टिड्डी के बाद अब इस नाम का कीड़ा का कहर बरपने लगा, पत्तों को पूरी तरह कर जाते हैं चट
कोरबा | टिड्डी के बाद अब सेमीलूपर नामक कीड़ा का कहर बरपने लगा है। उद्यान और नर्सरी के पेड़-पौधों में कीड़ा लगने से भारी नुकसान हो रहा है। सफेद-काले रंग के धारीदार सेमीलूपर कीड़े पत्तों को पूरी तरह चट कर रहे हैं। बारिश में हरे भरे पेड़ भी पतझड़ की तरह उजाड़ हो रहे। शहर के अलावा उपनगरीय क्षेत्रों में उद्यानों के पेड़-पौधों को नुकसान पहुंच रहा है। प्रशासनिक स्तर पर दवा का छिड़काव नहीं किए जाने से कीड़ों का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। यह कीड़े जिस तरह से फैल रहे हैं उससे सड़क किनारे के पेड़ ही नहीं, बल्कि शहर व कॉलोनियों के उद्यान भी असुरक्षित हो गए हैं। वर्तमान में खरीफ का सीजन है और खेतों में धान की फसल लगी है, इसलिए किसानों के माथे पर एक बार फिर चिंता की लकीरें पड़ रही हैं। उन्हें डर है कि कहीं यह कीड़े उनके खेतों में पहुंचकर फसल को नुकसान न पहुंचाएं। इस सबंध में कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि सेमीलूपर कीड़ा ज्यादातर गुलमोहर के पेड़ों में पाया जाता है। गुलमोहर की पत्तियां इसका सबसे पसंदीदा भोजन है जिन पर इनके पनपने की सबसे ज्यादा अनुकूल दशा होती है। पत्तियों के निचले भाग में अंडे देने से यह उस पेड़ को लगभग सफा-चट कर देते हैं, जिससे बारिश में हरा-भरा दिखने वाले गुलमोहर के पेड़ में सिर्फ शाखाओं की ठूंठ ही दिखाई देती है। गुलमोहर के अलावा यह कीड़े आंवला समेत अन्य फूलदार पेड़ों को निशाना बना रहे। शहर मार्ग में लगे नर्सरी के गुलमोहर पेड़ों में बहुतायत मात्रा में इन्हें देखा जा रहा है।
लॉकडाउन का असर पनपने की अनुकूल दशा–
वैज्ञानिकों की मानें तो लॉकडाउन के चलते मौसम के बेहतर हुए हालात इस कीड़े के लिए अनुकूल साबित हुआ है। लॉकडाउन में मोटर-गाड़ियों का धुआं कम हुआ, जिससे वातावरण की दशा में व्यापक सुधार दर्ज किया गया है। यह भी एक बड़ी वजह है जो सेमीलूपर के पनप कर अपनी संख्या बढ़ाने के लिए अनुकूल दशा मिली। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस कीड़े की संख्या 25 फीसद तक अधिक हुई है। आम दिनों में यह कीड़ा अधिकतम एक दिन तक जीवित रहता है, पर मौजूदा अनुकूलन से इनकी आयु भी बढ़ी और बच्चों की संख्या भी।
क्लोरो क्वारीफास का छिड़काव करें-
यह कीड़ा एक स्थान से दूसरे स्थान वाहन में चिपक कर चला जाता है। इस तरह जहां वह पहुंचता है, वहां भी बच्चे देकर अपनी आबादी बढ़ाता चला जाता है। इसलिए बेहतर यही होगा कि वर्तमान में वाहनों को संक्रमित पेड़ के नीचे खड़ा न करें। वैज्ञानिकों ने इन कीड़ों से निजात पाने के उपाय भी बताए। इस कीड़े को नष्ट करने के लिए संक्रमित या स्वस्थ पेड़ों में क्लोरो क्वारीफास नामक दवा का छिड़काव करना चाहिए, ताकि स्वस्थ पेड़-पौधे संक्रमित न हों और कीड़े लगे पेड़ भी संक्रमणमुक्त किए जा सकें।