जानें हरेली तिहार क्यों मनाया जाता है? राज्य छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना हरेली के दिन शुरू करने की खास वजह
रायपुर| हरेली आपने नाम तो सुना होगा. किसानो का यह अपना त्यौहार है जिसे वह अपने दवारा इस्तेमाल में लायी जाने वाली हल, बैल, और तरह तरह के औजार जो खेती बड़ी में काम आते हैं की पूजा करते हैं.यह छत्तीसगढ़ का त्यौहार है जिसे वहां के किसान परिवार बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. उत्तराखंड में यही त्यौहार हराला के नाम से मनाया जाता है.
जाने हरेली त्यौहार छत्तीसगढ़ में कैसे मनाते है?…
हरेली छत्तीसगढ़ का त्यौहार है जिसे वहां के किसान परिवार बड़ी धूमधाम से मनाते हैं. किसान लोक पर्व हरेली पर आज खेती-किसानी में काम आने वाले उपकरण और बैलों की पूजा करेंगे। इस दौरान सभी घरों में पकवान भी बनेंगे। इस दिन कुलदेवता की भी पूजा करने की परंपरा है। हरेली पर किसान नागर, गैंती, कुदाली, फावड़ा समेत कृषि के काम आने वाले सभी तरह के औजारों की साफ-सफाई कर उन्हें एक स्थान पर रखेंगे और इसकी पूजा-अर्चना करेंगे। इस अवसर पर सभी घरों में गुड़ का चीला बनाया जाएगा।
हरेली के दिन ज्यादातर लोग अपने कुल देवता और ग्राम देवता की पूजा करते हैं। कई घरों में कुलदेवता और ग्राम देवता को प्रसन्न करने के लिए मुर्गा और बकरे की बलि भी दी जाती है। लिहाजा, ग्रामीण क्षेत्रों में सुबह से शाम तक उत्सव जैसी धूम रहेगी।
गेड़ी चढ़ते है
गांव के बच्चे गेड़ी चढ़ते है, वहीं गेड़ी दौड़ नित्य का भी जगह- जगह आयोजना होता है. हरेली के दिन गांव में युवाओं की टोली नारियल फेक कर नारियल जीत खेलते है. हरेली में जहां किसान कृषि उपकरणों की पूजा कर पकवानों का आनंद लेते हैं, वहीं युवा और बच्चे गेड़ी चढ़ने का मजा लेंगे. लिहाजा, सुबह से ही घरों में गेड़ी बनाने का काम शुरू हो जाएगा. ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है, जो इस दिन 20 से 25 फीट ऊंची गेड़ी बनवाते है.
छत्तीसगढ़ सरकार की गोधन न्याय योजना
गोधन न्याय योजना ग्रामीणों, किसानों एवं पशुपालकों को लाभ पहुंचाने की एक अभिनव योजना है। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा इसकी शुरूआत 20 जुलाई हरेली पर्व से राज्य में की जा रही है। इस योजना के तहत किसानों एवं पशुपालकों से दो रूपए किलो की दर से गोबर की खरीदी की जाएगी, जिसके जरिए गौठानों में बड़े पैमाने पर वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण एवं अन्य उत्पाद तैयार किए जाएंगे।
इससे गांव में लोगों को रोजगार एवं आर्थिक लाभ प्राप्त होगा। राज्य में जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा। गोधन न्याय योजना के तहत प्रदेश में प्रथम चरण में ग्रामीण क्षेत्रों के 2408 और शहरी क्षेत्रों के 377 गौठानों में गोबर की खरीदी प्रारंभ की जाएगी। चरणबद्व रूप से सभी 11 हजार 630 ग्राम पंचायतों में गौठान का निर्माण पूरा होने इस योजना के तहत वहां भी गोबर खरीदी की जाएगी।
प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में ग्रामीणों और किसानों की बेहतरी के लिए कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। किसानों की कर्ज माफी के साथ ही उन्हें उनकी फसल का वाजिब मूल्य दिलाने तथा फसल उत्पादकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राजीव गांधी किसान न्याय योजना की शुरूआत की गई है।
इस योजना के तहत राज्य के 19 लाख किसानों को 5750 करोड़ रूपए की मदद दी जा रही है। इस योजना के तहत किसानों को प्रथम किश्त के रूप में 1500 करोड़ रूपए की राशि दी जा चुकी है। आगामी 20 अगस्त को राजीव किसान योजना की द्वितीय किश्त की राशि जारी की जाएगी।
हरेली के दिन ही गोधन न्याय योजना शुरू करने का खास कारण
छत्तीसगढ़ में हरेली की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है.किसान परिवार हरेली को बड़े धूमधाम से मनाते हैं.ऐसे में हरेली के दिन ही गोधन न्याय योजना शुरू करने का कारण यह है कि छत्तीसगढ़ में गोबर का बहुत महत्व है,आज भी गोबर का छत्तीसगढ़ वासी बहुत शुद्ध और पवित्र मानते है.
गोबर का उपयोग छत्तीसगढ़ में धार्मिक आयोजन से लेकर तीज त्यौहारों सभी के किया जाता है.हरेली को किसान प्रमुख रूप से मनाते है, इसमें बुरी शक्ति से बचने के लिए भी गोबर का उपयोग किया जाता है. गर्भवती महिलाएं भी बुरी शक्ति से बचने के लिए अपने पेट में गोबर का लेप लगती है. घरो में भी गोबर लीपा जाता है.ऐसे में हरेली के दिन ही गोधन न्याय योजना शुरू होने से छत्तीसगढ़ वासियों को राज्य सरकार की तरफ से बड़ा तोहफा मिलेगा.
जानिए सरकार के गोबर खरीदने का खास कारण
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना को पूरी तरह से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के आधार पर तैयार किया गया है। इससे अतिरिक्त आमदनी सृजित होगी। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। इस योजना के क्रियान्वयन के लिए पूरा एक सिस्टम काम करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्मी कम्पोस्ट के जरिए हम जैविक खेती की ओर बढेंगे। इसका बहुत बड़ा मार्केट उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि गोधन न्याय योजना के माध्यम से तैयार होने वाली वर्मी कम्पोस्ट खाद की बिक्री सहकारी समितियों के माध्यम से होगी। राज्य में किसानों के साथ-साथ वन विभाग, कृषि, उद्यानिकी, नगरीय प्रशासन विभाग को पौधरोपण एवं उद्यानिकी की खेती के समय बड़ी मात्रा में खाद की आवश्यकता होती है। इसकी आपूर्ति इस योजना के माध्यम से उत्पादित खाद से हो सकेगी। मुख्यमंत्री ने एक सवाल के जवाब में आगे यह भी कहा कि अतिरिक्त जैविक खाद की मार्केटिंग की व्यवस्था भी सरकार करेगी।