नोडल अधिकारी बोले- खरीदे गए धान खराब हुए तो समिति प्रबंधक करेंगे भरपाई, 18 खरीदी केंद्रों में चबूतरा नहीं
जिले में 1 नवंबर से धान खरीदी शुरू हो चुकी है। खरीदी को शुरू हुए 10 दिन हो चुके हैं। लेकिन खरीदी केन्द्रों में धान रखने के लिए उचित व्यवस्था नहीं हो पाई है। जिले में कुल 123 खरीदी केन्द्र हैं। इनमें से 18 खरीदी केन्द्रों में चबूतरे का निर्माण नहीं हो पाया है। जबकि इन केंद्रों में दो साल से धान खरीदी की जा रही है। यहां धान को जमीन पर रखना पड़ रहा है।
भास्कर ने खरीदी केन्द्र जेवरा, बसनी, जिया, किरीतपुर सहित 10 से अधिक खरीदी केन्द्रों में पड़ताल की तो चौंकाने वाले नजारे दिखे। इन केन्द्रों में पर्याप्त चबूतरा नहीं है। इसलिए यहां समिति प्रबंधकों के द्वारा खरीदे गए धान को रखने के लिए प्लास्टिक की पुरानी बोरी में सड़े हुए भूसी को भरकर रखा गया है।
ये स्थिति जिले की सभी सोसाइटियों में बनी हुई है। प्रबंधकों ने पैसा खर्च न करना पड़े इसलिए भूसी की खरीदी ही नहीं की है। भूसी कम होने पर पुराने प्लास्टिक बोरी को फाड़कर इन बोरियों में भरकर धान रखने स्टाक की व्यवस्था की गई है। वही उबड़-खाबड़ मैदान को समतल नहीं कराया गया है। ऐसे में बारिश हुई तो गड्ढे में पानी भरने से धान भीगने का खतरा बना रहेगा।
इधर जाम की स्थिति: 23 हजार 875 मीट्रिक टन धान में से केवल 522 मीट्रिक टन धान का ही उठाव हो सका
डीएम आशुतोष कोसरिया ने बताया कि जिले में इस साल कुल 7 लाख 9 हजार मीट्रिक टन धान की खरीदी का लक्ष्य मिला है। 120 खरीदी केन्द्रों में 6145 किसानों से अभी तक 23 हजार 875 मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई है। इनमें से अभी तक केवल 522 मीट्रिक टन धान का उठाव मिलरों के द्वारा किया गया। जबकि शासन से 7813 मीट्रिक टन धान का उठाव करने के लिए डीईओ जारी किया गया है। ऐसे में उठाव धीमी गति से किए जाने के कारण खरीदी केन्द्रों में धान जाम हो रहा है। जिसको लेकर प्रबंधकों की चिंता बढ़ गई है।
क्योंकि समितियों में धान जाम होने से सूखत की समस्या से आती है। ऐसे में इसकी भरपाई समितियों को उठाना पड़ता है। इसके अलावा बदली व खरीदी केन्द्रों में पर्याप्त चबूतरे नहीं होने से व्यवस्था नहीं होने से समस्या बनी हुई है। अभी तक केवल दीगर जिलों के मिलर ही धान का उठाव कर रहे है। जिले के एक भी मिलर ने अभी धान का उठाव नहीं किया है। जबकि 44 मिलरों के द्वारा धान उठाने के लिए पंजीयन कराया गया।
चबूतरे की मरम्मत नहीं चूहे से धान को नुकसान
खरीदी केन्द्रों में धान रखने बनाए गए चबूतरे टूट गए है। जिसकी मरम्मत तक नहीं कराई गई है। पड़ताल के दौरान खरीदी केन्द्र जिया में चबूतरा टूटा मिला। इसलिए रखे गए धान को चूहे नुकसान पहुंचा रहे हैं। वही बसनी, जिया, किरीतपुर, आंदू में खरीदी केन्द्र के मैदान को समतल नहीं कराया गया है। इसी तरह बसनी खरीदी केन्द्र में खुले आसमान के नीचे केन्द्र के मैदान में बारदाना को रखा गया है। जिसे ढंका तक नहीं गया था। बारिश होने पर बारदाना भीगने से नुकसान होगा।
जगह नहीं होने से निजी जमीन किराए पर लिए
जिले में कई धान खरीदी केन्द्र ऐसे हैं, जहां सरकारी जमीन तक नहीं है। इसलिए निजी जमीन को उधारी लेकर धान खरीदी की जाती है। इनमें खरीदी केन्द्र मारो, चक्रवाय, बिटकुली, कुसमी, बेमेतरा, कुम्ही, आंदू, हरदी, जानो, गनियारी, भदराली, जांता, परपोड़ा, देवकर, राखी, बीजा, पदमी, बसनी शामिल है। इन केन्द्रों में खरीदे गए धान को रखने के लिए मैदान में प्लास्टिक की बोरी में भूसी भरकर रखने की व्यवस्था बनाई गई है। नोडल अधिकारी दिलमोहन डेहरे ने बताया कि इस साल खरीदी केन्द्रों में 1155 शेड निर्माण के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। अभी तक मंजूरी नहीं मिल पाई है।
डिमांड बनाकर भेजा गया है
समिति प्रबंधकों का कहना है कि मिलरों को डिमांड बनाकर भेजा गया है। अभी तक भूसी नहीं मिली है। धान खरीदी जिला नोडल अधिकारी दिलमोहन डेहरे ने बताया कि खरीदी केन्द्रों में भूसी की व्यवस्था करना समिति प्रबंधकों की जवाबदारी है। अगर खरीदे गए धान खराब या नुकसान होता है, इसकी भरपाई समितियों से की जाएगी।