देश की यहीं वो 10 नदियां है, जो हर साल भीषण तबाही और बाढ़ से अरबों का नुकसान पहुंचाकर लोगों को अपनी आगोश में लेती है
दिल्ली | देश एक तरफ जहां कोरोना महामारी से जूझ रहा है वहीं दूसरी ओर बाढ़ की विभीषिका आम लोगों के संकट को और बढ़ा रही है। असम, बिहार समेत देश के एक दर्जन से अधिक राज्य बाढ़ के कहर का सामना कर रहे हैं। चीन से आने वाली ब्रह्मपुत्र नदी असम में, तो नेपाल से आने वाली कोसी-गंडक जैसी नदियां बिहार में भीषण तबाही मचा रही हैं। लाखों की तादाद में लोग बेघर हुए हैं, सैंकड़ों लोगों की बाढ़ के कारण जान गई है तो खेती को भी बड़ा नुकसान हुआ है।
वहीं उत्तराखंड-हिमाचल और पूर्वोत्तर के कई राज्यों में भू-स्खलन और बादल फटने की घटनाओं में भी जानमाल का बड़ा नुकसान हुआ है। बाढ़ के हालात में राहत और बचाव के लिए एनडीआरएफ की टीमें बिहार, असम के अलावा गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, केरल, पंजाब, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, हिमाचल, झारखंड, मणिपुर, राजस्थान, सिक्किम, त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में तैनात हैं।
अरबों रुपये की तबाही-
एशियन डेवलपमेंट बैंक के मुताबिक भारत में जलवायु परिवर्तन से जुड़ी घटनाओं में बाढ़ सबसे अधिक तबाही का कारण है। देश में प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान में बाढ़ की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी है। अनियमित मॉनसून पैटर्न और कुछ इलाकों में कम और कहीं अधिक बरसात इस तबाही को कुछ इलाकों में और बढ़ा देता है। बाढ़ के कारण हताहत लोगों के अलावा बड़े पैमाने पर मकान, कारोबार, फसलों को भी नुकसान पहुंचता है। एक अनुमान के मुताबिक बाढ़ के कारण भारत में पिछले 6 दशकों में करीब 4.7 लाख करोड़ का आर्थिक नुकसान हुआ है।
नदियां जो हर साल बनती हैं तबाही का कारण-
ये एक सच है कि जो नदियां अपने आसपास के इलाकों में खुशहाली का कारण होती हैं वही अपने आसपास के इलाकों में तबाही का कारण भी बनती हैं। बिहार जैसे उपजाऊ राज्य का ही उदाहरण लें तो हरा भरा माने जाने वाले उत्तर बिहार का 73.63 हिस्सा हर साल बाढ़ के खतरे का सामना करता है। बिहार के 38 जिलों में से 28 बाढ़ के खतरे वाले माने जाते हैं। यहां साल भर में जो कुछ होता है बाढ़ उसे तबाह कर जाती है। इन इलाकों के आर्थिक पिछड़ेपन का एक बड़ा कारण ये है।
1. ब्रह्मपुत्र की तबाही
चीन से निकलने वाली ब्रह्मपुत्र नदी दुनिया की नौंवी सबसे लंबी नदी है। असम ही नहीं, ब्रह्मपुत्र का कहर अरुणाचल प्रदेश और बांग्लादेश के कई इलाकों में भी मचा हुआ है। ब्रह्मपुत्र नदी हर साल असम में तबाही का कारण बनती हैं। इस साल भी असम में ब्रह्मपुत्र का उफनता पानी कहर बरपा रहा है।
असम के 33 में से 26 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। 40 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं। हजारों लोग 300 राहत कैंपों में शरण लिए हुए हैं। मकान-सड़कें सब तबाह हो गई हैं। खासकर धेमाजी, जोरहाट, मजूली, शिवसागर और डिब्रूगढ़ जिलों में बाढ़ के हालात सबसे खराब हैं।
2. कोसी का कहर
कोसी नदी को बिहार का अभिशाप ऐसे ही नहीं कहा जाता। हर साल कोसी से लगते कई जिलों में भीषण बाढ़ आती है और सबकुछ बहा ले जाती है। खासकर सहरसा, सुपौल, मधेपुरा और आसपास के जिलों में तबाही हर साल की बात है। इस बार भी कोसी नदी पर बनाया मुख्य तटबंध सुपौल में कई जगहों से टूट चुका है। लोगों को 2008 जैसी तबाही का खतरा सता रहा है। उस बाढ़ में 23 लाख लोग प्रभावित हुए थे। ये नदी नेपाल में हिमालय से निकलती है और बिहार में भीम नगर के रास्ते से दाखिल होती है। इसके भौगोलिक स्वरूप को देखें तो पता चलेगा कि पिछले 250 वर्षों में 120 किमी का विस्तार कर चुकी है
3.गंडक
नेपाल से आने वाली नदियों में गंडक और बूढ़ी गंडक प्रमुख नदियां हैं। इनके पानी में उफान से बिहार के 6 जिलों में बाढ़ जैसे हालात हैं. पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, वैशाली एवं सारण जिलों के कई इलाके बाढ़ की चपेट में हैं।
4. बागमती
नेपाल से ही निकलने वाली बागमती नदी उत्तर बिहार के कई जिलों में कहर बरपा रही है। सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, मधुबनी जिलों के कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात हैं। बिहार में इस नदी की कुल लम्बाई 394 किलोमीटर है। इसकी सहायक नदियां हैं- विष्णुमति, लखनदेई, लाल बकेया, चकनाहा, जमुने, सिपरीधार, छोटी बागमती और कोला नदी।
