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आपके घर की LED बल्ब बना रहे जेल के कैदी…

कहते हैं कि जहां चाह है, वहां राह है जेल में बंद कोई बंदी या कैदी उस परिंदे के समान होता है जो पिंजरे में कैद होने के बाद अपनी उम्मीदों को लगभग खत्म कर चुका होता है लेकिन कैद खाने में रहने के बाद भी कुछ लोग अपने हौसलों को कमजोर नहीं होने देते हैं। अगर किसी अपराधी को सही राह दिखाई जाए तो उसकी जिंदगी भी बदल जाती है।

जी हां कुछ इसी तरह की अलख इन दिनों जेल के अंदर बंदियों के मन में जगा कर जीने की राह दिखाई जा रही है । जेल प्रशासन द्वारा रामपुर की जिला जेल में निरुद्ध बंदियों को ट्रेंड करने के बाद घर में इस्तेमाल होने वाले एलईडी बल्बों को बनाए जाने का सराहनीय कार्य कराया जा रहा है।

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रामपुर की जिला जेल में कौशल विकास कार्यक्रम के अंतर्गत 2 दर्जन से अधिक बंदियों व कैदियों को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के कार्य को लेकर प्रशिक्षण दिया गया था । अब इस कार्यक्रम की दिलचस्प बात यह है कि जेल प्रशासन के सराहनीय प्रयासों के चलते दर्जनभर बंदी पूरी मेहनत और लगन के साथ घरों में इस्तेमाल होने वाले एलईडी बल्बों को बनाने में जुट चुके हैं ।

जेल में अक्सर वही लोग बंद होते हैं जो कानून का उल्लंघन करते हैं और धीरे-धीरे छोटी बड़ी वारदातों को अंजाम देना ही अपना मकसद बना लेते हैं । इसकी सबसे बड़ी वजह यह होती है कि उन्हें गुनाह की सजा मिलने के बाद भी सही राह व हुनर हासिल नहीं हो पाता है और वह एक बार फिर से गुनाह की दलदल में धंसते चले जाते हैं । हुनर की यही अलख जगाते हुए बंदियों व कैदियों को जेल प्रशासन द्वारा प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि वह अपने गुनाह की सजा भुगतने के बाद और जेल से निकलने के बाद किसी के मोहताज ना रहे और अपने हुनर के बल पर सभ्य समाज का हिस्सा बन सकें ।

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जेल अधीक्षक प्रशांत मौर्या के मुताबिक कौशल विकास कार्यक्रम के अंतर्गत जिला कारागार रामपुर में विगत माह करीब 30 बंदियों को इलेक्ट्रिशियन मैच के लिए उनको प्रशिक्षण दिया जा चुका है । जिसमें उनको विभिन्न तरीके के विद्युत उपकरणों को रिपेयर करना सिखाया गया है और उसी अनुक्रम में उन्हें एलईडी बल्ब (led bulb) जो घर में उपयोग होते हैं सामान्य तौर पर उसको भी बनाने का कार्य सिखाया गया था ।अब प्रशिक्षण पाकर वह बंदी लगभग स्किल्ड हो गए हैं और अच्छी गुणवत्ता के बल्ब का निर्माण करने लगे हैं । वर्तमान में 30 बंदियों को इलेक्ट्रिशियन का प्रशिक्षण दिया गया था । जिसमें से 10 बंदी विशेष रूप से उल्लेखनीय कार्य कर रहे थे तो उन 10 बंदियों को अलग करके उन्हें बल्ब बनाने का कार्य दिया गया है और इसी के तहत वह 10 बंदी एलईडी बल्ब बनाने का कार्य कर रहे हैं ।

 

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