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आ रहा मानसून! गर्मी से मिलेगी राहत! छत्तीसगढ़ में इस तारीख़ को एंट्री।

Monsoon Update 2024:- दक्षिण-पश्चिम (South-West Monsoon) मॉनसून के 31 मई के आसपास केरल पहुंचने की संभावना है, इसी आधार पर अन्य राज्यों के लिए मॉनसून की गति तय होगी. जो भारत की कृषि आधारित अर्थव्यवस्था के लिए चार महीने के बारिश के मौसम के लिए मंच तैयार करेगा. भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के मुताबिक, इस साल दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 31 मई को केरल में पहुंच सकता है. हालांकि, इसमें चार दिनों के आगे या पीछे होने की संभावना बनी रहती है

वर्षा वितरण का अनुमानित आँकड़ा

Chhattisgarh Monsoon Update:-

मौसम विभाग ने कहा है कि इस साल मानसून समय पर छत्तीसगढ़ पहुंच सकता है। मानसून के 16 जून तक जगदलपुर पहुंचने की संभावना है वहीं सबकुछ ठीक रहा तो 20 जून तक मध्य छत्तीसगढ़ यानी रायपुर और दुर्ग संभाग में मानसून की बारिश की शुरुआत हो सकती है। मानसून एक जून तक केरल में प्रवेश कर सकता है। फिलहाल बंगाल की खाड़ी में तैयार हुए सिस्टम से मानसून का आगाज हो गया है।

मौसम विभाग के मुताबिक, बंगाल की खाड़ी में अंडमान सागर और द्वीप समूह पर मानसून के दो दिन पहले यानी 19 मई को ही पहुंचने की संभावना है, जबकि वहां दस्तक देने की सामान्य तारीख 21 मई है। पिछले साल भी मानसून ने अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में 19 मई को ही दस्तक दी थी, लेकिन केरल में 9 दिन देरी से 8 जून को पहुंचा था।

मानसून आने व जाने की जानकारी क्षेत्र अनुसार

इस बार ला नीना से अच्छी बारिश का अनुमान:-
क्लाइमेट (जलवायु) के दो पैटर्न होते हैं, अल नीनो और ला नीना। पिछले साल अल-नीनो सक्रिय था, जबकि इस बार अल-नीनो परिस्थितियां इसी हफ्ते खत्म हुई हैं और संभावना बन रही है कि तीन से पांच हफ्तों में ला-नीना परिस्थितियां पैदा हो जाएंगी। पिछले साल अल-नीनो के समय सामान्य से कम 94% बारिश हुई थी। 

अल नीनो (El Nino) किसे कहते है?

ऊष्ण कटिबंधीय प्रशांत के भूमध्यीय क्षेत्र में समुद्र का तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आये बदलाव के लिए जिम्मेदार समुद्री घटना को अल नीनो कहते हैं। इस बदलाव के कारण समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से बहुत अधिक हो जाता है। ये तापमान सामान्य से 4 से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो सकता है।

ला नीना (La Nina) क्या है?

भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर क्षेत्र के सतह पर निम्न हवा का दबाव होने पर ये स्थिति पैदा होती है। इसकी उत्पत्ति के अलग-अलग कारण माने जाते हैं लेकिन सबसे प्रचलित कारण ये तब पैदा होता है, जब ट्रेड विंड, पूर्व से बहने वाली हवा काफी तेज गति से बहती हैं। इससे समुद्री सतह का तापमान काफी कम हो जाता है। इसका सीधा असर दुनियाभर के तापमान पर होता है और तापमान औसत से अधिक ठंडा हो जाता है।

IMD का अनुमान- इस साल 106% यानी 87 सेंटीमीटर बारिश हो सकती है

पिछले महीने IMD ने बताया था कि देश में इस साल सामान्य से बेहतर मानसून रहेगा। मौसम विभाग (IMD) 104 से 110 फीसदी के बीच बारिश को सामान्य से बेहतर मानता है। यह फसलों के लिए अच्छा संकेत है। खरीफ की फसलें सामान्य मानसूनी बारिश पर निर्भर करती हैं।

इससे पहले 9 मार्च को प्राइवेट वेदर एजेंसी स्काईमेट ने सामान्य मानसून का अनुमान जारी किया था। यानी जून से सितंबर तक 4 महीने में 96 से 104% के बीच बारिश हो सकती है।

20 से ज्यादा राज्यों में सामान्य से ज्यादा बारिश का अनुमान: 

केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र , गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, पंजाब, चंडीगढ़, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, प.बंगाल, सिक्किम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, पुड्डुचेरी, अंडमान निकोबार द्वीप समूह, लक्षदीप, दादरा और नगर हवेली, दमन-दीव।

4 राज्यों में सामान्य बारिश का अनुमान:

छत्तीसगढ़, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख।

6 राज्यों में सामान्य से कम बारिश का अनुमान: 

ओडिशा, असम, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा।

मौसम से जुड़ी दो जरूरी बातें…

1. मौसम के प्रभाव के चलते शुरुआत (जून-जुलाई) में मानसून की रफ्तार धीमी रहेगी, लेकिन दूसरे फेज (अगस्त-सितंबर) में इसकी भरपाई हो जाएगी। IMD ने बताया कि मानसून को लेकर अगली संभावना मई के आखिरी सप्ताह में जारी की जाएगी।

2. वैज्ञानिकों के मुताबिक भारी बारिश वाले दिनों की संख्या घट रही है, जबकि बहुत तेज बारिश वाले दिनों यानी कम समय में बहुत ज्यादा बारिश वाले दिनों की संख्या बढ़ रही है। इसकी वजह बार-बार आने वाला सूखा और बाढ़ है।