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दिल्ली में होगी कृत्रिम बारिश! मिल चुका परमिशन, जानिए कैसे?

Pollution in Delhi: लगातार राजधानी दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है जो अभी की स्थिति में AQI (एयर क्वालिटी इंडेक्स) 500 के पार है. इसी प्रदूषण से निजात पाने के लिए आईआईटी कानपूर ने ही दिल्ली में कृत्रिम बारिश का सुझाव दिया।

5 साल पहले 2018 में भी दिल्ली को प्रदूषण से राहत दिलाने कृत्रिम वर्षा की तैयारी की गई थी जिसके लिया अनुमति का पूरा कार्य करके इसरो से रेन सीडिंग के लिये विशेष विमान भी लाया गया था लेकिन उसी दिन बादल छाने से यह प्लान कैंसिल करना पड़ा।

और अब इसके लिए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बैठक बुलाई. बैठक के बाद गोपाल राय ने बड़ा ऐलान किया. वह बोले कि राजधानी दिल्ली में 20 और 21 नवंबर को कृत्रिम बारिश करवाई जा सकती है. दिल्ली में केजरीवाल सरकार पहली बार ऐसी बारिश करवाने का प्लान बना रही है.

गोपाल राय के आगे बताया कि अगर 20-21 नवंबर को आसमान में बादल रहे और सभी परमिशन मिल गई तो बारिश करवाई जाएगी.

अब शुक्रवार को दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट को इसकी जानकारी देगी. सुप्रीम कोर्ट से दिल्ली सरकार कृत्रिम बारिश कराने में केंद्र सरकार का सहयोग दिलाने की गुजारिश करेगी. दिल्ली में प्रदूषण का स्तर बीते कई जिन से ‘गंभीर’ श्रेणी में बना हुआ है. प्रदूषण की स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी सवाल खड़े किए थे.

क्या और कैसें होती है कृत्रिम बारिश?

आर्टिफीसियल रेनफॉल करने के लिए कृत्रिम बादल बनाए जाते हैं जिन पर सिल्वर आयोडाइड और सूखी बर्फ (dry ice) जैसे रसायनों को विशेष विमानों के माध्यम से आसमान में एक निश्चित ऊँचाई पर स्प्रे किया जाता है जिससे थोड़े ही समय में अच्छी ख़ासी बारिश हो जाती है। कृत्रिम वर्षा मानव निर्मित गतिविधियों के माध्यम से बादलों को बनाने और फिर उनसे वर्षा कराने की क्रिया को कहते हैं। कृत्रिम वर्षा को क्लाउड-सीडिंग भी कहा जाता है। क्लाउड-सीडिंग का जनक के तैर पर Vincent Joseph Schaefer (July 4, 1906 – July 25, 1993) जो की अमेरिकन रसायनशास्त्री व मौसम वैज्ञानिक थे को माना जाता है जिन्होंने इस विधि को बनाया था।

akhilesh

Chief Reporter

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