इन राज्यों में लग सकता है लॉकडाउन…80 फीसदी मामले होम आइसोलेशन से…
नईदिल्ली। कई राज्यों में कोरोना वायरस के नए मामलों में बढ़तोरी और पॉजिटिविटी रेट में बढ़ोतरी के बाद केंद्र सरकार ने प्रतिबंधों को फिर से लागू करने पर विचार करने के लिए कहा है। कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने शनिवार को 10 राज्यों के साथ एक हाई लेवल बैठक की। स्वास्थ्य सचिव ने केरल, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा, असम, मिजोरम, मेघालय, आंध्र प्रदेश और मणिपुर के प्रतिनिधियों से कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में 10 प्रतिशत से अधिक की पॉजिटिविटी रेट रिपोर्ट करने वाले सभी जिलों को सख्त प्रतिबंधों पर विचार करने की आवश्यकता है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में 10 फीसदी से अधिक की संक्रमण दर की रिपोर्ट करने वाले सभी जिलों में लोगों की आवाजाही को रोकने / कम करने, भीड़ को और लोगों के आपस में मिलने से रोकने के लिए सख्त प्रतिबंधों पर विचार करने की आवश्यकता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि प्रभावित राज्यों में 80 फीसदी से अधिक सक्रिय मामले होम आइसोलेशन में बताए गए हैं और इन मामलों की कड़ाई से निगरानी करने की आवश्यकता है ताकि वे अन्य लोगों से न मिलें और न संक्रमण फैलाएं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से यह भी कहा कि वे जिलेवार कोरोना के आंकड़ों के लिए अपने स्वयं के सिरो सर्वे करें, क्योंकि राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह का सर्वेक्षण थोड़ा कठिन है।
इन 10 राज्यों में सामने आ रहे कोरोना के मामलों में से 80 फीसदी मामले होम आइसोलेशन के आ रहे हैं। इन राज्यों में जरूरत है कि सख्त कदम उठाए जाएं, ताकि मोहल्ले, कॉलोनियों या आस-पड़ोस में लोगों के मिलने-जुलने पर रोक लगे। समीक्षा बैठक में सलाह दी गई कि अस्पताल में भर्ती मरीजों को समय से इलाज मिले, इसके लिए होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों का इलाज बेहतर तरीके से हो।
राज्य सरकारें भी उन जिलों में ज्यादा जोर दे रही हैं, जहां पॉजिटिविटी रेट 10 फीसदी से ज्यादा है। इसलिए इन जिलों में वैक्सीनेशन की रफ्तार और तेज करनी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि राज्यों को उनकी कंजम्प्शन के मुताबिक ही वैक्सीन आवंटित की जा रही हैं। पिछले दो महीने में केंद्रीय सरकार ने राज्यों को ऑक्सीजन, कंसंट्रेटर, ऑक्सीजन सिलिंडर और PSA प्लांट्स मुहैया कराए। राज्यों को निर्देश दिया गया है कि वो निजी अस्पतालों में हॉस्पिटल बेस्ड PSA प्लांट लगाएं।