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3-4 साल की उम्र से ही बच्चों को दें बचत की शिक्षा ; वारेन बफे

वारेन बफे दुनिया के सबसे बड़े निवेशक माने जाते हैं। पैसे कमाने के उनके मूल मंत्र किसी के लिए भी फायदेमंद हो सकते हैं। हाल ही में उन्होंने ऐसे ही कुछ मूल मंत्र बच्चों के लिए दिए हैं। उनका कहना है कि बच्चों को रुपए-पैसे और बचत की बुनियादी शिक्षा की शुरुआत उनकी पढ़ाई के साथ ही कर देनी चाहिए। माता-पिता बच्चों को इसके बारे में आगे जाकर किशोर उम्र में बताते हैं जो कि सबसे बड़ी गलती है।

एक इंटरव्यू में वारेन बफे ने कहा, “मेरे पिता ही इसके उदाहरण हैं। उन्होंने मुझे बताया कि अच्छी आदतें जीवन में जितनी जल्दी आ जाएं उतना अच्छा। उन्होंने मुझे बचत का अहम पाठ सिखाया।” बफे कहते हैं कि ज्यादातर पालक जानते हैं कि बच्चे को वित्तीय प्रबंध की शिक्षा देना बहुत जरूरी है लेकिन जानने और उस पर अमल करने में अंतर है। कई माता-पिता ये सब जानने के बाद भी इस पर अमल नहीं करते।

बचत की शिक्षा जितनी जल्दी उतना अच्छा
पैसे की कीमत, जरूरत और इच्छा के बीच अंतर या बचत का महत्व – ये सब ऐसी बातें हैं जिनसे बच्चों का कम उम्र में ही सामना हो जाता है। तो जितनी जल्दी इनके बारे में बताया जाए, उतना ही अच्छा है। बच्चों में हेल्दी फाइनेंशियल हैबिट उनका सफल भविष्य सुनिश्चित करने में मददगार होंगी। बफे ने बच्चों के लिए एनिमेटेड सीरीज “सीक्रेट मिलियनेयर क्लब” में फाइनेंस मैनेजमेंट और सेविंग की सीख देने में मदद की थी।

बचत कैसे शुरू करें
पैसे की बचत, पैसा कमाने की तरह है। बच्चों को इच्छा और जरूरत के बीच का अंतर बताना। जैसे कि खिलौना उनकी इच्छा है और बैग उनकी जरूरत। इच्छाएं कम करके वे बचत कर सकते हैं।

कीमत और मूल्य में अंतर कैसे करें
किसी नामचीन ब्रांड के जूते या गैजेट के लिए ज्यादा कीमत देते हैं जबकि वही चीज हम कम कीमत में भी खरीद सकते हैं। बच्चों को यह सीख दें कि कोई चीज कितने मूल्य की हकदार है।

स्मार्ट फैसले कैसे करें
बच्चों को उनके फैसलों के भविष्य में होने वाले असर के जरिए स्मार्ट फैसले करने के लिए तैयार किया जा सकता है। किताब खरीदने की बजाय वे उसे लाइब्रेरी से लेने के बारे में सोच सकते हैं।

3-4 साल के बच्चे बातें समझने में समर्थ
शोध भी बफे का समर्थन करते हैं। रिसर्च के मुताबिक दिमाग का 80% विकास 3 साल की उम्र तक हो जाता है। कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की स्टडी के अनुसार 3-4 साल में बच्चे पैसे की बुनियादी बातें समझने में समर्थ हो जाते हैं। लेकिन पालकों पर किए एक सर्वे में कहा है कि केवल 4% पालकों ने ही 5 साल से पहले बच्चों से वित्तीय विषयों पर बात की। 30% ने 15 साल के बाद जबकि 14% ने कभी इस तरह की सीख नहीं दी।

akhilesh

Chief Reporter

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