निजीकरण हर मर्ज की दवा नहीं है , रिजर्व बैंक
मुंबई – रिजर्व बैंक ने कहा है कि अब देश इस आर्थिक सोच से काफी आगे निकल आया है कि निजीकरण ही हर मर्ज की दवा है, सरकारी बैंकों का धुआंधार तरीके से यानी हड़बड़ी में बड़े पैमाने पर निजीकरण करना ठीक नहीं होगा। ऐसा करने पर फायदे से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है. यह बात रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने अपने एक ताजा बुलेटिन में कही है।
गुरुवार 18 अगस्त को जारी इस बुलेटिन में आरबीआई ने देश के फाइनेंशियल सिस्टम में सरकारी बैंकों की भूमिका खुलकर तारीफ की है। साथ ही यह भी कहा है कि सरकारी बैंकों का एक मात्र मकसद अधिकतम मुनाफा कमाना नहीं होता। अगर देश के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक वित्तीय सेवाएं पहुंचाने के लक्ष्य को ध्यान में रखा जाए तो हमारे सरकारी बैंकों ने प्राइवेट बैंकों से कहीं बेहतर काम किया है। इतना ही नहीं, सरकारी बैंकों ने आर्थिक दबाव के बीच मॉनेटरी पॉलिसी को सफल बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।