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राहुल गांधी ने मोदी सरकार सरकार को घेरते हुए कहा- आपदा को मुनाफे में बदल कर कमा रही है गरीब विरोधी सरकार

नईदिल्ली | राहुल गांधी एक रिपोर्ट पर ट्वीट करते हुए ये टिप्पणी की. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना काल में इंडियन रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से 428 करोड़ रुपये की कमाई की है. इस पर ट्वीट करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि बीमारी के बादल छाए हैं, लोग मुसीबत में हैं, बेनिफिट ले सकते हैं आपदा को मुनाफे में बदल कर कमा रही है गरीब विरोधी सरकार.

आपदा में भी गरीबों से कमा रही मोदी सरकार? श्रमिक ट्रेन के मुनाफे पर राहुल का वार
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (फोटो- पीटीआई)
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार आपदा के समय में भी गरीबों से मुनाफा वसूलने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. राहुल ने कहा कि देश में बीमारी के ‘बादल’ छाए हैं बावजूद इसके इंडियन रेलवे मुनाफा कमाने में जुटी है.

राहुल गांधी एक रिपोर्ट पर ट्वीट करते हुए ये टिप्पणी की. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना काल में इंडियन रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से 428 करोड़ रुपये की कमाई की है.

बीमारी के ‘बादल’ छाए हैं, आपदा को मुनाफे में बदल रही सरकार

इस पर ट्वीट करते हुए राहुल गांधी ने कहा, “बीमारी के ‘बादल’ छाए हैं, लोग मुसीबत में हैं, बेनिफिट ले सकते हैं-आपदा को मुनाफे में बदल कर कमा रही है गरीब विरोधी सरकार.”

लॉकडाउन के बाद फंस गए थे लाखों मजदूर

बता दें कि कोरोना संक्रमण की वजह से जब 25 मार्च को देश में अचानक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाया गया था तो बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लाखों मजदूर दिल्ली, मुंबई, पुणे, सूरत, अहमदाबाद जैसे शहरों में फंस गए थे.

इन मजदूरों को इनके घर तक पहुंचाने के लिए सरकार ने बाद में श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की व्यवस्था की थी. इन ट्रेनों से लाखों लोग अपने घरों को लौटे.

किराये पर हुआ था विवाद

इन श्रमिक ट्रेनों के किराये को लेकर भी विवाद हुआ था. जब श्रमिक ट्रेनें शुरू हुई तो राज्यों ने मजदूरों से किराया नहीं लेने का ऐलान किया. इसमें मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, छत्तीसगढ़, छत्तीसगढ़ जैसे राज्य शामिल थे. हालांकि गुजरात, मुंबई, दिल्ली से लौट रहे मजदूरों ने शिकायत की जब वे ट्रेन से लौट रहे थे, तो उनसे किराया लिया गया.

केंद्र ने इस सफाई देते हुए कहा था कि यात्रा का 85 फीसदी खर्च केंद्र सरकार उठा रही है, जबकि 15 फीसदी राज्य सरकारों को देना है. हालांकि केंद्र सरकार के अधिकारियों ने कहा कि इस प्रक्रिया में कुछ राज्य रोड़े अटका रहे हैं

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