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वायरोलाजी लैब के परिचालन के लिए तैयार हुई गाइडलाइन, मेडिकल कालेज रायपुर ने किया दिशा निर्देश तैयार

रायपुर। पंडित जवाहरलाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर ने एक और उपलब्धि अपने नाम की है। प्रदेश के सभी वायरोलाजी लैब के परिचालन के लिए मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलाजी विभाग ने आवश्यक दिशा-निर्देश तैयार किये है, जिसे जल्द ही भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ भी साझा किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने इस उपलब्धि के लिए चिकित्सकीय टीम को बधाई और शुभकामनाएं दी हैं।

वरिष्ठ वैज्ञानिक डा नेहा सिंह और माइक्रोबायोलाजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर डा निकिता शेरवानी एवं उनकी टीम ने स्वास्थ्य मंत्री से भेंटकर उन्हें लैब के परिचालन दिशानिर्देश सौंपे है। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि “यह चिकित्सा महाविद्यालय के लिए गौरव की बात है। मुझे खुशी है कि मैं सरकार के इस कार्य का सूत्रधार था।“ इस संबंध में वरिष्ट साइंटिस्ट डा नेहा सिंह ने बताया:“वायरोलाजी विज्ञान की एक शाखा है, जो वायरस और जीवों पर अध्ययन का कार्य करती है।

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कोरोना महामारी के दौरान वायरोलाजी लैब की उपयोगिता समझ में आई और राज्य में इन्हीं लैब के जरिए कोविड-19 की जांच की जाने लगी। लैब के संचालन के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के गाइडलाइन के अनुसार मूलभूत तकनीकी जरूरत, सावधानियां और लैब की कार्यप्रणाली को लेकर एक दिशानिर्देश की जरूरत महसूस की जा रही थी।

अतः वायरोलाजी ऑपरेशनल गाइडलाइन तैयार की गई है, इससे प्रदेश के सभी वायरोलाजी लैब के संचालन में मदद मिलेगी। जल्द ही भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ( आईसीएमआर) दिल्ली के साथ भी इसे साझा किया जाएगा।

इन्होंने दिया योगदान- लैब के लिए गाइडलाइन का निर्माण निवर्तमान स्वास्थ्य संचालक नीरज बंसोड़ के मार्गदर्शन में चिकित्सा महाविद्यालय के सामुदायिक चिकित्सा विभागके प्रो.एवं राज्य नोडल अधिकारी वायरोलाजी लैब विकास छत्तीसगढ़ के डा कमलेश जैन के नेतृत्व में संपन्न हुआ।

इसलिए पड़ी जरूरत- राज्य नोडल अधिकारी वायरोलाजी लैब विकास के डा कमलेश जैन ने बताया: “राज्य में कोरोना संक्रमण की शुरुआत के साथ आईसीएमआर के दिशा-निर्देशों के अनुरूप कोरोना जांच के लिये मेडिकल कालेज के वायरोलाजी लैब में आरटीपीसीआर जांच की शुरुआत हुई। वायरस संक्रमण के दौरान लैब के अंदर किन सावधानियों को रखकर कार्य किया जाता हैं, इसकी जानकारी नहीं होने से कोविड टेस्ट करते हुए यहां कार्य करने वाले कई लोग संक्रमित भी हुए।

लैब के संचालन के लिए तकनीकी गाइडलाइन के अनुरूप यानि वायरोलाजी लैब स्ट्रेंथनिंग के लिए आवश्यक दिशानिर्देश तैयार किया गया है, जिसको तैयार करने में 9 माह का समय लगा। इससे आने वाले नए लोगों को लैब में कार्य करने में सहुलियत होगी। साथ ही ना सिर्फ कोरोना बल्कि सभी प्रकार के वायरस की जांच वायरोलाजी लैब में उपलब्ध होगी जिससे वायरसों के संक्रमण के नियंत्रण में भी सहायता मिलेगी।“

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