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नवागढ़ बन चुका है नाशागढ़; पुलिस विभाग पर बड़ा दाग! या सवाल?

बेमेतरा। ज़िला के नवागढ़ क्षेत्र को नाशागढ़ कहा जाये तो अतिसंयोक्ति नहीं होगा क्योंकि नवागढ़ में शराब व गाँजा माफियाओं के साँथ साँथ सट्टा का कारोबार खूब फल फूल रहा है।  ग्रामीणों का कहना है कि नवागढ़ में मादक पदार्थों का बड़ा खेल खेला जा रहा हैं। इस खेल में स्थानीय पुलिस का संरक्षण जब तक न हो तब तक अंजाम देना संभव नहीं…? 

ग्रामीणों द्वारा बताए गए स्थान में जब ग्राउंड पड़ताल किया गया तब चौकाने वाले मामले आते गये (ग्रामीणों नें नाम न बताने की शर्त में न्यूज़ बिंदास की टीम को लगातार साक्ष्य उपलब्ध कराते गए) प्रशासन के संज्ञान में होने के बावजूद  कार्यवाही के नाम पर मात्र खाना पूर्ति हुआ…

खुलेआम बिना किसी क़ानून से डरे पुलिसिया विभाग के संरक्षण से इन नशीली पदार्थों की बिक्री का धन्धा चला रहे है…

घरों के बुझ रहे चिराग:-

बेमेतरा ज़िला के ग्रामीण क्षेत्र में पुलिस विभाग की अनदेखी और मिलीभगत के कारण गांव-गांव में मादक पदार्थों की बिक्री ने कई गरीब परिवारों को उजाड़ दिया है। इन ग़ैर क़ानूनी बिक्री पर अधिकारी चांदी कूट रहे हैं। वहीं दूसरी ओर नवागढ़, साजा तथा बेरला के आस-पास स्थित गांवों के कई परिवारों की ज़िंदगियाँ उजड़ रही हैं।

शराब को घर तक पहुंचाते है माफिया:-

ग्रामीण बतातें है कि कई गांवों में घरों तक अवैध शराब धड़ल्ले से पहुंचाकर बेची जा रही है। इन शराब माफियों ने अपना ज्यादा फोकस गांवों में कर रखा है। ग्रामीण क्षेत्र में लोग मजदूरी पर जाते समय और आते समय गांवों के अवैध शराब माफियाओं पर मुंह मांगी रकम देकर शराब लेते हैं। ग्रामीण परिवार के लोगों ने बताया कि ये शराब माफिया गांवों से हट जाए तो हमारे परिवार की माली हालत सुधर जाए और हम लोग भी हमारे बच्चों को अच्छी प्राइवेट स्कूल में पढ़ने भेजें, लेकिन भगवान कब सुनेगा या हमें सपने ही दिखाकर रखेगा..? 

क्यों नहीं हो रही कार्रवाई:-

समाज सेवी और ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षित लोग लगातार इसका विरोध करते है।लेकिन इन सब के लिये जवाबदार अधिकारी माफियाओं के आगे नतमस्तक हो जाते है। शिकायत करने जाते है तो तत्काल माफिया को पुलिस ही गोपनीयता भंग जानकारी दे देते है। जिससे डरे सहमे रहते है ग्रामीण…

विडियो में दिख रहे गाँजा और शराब माफियाओं से ये पता चलता है कि सारा अवैध कारोबार मंथली देने से चलता है । जागरूक ग्रामीणों का कहना है कि ये मंथली का पैसा उच्चाधिकारियों तक अधिकारियों के मार्फत पहुंचाया जाता है।

आखिर सरगना तक पुलिस के कप्तान कब पहुंचेगा और यह खेल कब ख़त्म होगा इसकी आस लगाए ग्रामीण बैठे हुए है…

अब नई सरकार और नई प्रशासन से ग्रामीणों को नशे के सौदागरों से कैसे मुक्ति मिलेगी यह भी यक्ष प्रश्न है?

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