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हत्यारों को सजा दिलाने के लिए ; लॉ की पढ़ाई की: अब पहुंचाया जेल….

डेक्स  –  बांग्लादेश की शगुफ्ता तबस्सुम अहमद पेशे से वकील हैं। उन्होंने 16 साल की लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद अपने पिता के हत्यारों को सजा दिलवाई है। शगुफ्ता कभी वकालत नहीं करना चाहती थीं, लेकिन पिता के कहने पर कानून की पढ़ाई की।

शगुफ्ता तबस्सुम अहमद ने बताया कि 2011 में उनके पिता का केस हाईकोर्ट पहुंचा। जहां आरोपी मोहिउद्दीन को बेल दे दी गई।
शगुफ्ता कहती हैं- पिता डॉ. ताहिर अहमद बांग्लादेश के राजशाही जिले की यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। परिवार यूनिवर्सिटी की ओर से मिले क्वार्टर में रहता था। स्कूल की पढ़ाई खत्म होने के बाद मैं पेरेंट्स के कहने पर वकालत पढ़ने ढाका चली गईं। मेरे भाई संजीद मल्टीनेशनल कंपनी में HR की नौकरी करने चले गए। 2006 में पापा की हत्या से एक हफ्ते पहले वो ढाका आए और परिवार से मिलकर लौट गए। यह मीटिंग उनके एक सहयोगी डॉ. मिया मोहम्मद मोहिउद्दीन से जुड़ी हुई थी। मोहिउद्दीन पहले पापा के करीबी मित्र थे, लेकिन रिश्ते में खटास तब आई जब पापा ने मोहिउद्दीन को चोरी करते पकड़ लिया। 2 फरवरी को मैंने पापा से बात करने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं हो सकी। 3 फरवरी को खबर आई कि पापा का शव यूनिवर्सिटी के बगीचे के सेप्टिक टैंक में मिला है। फिर मामले की जांच हुई।

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शगुफ्ता ने कहा- जांच में पता चला कि डॉ. मोहिउद्दीन ने ही 3 लोगों के साथ मिलकर इस हत्या को अंजाम दिया। 2008 में निचली अदालत ने 4 लोगों को दोषी पाया और मौत की सजा सुनाई गई। हालांकि, हाईकोर्ट ने 2011 में मोहिउद्दीन को रिहा कर दिया। मैंने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सजा दिलाने तक लड़ाई लड़ी।

यह तस्वीर शगुफ्ता और उनकी मां की है। दोनों ही न्यूजपेपर में छपे केस से जुड़े आर्टिकल्स देख रही हैं।

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परिजन की हत्या के केस लड़ रहे वकीलों की मदद कर रहीं
शगुफ्ता के पिता के कातिल मोहिउद्दीन रसूखदार परिवार से थे और उनके साले बांग्लादेश के एक प्रभावशाली नेता थे। इस कारण उन्हें सजा दिलाना बेहद मुश्किल काम था। बीते 5 अप्रैल 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने मोहिउद्दीन की मौत की सजा बरकरार रखी। पिता के कातिलों को अंजाम तक पहुंचाने के साथ ही शगुफ्ता ने फैसला किया कि वे उन वकीलों की मदद करेंगी, जो परिजन की हत्या के केस लड़ रहे हैं।

akhilesh

Chief Reporter

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