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Chhattisgarh के कबीरधाम में टूटी पुल और खराब सड़क को लेकर ग्रामीणों का अनूठा विरोध।

कबीरधाम समाचार:- जिले के पंडरिया विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत ग्राम पंचायत सोनपुरी के पोषक ग्राम नवागांव के ग्रामीण आजादी के सात दशक बाद भी बराक पुल और समर्थकों में समाजवादी रोड के साझीदार जी रह रहे हैं। नवागांव से नए जाने वाली मुख्य सड़क की स्थिति इतनी खराब है कि वहां जाना मुश्किल हो गया है, सड़क पर शीशे टूट गए हैं। 

इनराही सॉसेज को लेकर ग्रामीण कांस्टेंट एक ही बात हो रही है-

रोको नहीं तो वोट नहीं और पोलिंग बूथ नहीं’

सरकार बदली, नेता बदले, अधिकारी-कर्मचारी बदले लेकिन नहीं बदले तो उनके गांव की तस्वीरें। गांव तक जाने वाले रास्ते की तस्वीरें आज भी वैसे ही हैं जैसे पहले थीं। उनके द्वारा इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए कई बार डेमोक्रेट से लेकर प्रतिनिधि तक को अवगत कराया जा चुका है। बेमेतरा जिले के खत्म होने पर ही कबीरधाम जिले का एक खंडहर, खंडहर नुमा रोड नवागांव के लिए जाता है। इस सड़क में तस्वीर वाली पुल टूट गई है फिर भी ग्रामीण मजबूर हैं आने वाले को, क्योंकि नियो तक जाने का यह मुख्य मार्ग है। प्रत्येक दिन खराब के कार्य का खतरा स्वास्थ्य हो या शिक्षा सभी के लिए जरूरी हो जाता है ऐसी नासिका में सड़क और टूटा हुआ पुल से रियाल खतरा से खाली नहीं हैं।

आने-जाने में होती है परेशानी:-

ग्रामीणों का कहना है कि बरसात के दिनों में सडक की खराब स्थिति, टूटी पुल और कीचड के चलते यहां के लोगों की जिंदगी शाम होते ही सिमट जाती है। अन्य मौसम में तो किसी तरह लोग आना जाना कर लेते हैं, लेकिन बरसात का मौसम उनके लिए सजा काटने जैसा होता है। कच्चे मार्ग से आवागमन करने में कई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पडता हैं। कच्चा मार्ग मिट्टी युक्त व पथरीला होने के साथ-साथ छोटे-बडे गड्ढों में तब्दील हो गया है। अंधेरे में चलने वाले ग्रामीण राहगीर (विद्यार्थी, गर्भवती महिलाएं) जान जोखिम में डालकर आवागमन करते हैं।

जनप्रतिनिधि नहीं दे रहे ध्यान:-

रीटेल का कहना है कि इस क्षेत्र में सभी आश्रमों के साधु-संत हैं। सरकार प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों के कच्ची पहुंच सड़कों को पक्का करने के लिए गांव-गांव सड़क का निर्माण करा रही है। इस मार्ग पर किसी उत्तरदाता का ध्यान ना जाने कई प्रश्नकर्ता कर रहे हैं। बताया गया कि इस सड़क पर कोई सुध नहीं है और इसकी दिशा में कोई सुधार नहीं हो रहा है। ऐसे में उन्हें कई प्रोटोटाइप का सामना करना पड़ता है।

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