निजी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर फीस वसूली पर सरकार रखेगी नजर
रायपुर| निजी स्कूलों द्वारा ऑनलाइन पढ़ाई के नाम पर ली जाने वाली फीस पर अब राज्य सरकार नजर रखेगी। स्कूलों के खिलाफ फीस वसूली को लेकर मिलने वाली शिकायत पर अब कलेक्टर सीधे तौर पर कार्रवाई कर सकेंगे। इसके अलावा अवैध फीस वसूली करने वाले और नियम का उल्लंघन करने वाले निजी स्कूलों पर भी कलेक्टर को कार्रवाई का अधिकार होगा। निजी स्कूलों के फीस को लेकर बनी कैबिनेट की सब कमेटी ने निजी स्कूलों पर नकेल कसने के लिए सभी जिलों के कलेक्टरों को अधिकार देने की अनुशंसा की है। सब कमेटी ने अपनी अनुशंसा राज्य सरकार को सौंप दी है। बता दें कि सरकार ने निजी स्कूलों द्वारा लिए जाने वाले फीस पर कैबिनेट की सब कमेटी बनाई थी, समिति द्वारा फीस तय किए जाने की बात कही गई थी। इसमें स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम, पीडब्लूडी मंत्री ताम्रध्वज साहू, नगरीय प्रशासन मंत्री शिव डहरिया, कृषि मंत्री रविंद्र चौबे शामिल हैं।
उपाध्याय मिले प्रमुख सचिव शुक्ला से, जल्द बनेगा नया कानून
इधर, संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने प्रदेश के निजी स्कूलों के मनमाने फीस बढ़ाये जाने को लेकर कड़ा रूख अख्तियार करते हुए प्रमुख सचिव डाॅ. आलोक शुक्ला से मुलाकात कर विस्तृत चर्चा की है। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर बहुत जल्द फीस को लेकर भूपेश सरकार एक अधिनियम ला रही है, जिसमें अब पालकों की भी अहम भूमिका होगी। फीस को लेकर हाईकोर्ट के निर्णय के बाद भी निजी उनके प्रबंधकों द्वारा मनमानी की जा रही है। यहां तक कि जो ट्यूशन फीस निर्धारित था उसे 2 से 3 गुना बढ़ोतरी कर पलकों से वसूला जा रहा है। परन्तु नया विधेयक पारित हो जाने के पश्चात इनकी मनमानी पर अंकुश लगेगा। यहां तक कि यदि विद्यालय प्रबंधन इस अधिनियम का करते हैं तो पहली बार में 50 हजार और उसके बाद प्रत्येक उल्लंघन पर अधिकतम 1 लाख रूपये तक जुर्माने का प्रावधान किया जा रहा है।
आरटीई की जितनी फीस सरकार दे रही, उतनी ही छात्रों से लें स्कूल
छत्तीसगढ़ पेरेंट्स एसोसिएशन ने मांग की है कि आरटीई के तहत निजी स्कूलों में एडमिशन लेने वाले छात्रों का सरकार जितना फीस भर रही है उतना ही फीस उन स्कूलों में पढ़ने वाले दूसरे अन्य छात्रों से भी ली जानी चाहिए। इस संबंध में एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिस्टोफर पॉल ने स्कूल शिक्षा मंत्री प्रेम साय सिंह टेकाम, प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला और संचालक जितेंद्र शुक्ला को पत्र लिखा है।
एसोसिएशन ने पत्र में लिखा कि प्रदेश के 8 हजार प्राईवेट स्कूलों में 15 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं। इसमें से शिक्षा का अधिकार कानून के तहत 6500 निजी स्कूलों में 2 लाख 85 हजार छात्र पढ़ रहे हैं। इन बच्चों को एक समान शिक्षा और सुविधा मिल रही है, लेकिन फीस में भारी अंतर है। फीस में एकरूपता लाई जानी चाहिए।
सरकार द्वारा तय किया गया शुल्क
नर्सरी से पांचवी तक – 7 हजार रुपए प्रतिवर्ष (प्रति छात्र)
छठवीं से आठवीं तक – 11 हजार 400 रुपए प्रतिवर्ष (प्रति छात्र)
नौवीं से बारहवीं तक – 15 हजार रुपए प्रतिवर्ष (प्रति छात्र)
ट्यूशन फीस को लेकर अब तक संशय
इधर, राज्य सरकार ने निजी स्कूलों द्वारा लिए जाने वाले ट्यूशन फीस के लिए समिति बनाकर फीस तय करने की बात कही थी, लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हो सका है। दूसरी तरफ, स्कूलों के द्वारा 31 अगस्त तक फीस जमा कराने को लेकर पालकों को नोटिस भेजा जा रहा है।