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इतने वर्षों तक हमने सहा, किंतु कभी नहीं कहा : मनरेगा कर्मचारी महासंघ

 

रायपुर- छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के बैनर तले प्रदेश  के मनरेगा कर्मचारी और अधिकारी 4 अप्रैल 2022 से हड़ताल पर हैं। मनरेगा कर्मचारी संघ की नियमितीकरण सहित दो सूत्री मांग है। अधिकारी कर्मचारियों के हड़ताल 54 दिन से अधिक हो गया है जिससे जिले में 150 करोड़ से अधिक का कार्य प्रभावित होने का अनुमान है। मनरेगा से चलते प्रतिदिन हर जिले में हजारों लोगों को रोजगार मिलता था, लेकिन हड़ताल के चलते मनरेगा का कार्य पूरी तरह से बंद है।  मनरेगा मजदूरों में रोजगार समेत रोटी की समस्या पैदा हो गई है मजदूर भी नरेगा कर्मचारियों का समर्थन में कहने लगे हैं 5000 अल्प वेतन में कैसे चलेगा इनका परिवार।

छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांता अध्यक्ष चन्द्रशेखर अग्निवंशी , कार्यकारी अध्यक्ष राधेश्याम कुर्रे एवम प्रवक्ता मीडिया प्रभारी सूरज सिंह ठाकुर ने  कहा कि हम  मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से अपील करते है कि हमारी गैर वित्तीय मांग है इसे एक बार सुनकर सार्थक पहल करने की जरूरत है। इतने वर्षो तक हमने सहा है , लेकिन कभी नहीं कहा है विगत वर्षों में मनरेगा योजनांतर्गत कार्य करने वाले 3000 से अधिक कर्मचारियों की छटनी या सेवा से बर्खास्तगी कर दी गई है। आपके घोषणा पत्र में किसी भी संविदा कर्मचारियों की छटनी नहीं किए जाने का वादा किया गया है किंतु हमें लगातार 03 वर्षों से प्रशासनिक प्रताड़ना एवं धमकियों का सामना करना पड़ रहा है।

विगत 3 वर्षो में 200 से अधिक मनरेगा के कर्मी शहीद हुए है, किंतु उनके परिवार के सामाजिक सुरक्षा का कोई उपाय नहीं किया गया है, परिवार वालों को आज भी न्याय का इन्तजार है। 10 घंटे से अधिक काम करने के बावजूद , हमारा मानसिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है, जिसके कारण कर्मचारी हीनभावना का शिकार हो रहे है| हम लोग पिछले वित्तीय वर्ष में 6 माह बिना वेतन के काम करते हुए लक्ष्य पूरा किये लेकिन प्रशासन स्तर पर हमारे लिए कोई संवेदना नहीं है। यह बड़े ही दुर्भाग्य का विषय है कि आज पर्यंत 28 जिलों में ‘ संविदा सेवा विस्तार नहीं किया गया है, जिसके कारण कर्मचारियों में प्रशासन के प्रति रोष व्याप्त है। हमने 02 वर्षों के कोरोना काल में राज्य का सम्मान एवं मान बढ़ाया सबसे ज्यादा कार्य किया इतने पर भी शासन की हमारे से कोई सहानुभूति नहीं है। हमारी मांग हेतु विगत 3 वर्षों से सात्वना दी जा रही हैं , उक्त कारणों से हड़ताल की स्थिति निर्मित हुई।
विभागीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारामुख्यमंत्री  को गलत जानकारी देकर भ्रमित करने का प्रयास किया जा रहा है कि मनरेगा कर्मी गलत समय पर आंदोलन कर रहे हैं ? हम बताना चाहेंगे कि जनवरी 2021 से लगातार शासन के समक्ष धरना , रैली के माध्यम से अपनी मांग से अवगत कराया जा रहा है । 31 मार्च 2022 तक लक्ष्य के सापेक्ष 120 प्रतिशत प्रगति रही । 01 अप्रेल 2022 से शासन के समक्ष अपनी गैर वित्तीय मांग पूरा करने हेतु निवेदन किया गया ।

यह प्रश्न उठना लाजमी है कि मनरेगा कर्मी हड़ताल करने क्यो विवश हुए ? हम बताना चाहेंगे कि अक्टूबर 2021 से मार्च 2022 तक 06 माह बिना वेतन के कार्य किया । पिछले 03 वर्षो के कोरोनाकाल मे सबसे अधिक रोजगार सृजन कर छत्तीसगढ़ राज्य देश मे अव्वल रहा । विगत 03 वर्षो के कोरोना काल में 250 के करीब मनरेगा कर्मचारी ग्रामीण श्रमिको को रोजगार उपलब्ध कराते हुए दिवंगत हो गए । विगत वर्षो मे किए कार्यों के कीर्तिमान से राज्य को 31 राष्ट्रीय पुरूस्कार से नवाजा गया ।

मनरेगा कर्मियों की हड़ताल 55 दिन पश्चात् भी जारी क्यो है ? और इसका समाधान क्या है ? हम बता दें कि हमारी सरकार से निवेदन है कि ‘ हमसे संवाद कर ‘ सार्थक पहल करे । गैर वित्तीय मांग है जिसे हमारी सरकार पूरी करना चाहती है । प्रशासनिक अधिकारियो द्वारा भ्रांतिपूर्ण तथ्य शासन के समक्ष रखने के कारण पहल नही हो पा रहा है । हम वित्तीय वर्ष 2022-23 के लक्ष्य को पूर्ण कर शासन को हुए नुकसान की भरपाई कर लेंगे।
सूरज सिंह ठाकुर ने बताया कि अवगत हो कि कोरोना काल में भी हमने अपनी जान की परवाह किए बिना छत्तीसगढ़ को देश भर में अव्वल स्थान दिलाया है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में 13.61 मानव दिवस, वित्तीय वर्ष 2020-21 में 18.86 करोड़ एवं वित्तीय वर्ष 2021-22 में 16.92 करोड़ मानव दिवस सृजित किए है। इसी क्रम में वित्तीय वर्ष 2019-20 में 3009 करोड़, वित्तीय वर्ष 2020-21 में 4113 करोड़ एवं वित्तीय वर्ष 2021-22 में 3988 करोड़ की राशि का व्यय किया गया है, जो प्रस्तावित लक्ष्य का शत प्रतिशत है। जो हमारी मेहनत और योजना के प्रति लगन का साक्ष्य है, किंतु इतना करने के बाद भी अधिकारियों का रवैया हमारे लिए संवेदनशील नहीं है, जो कि खेद का विषय है।

akhilesh

Chief Reporter

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