चीन का घुटने लगा दम, भारत के बाद अमेरिका में भी टिक टॉक सहित चीनी एप्स पर लगेगा बैन
नई दिल्ली। भारत सरकार द्वारा टिकटॉक सहित 59 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाने के बाद अब दुनियाभर के देशों में चीन के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई है। अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने मंगलवार को ट्वीट कर कहा है कि अमेरिकी सरकार भी लोकप्रिय टिकटॉक सहित अन्य चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले ऑस्ट्रेलिया भी टिकटॉक सहित कई चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाने की बात कह चुका है। टिकटॉक के दुनियाभर में करोड़ों यूजर्स हैं। अकेले भारत में टिकटॉक के 20 करोड़ यूजर्स थे। टिकटॉक सहित सभी 59 चीनी एप्स ने भारत में अपने परिचालन को बंद कर दिया है। इससे इन कंपनियों को हजारों करोड़ रुपए का नुकसान होने की संभावना जताई जा रही है।
ऑस्ट्रेलिया में भी Tiktok हो सकता है प्रतिबंधित
ऑस्ट्रेलिया में भी सोशल मीडिया एप टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने की बात चल रही है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार का मानना है कि टिकटॉक जैसे चीनी सोशल मीडिया एप्स राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं और यह यूजर्स डाटा को चीन के साथ साझा करते हैं। ऑस्ट्रेलिया में टिकटॉक के 16 लाख यूजर्स हैं।
ऑस्ट्रेलिया का मानना है कि चीन की बाइटडांस के स्वामित्व वाली टिकटॉक ऑस्ट्रेलिया के लोगों का डाटा एकत्रित कर रही है और सारी जानकारी को चीन स्थित सर्वर में स्टोर किया जा रहा है, जो ऑस्ट्रेलिया के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बहुत बड़ा खतरा है।
चीन के खिलाफ दूसरा रास्ता अपनाएगा अमेरिका
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि अमेरिका को चीन के साथ अब अलग तरीके से पेश आना होगा क्योंकि अधिक राजनीतिक स्वतंत्रता मिलने की उम्मीद में उन्हें आर्थिक अवसर प्रदान करने की पुरानी नीति काम नहीं आई। पोम्पिओ ने वाशिंगटन वॉच में टोनी पर्केन्स को दिए एक साक्षात्कार में कहा कि यह सिद्धांत कि अधिक आर्थिक अवसर प्रदान करने से चीन के लोगों को अधिक राजनीतिक स्वतंत्रता और अधिक मौलिक अधिकार मिलेंगे, सही साबित नहीं हुआ। यह काम नहीं आया। मैं पुराने शासकों की आलोचना नहीं कर रहा हूं, हम स्पष्ट रूप से देख सकते हैं कि यह सफल नहीं हुआ और इसका मतलब है कि अमेरिका को दूसरा रास्ता अपनाना होगा।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने स्पष्ट रूप से यह मार्ग प्रशस्त किया है। पोम्पिओ ने कहा कि वह ऐसा करने वाले पहले राष्ट्रपति हैं और यह पक्षपातपूर्ण नहीं है। उनसे पहले सभी रिपब्लिकन और डेमोक्रेट राष्ट्रपतियों ने चीन को अमेरिका के साथ व्यापार संबंध स्थापित करने का मौका दिया, जिसका भुगतान पूरे अमेरिका में मध्यम वर्ग, कामकाजी लोगों को नौकरी खोकर उठाना पड़ा। उन्होंने कहा कि अब हम देख सकते हैं कि इससे ना केवल अमेरिका को आर्थिक नुकसान हुआ है बल्कि चीन के भीतर भी लोगों के साथ भी सही व्यवहार नहीं किया जाता