नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ, सरकार का बड़ा फैसला
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में राज्य गठन के बाद पहली बार ऐसा होगा जब स्थानीय स्तर पर “एक राज्य, एक चुनाव” की अवधारणा साकार होती नजर आएगी। राज्य सरकार ने नगरीय निकाय चुनाव और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव एक साथ कराने का ऐलान किया है। यह फैसला भाजपा की “एक देश, एक चुनाव” और “वन नेशन, वन राशन कार्ड” जैसी अवधारणाओं की तर्ज पर एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
राज्य के लिए रोल मॉडल बनेगा छत्तीसगढ़
राज्य सरकार के इस ऐतिहासिक निर्णय के बाद छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय राजनीति के लिए एक उदाहरण बन सकता है। नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव एक साथ कराने से प्रशासनिक और वित्तीय बचत तो होगी ही, साथ ही चुनाव प्रक्रिया में भी पारदर्शिता बढ़ेगी।
सत्ताधारी दलों और निकाय अध्यक्षों को होगा असर
राज्य सरकार के इस निर्णय का सबसे बड़ा असर नगर निगमों, नगर पालिकाओं, और नगर पंचायतों के मौजूदा अध्यक्षों और सत्ताधारी दलों पर पड़ेगा। चुनाव से पहले ही उन्हें अपने पद से विदाई लेनी होगी। राज्य सरकार ने इन परिस्थितियों का सामना करने के लिए पहले ही योजना तैयार कर ली है।
प्रशासकों की नियुक्ति का विकल्प तैयार
निकाय चुनाव में संभावित देरी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने नगर निगम, नगर पालिका, और नगर पंचायतों में प्रशासकों की नियुक्ति का विकल्प तैयार किया है। अगर चुनाव में तीन से चार महीने की देरी होती है, तो प्रशासक चार महीने तक शहर सरकार की कमान संभालेंगे।
103 नगर पंचायतों और 10 नगर निगमों में प्रशासक संभालेंगे जिम्मेदारी
अगर चुनाव में विलंब हुआ, तो प्रदेश के 10 नगर निगम, 38 नगर पालिकाएं, और 103 नगर पंचायतों में प्रशासक नियुक्त किए जाएंगे। इन प्रशासकों को तब तक जिम्मेदारी सौंपी जाएगी जब तक कि चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती।
प्रशासनिक स्तर पर तैयारी तेज
राज्य सरकार के इस फैसले के बाद प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां तेज हो गई हैं। चुनाव प्रक्रिया को एक साथ संपन्न कराने के लिए रणनीतियां बनाई जा रही हैं। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि चुनाव प्रक्रिया में देरी के दौरान प्रशासकों की नियुक्ति और उनके कार्यकाल को लेकर क्या प्रभाव पड़ता है।
संभावना यह है कि छत्तीसगढ़ में नए साल की शुरुआत स्थानीय प्रशासनिक बदलावों और चुनावी गतिविधियों से होगी। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह कदम राज्य के विकास और राजनीति पर क्या असर डालता है।