अविवादित नामांतरण का अधिकार अब पंचायतों के हवाले, ग्रामीणों को राहत
बिलासपुर- ग्रामीणों व किसानों के लिए यह राहत भरी खबर हो सकती है। राज्य शासन ने अविवादित नामांतरण और खाता विभाजन का कार्य अब प्रदेशभर के ग्राम पंचायतों को दे दिया है। संचालक भू अभिलेख ने प्रदेशभर के कलेक्टरों को पत्र लिखकर राज्य शासन द्वारा नामांतरण नियमों के संशोधन की जानकारी दी है। साथ ही यह भी कहा है कि नामांतरण प्र्रिया में सरलीकरण किया गया है। संचालक भू अभिलेख के पत्र के बाद माना जा रहा है कि राज्य शासन से प्रदेशभर के कलेक्टरों को इस संबंध में विस्तृत गाइड लाइन जारी किया जाएगा।
इसके अनुसार ग्राम पंचायतों को अविवादित नामांतरण व खाता विभाजन का कार्य करना है। नामांतरण व खाता विभाजन का कार्य प्रारंभ करने से पहले ग्राम पंचायतों की भुईंया साफ्टवेयर में आइडी बनेगी। लागिन आइडी के जरिए प्रकरणों के निराकरण के बाद पूरी जानकारी अपलोड करनी होगी।
स्थानीय स्तर पर राजस्व से संबंधित इन महत्वपूर्ण प्रकरणों के निराकरण होने से ग्रामीणों व किसानों को सहुलियत होगी। इसी काम के लिए तहसीलदार कार्यालय का चक्कर काटना पड़ता है। पटवारी से शुरू होकर तहसीलदार कार्यालय तक ग्रामीणों व किसानों को जद्दोजहर करनी पड़ती है। अपना काम छोड़कर तहसीलदार कार्यालय जाना पड़ता है। इस तरह की दिक्कतोंे से अब छुटकारा मिल जाएगा।
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ऐसे बनेगी पंचायतों की आइडी
भुईंया साफ्टवेयर में प्रदेशभर के ग्राम पंचायतों की मैपिंग की जाएगी। इसके बाद पंचायतों की लागिन आइडी खुद-ब-खुद बन जाएगी। भुईंया साफ्टवेयर में तहसीलदार द्वारा आइडी में उपलब्ध प्रबंधन मेनू में ग्राम पंचायत की मैपिंग के लिए विकल्प रहेगा। इसी के जरिए राजस्व प्रकरणों का निराकरण और डाटा अपडेशन का कार्य किया जाएगा।
तहसीलदारों को ये करना है
तहसीलदारों को अपने प्रभार वाले ग्राम पंचायतों के ग्राम व पंचायत मुख्यालय की मैपिंग करानी होगी। ग्राम पंचायतों के सचिव का नाम,मोबाइल नंबर अपलोड करना होगा। पंचायतों के आइडी में ग्राम पंचायत सचिव का नाम व मोबाइल नंबर अपलोड करने कहा गया है।