओं में आरक्षण की व्यवस्था को खत्म कर दिया है। जिन विभागों को भर्ती करनी है अब वे महाधिवक्ता कार्यालय से सलाह मांगने की बात कर रहे हैं।

क्या वास्तव में खत्म हो चुका है आरक्षण
संविधानिक मामलों के विशेषज्ञ बी.के. मनीष का तो यही कहना है। मनीष ने महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा को पत्र भी लिखा है। उनका कहना है, गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी और अन्य बनाम राज्य सरकार में आये फैसले का परिणाम यह हुआ है कि सभी वर्गों का आरक्षण खत्म हाे गया है। संशोधन अधिनियम को रद्द करने से पुराना अधिनियम प्रभावी होने के दो ही रास्ते थे। पहला कि संशोधन अधिनियम में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था और दूसरा विधायिका का कोई दूसरा उद्देश्य। इस मामले में विधानसभा में विधेयक पारित हुआ, राज्यपाल ने हस्ताक्षर किए, राजपत्र में प्रकाशित हुआ। सब सक्षम हैं, इसलिए प्रक्रिया पालन की शर्त पूरी है। उद्देश्य तो स्पष्ट है कि सरकार आरक्षण बढ़ाना चाहती थी। यह भी शर्त पूरी है। बी.के. मनीष कहते हैं, अब साफ है कि आज की तारीख में छत्तीसगढ़ की लोक सेवाओं में और शैक्षणिक संस्थाओं में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कोई आरक्षण नहीं बचा है।

आरक्षण पर विधानसभा का सत्र बुला सकती है सरकार:मंत्री कवासी लखमा ने कहा, 17 को कैबिनेट में होगी चर्चा, राजनीतिक लड़ाई की जमीन तैयार

मुख्यमंत्री से 32% आरक्षण का अध्यादेश जारी करने की मांग:सरकार पर बढ़ाया दबाव; सर्व आदिवासी समाज के दोनों धड़ों ने मंत्रियों-विधायकों को बुलाया

GAD ने आरक्षण का पलटा हुआ फैसला लागू किया:उधर सुप्रीम कोर्ट में बी.के. मनीष की अपील पर तारीख तय, 14 अक्टूबर को पहली सुनवाई

आरक्षण रिवर्स होने से गरमाया माहौल:हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएगी राज्य सरकार, आदिवासी समाज भी अपील की तैयारी में

akhilesh

Chief Reporter

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *