मुख्यमंत्री की घोषणा, ‘पढ़ई तुंहर पारा’ के क्रियान्वयन को लेकर तैयारियां शुरू
रायपुर| मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की स्वतंत्रता दिवस के दिन कोरोना संकट के चलते स्कूली बच्चों की घर पहुंच शिक्षा को जारी रखने के लिए पढ़ई तुंहार पारा की घोषणा के परिपालन में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा जोर-शोर से तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। योजना के क्रियान्वयन को लेकर विभाग द्वारा सक्रिय प्रोफेसनल लर्निंग कम्यूनिटी (पीएलसी) द्वारा एक वेबीनार का आयोजन किया। वेबीनार में राज्य में बच्चों के प्रारंभिक भाषायी कौशल विकास की दिशा में सुकमा से लेकर सरगुजा अंचल तक के पीएलसी शामिल हुए।
वेबीनार में राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रारंभिक भाषा शिक्षण और स्थानीय भाषा शिक्षण का महत्व, बच्चों का सिखना जारी रखने के लिए पालकों विशेषकर माताओं की भूमिका, पढ़ई तुंहार पारा एवं लाउडस्पीकर स्कूलों के माध्यम से प्रारंभिक भाषा शिक्षण, विभिन्न सक्रिय पीएलसी के माध्यम से प्रारंभिक भाषा शिक्षण के क्षेत्र में किए जा रहे नवाचारी उपाय पर चर्चा की गई। वेबीनार में शामिल सभी पीएलसी ने यह तय किया कि वे अपने-अपने पीएलसी स्तर पर बैठक लेकर 8 सितम्बर तक वाचन अभियान के दूसरे चरण को पूरा करेंगे और प्रत्येक बच्चे को पढ़ना आ जाए, इस दिशा में मिलकर ठोस योजना के साथ कार्य करेंगे। छत्तीसगढ़ में वर्तमान में 5 हजार से अधिक पीएलसी कार्यरत हैं। इस वेबीनार को 25 हजार से अधिक शिक्षको, पालकों एवं समुदाय से शिक्षा में सहयोग कर रहे कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
वेबीनार में जिला बस्तर के श्री गणेश तिवारी ने अपने क्षेत्र के पीएलसी के माध्यम से बच्चों को स्थानीय भाषा से हिन्दी सिखाने के संबंध में बात रखी। सुकमा में वर्क सीट्स के माध्यम से स्थानीय परिस्थितियों का उल्लेख किया गया। दंतेवाड़ा के दादा जोकाल ने वहां की स्थानीय भाषा के जानकार शिक्षकों द्वारा अन्य शिक्षकों को जिन्हें बच्चों की भाषा नहीं आती, उनके साथ एक-दूसरे से परस्पर सहयोग से भाषा सिखने के बारे में जानकारी साझा की। बालोद जिले के श्री खुरश्याम ने श्रुतलेखन की तकनीकों पर चर्चा की। सरगुजा की सुश्री प्रमिला तिवारी ने कपड़े का पाकेट बोर्ड बनाने की जानकारी दी। दुर्ग जिले के श्री सुरेन्द्र पाण्डे ने बिग बुक बनाने, उसके उपयोग के तरीकों और बिग बुक से कहानी कैसे लिखनी है पर चर्चा की। रायगढ़ के श्री रूद्र ने कविता के माध्यम से भाषा शिक्षण को अपनी कक्षा में स्वयं करके दिखाया। कोरबा के श्री दिलकेश मधुकर ने वर्तमान में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के एप की जानकारी देते हुए कहा कि इनके माध्यम से सीखने की कला को रूचिकर और आसान बनाया जा सकता है।
महासमुंद जिले के श्री ओम ने बच्चों के पढ़ने का आंकलन कर उन्हें विभिन्न समूहों में बांटकर उनके साथ-साथ अलग-अलग रणनीति के साथ कैसे सिखाया जाना है कि जानकारी दी। जशपुर के श्री सत्यानंद ने माताओं को जोड़ते हुए घरों में कैसे प्रिंट रिच वातावरण बनाकर बच्चों को पढ़ाना सिखाया जा सकता है, इसका प्रत्यक्ष उदाहरण दिया। सभी से यह अपील की गई कि उनके आस-पास बेहतर कार्य कर रहे शिक्षकों और विद्यार्थियों की जानकारी हमारे नायक के लिए उपलब्ध करवाएं। कार्यक्रम में राजनांदगांव में कॉलेज में पढ़ने वाली छात्रा सुश्री आरती वर्मा ने स्कूली बच्चों को पढ़ाने के अनुभव का वर्णन किया। सभी पीएलसी को अपनी पढ़ई तुंहार पारा, लाउडस्पीकर स्कूल के अध्ययन-अध्यापन के फोटोग्राफ और वीडियों को वेबसाइट में साझा करने का अनुरोध किया गया।