5. गोमती
गोमती उत्तर प्रदेश में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। इसका उद्गम पीलीभीत जिले की तहसील माधौटान्डा के पास फुल्हर झील से होता है। भारी बारिश के कारण गोमती समेत कई नदियों का पानी उफान पर है। गोमती नदी में बाढ़ के कारण लखनऊ से सटे बीकेटी और इटौंजा के कई इलाके बाढ़ जैसे हालात का सामना कर रहे हैं।
6. नर्मदा
नर्मदा नदी का उफनता पानी मध्य प्रदेश और गुजरात के कई इलाकों में हर साल तबाही का कारण बनता है। यह गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के बाद भारत के अंदर बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है। मध्य प्रदेश में इसके विशाल योगदान के कारण इसे “मध्य प्रदेश की जीवन रेखा” भी कहा जाता है। जून 2015 में आए मॉनसून ने गुजरात को पानी-पानी कर दिया था। गुजरात के कई हिस्से जलमग्न हो गए थे। इस बाढ़ में कुल 123 लोगों की मौत हो गई थी।
7.गोदावरी
गोदावरी नदी महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से बहते हुए राजमुन्द्री शहर के समीप बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती है। इसकी उपनदियों में प्रमुख हैं प्राणहिता, इन्द्रावती, मंजिरा। पिछले साल गोदावरी नदी में आई बाढ़ ने आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी और पश्चिमी गोदावरी जिले और महाराष्ट्र के नासिक के कई हिस्सों को डुबो दिया था।
8.दामोदर
दामोदर नदी पश्चिम बंगाल और झारखंड में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। यह नदी छोटा नागपुर की पहाड़ियों से 610 मीटर की ऊंचाई से निकलती है, जो लगभग 290 किमी का सफर झारखंड में तय करती है। उसके बाद पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर 240 KM का सफर तय करती है। हुगली नदी के समुद्र में गिरने के पूर्व यह उससे मिलती है। झारखंड में अभी दामोदर का पानी ऊफान पर है। जुलाई में ही नदी का जलस्तर 5 साल का रिकॉर्ड तोड़ चुका है। दामोदर नदी में पिछले साल 455 आरएल पानी था, जबकि इस वर्ष 456.65 आरएल पानी है
9. गंगा
उत्तर भारत की जीवनरेखा कही जाने वाली गंगा नदी का पानी अभी तो स्थिर है लेकिन कई जगह बढ़ता जलस्तर चिंता बढ़ा रहा है। गंगा भारत की सबसे महत्त्वपूर्ण नदी है. यह भारत और बांग्लादेश में कुल मिलाकर 2525 किलोमीटर की दूरी तय करती है। उत्तराखंड में हिमालय से लेकर बंगाल की खाड़ी के सुंदरवन तक विशाल भू-भाग को सींचती है। गंगा का जलस्तर वैसे तो अभी स्थिर है लेकिन लगातार बारिश से कभी भी इस नदी का पानी विकराल रूप ले सकता है।
इसलिए उत्तर प्रदेश के कौसांबी से लेकर बिहार के मुंगेर तक प्रशासन हर जिले में अलर्ट है और जल प्रबंधन एजेंसियां नदी के जलस्तर पर लगातार नजर बनाए हुए हैं। हालांकि बांग्लादेश में जलस्तर अभी से लोगों को चिंतित कर रहा है। बांग्लादेश जल विकास बोर्ड के अधिकारियों के अनुसार बीते 24 घंटे में पंखा के चापाएनवाबगंज और राजशाही स्टेशनों पर गंगा का जलस्तर क्रमश: एक सेंटीमीटर और दो सेंटीमीटर बढ़ गया।
10. कावेरी
कावेरी कर्नाटक तथा उत्तरी तमिलनाडु में बहने वाली एक सदानीरा नदी है। यह पश्चिमी घाट के पर्वत ब्रह्मगिरी से निकली है। इसकी लम्बाई प्रायः 800 किलोमीटर है। दक्षिण पूर्व में प्रवाहित होकर कावेरी नदी बंगाल की खाड़ी में मिलती है। सिमसा, हिमावती, भवानी इसकी उपनदियां हैं। पिछले साल कावेरी के जलस्तर बढ़ने से कोडग़ू, मैसूरु, मंड्या आदि जिलों में बाढ़ का खतरा उत्पन्न हो गया था।
जल संसाधन से संपन्न उत्तर भारत में अधिकांश नदियां आज बाढ़ का कारण बन गई हैं। सिर्फ बिहार में ही भारत के बाढ़ प्रभावित क्षेत्र का 16.5% और भारत की बाढ़ प्रभावित आबादी का 22.1% है। पिछले साल बिहार के 17 जिलों में बाढ़ आई थी। इससे करीब 1.71 करोड़ लोग प्रभावित हुए थे। 8.5 लाख लोगों के घर टूट गए थे और करीब 8 लाख एकड़ फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई थी। यूएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक जलवायु परिवर्तन से होने वाली आपदाओं के कारण 2030 तक दुनिया में करोड़ों और लोग गरीबी रेखा से नीचे आ जाएंगे।