जानें:- G20 शिखर सम्मेलन क्या है? भारत को इसका फायदा क्या?
G20 Summit New Delhi:- इस समय भारत G-20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है. G-20 शिखर सम्मेलन का 18वां आयोजन दिल्ली में पीएम नरेंद्र मोदी की अगुवाई में 9 से 10 सितंबर को होने जा रहा है. जी-20 दुनिया के 20 देशों का ऐसा समूह हैं, जिसमें 19 देश और यूरोपियन संघ शामिल हैं. इस शिखर सम्मेलन में सदस्य देश के साथ अन्य देशों के राष्ट्रध्यक्ष शिरकत करते हैं. आइए जानते है G-20 का पूरा विवरण और इससे जुड़ी अन्य जानकारीयां…
G-20 के सदस्य:- G20 में शामिल देश वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार का 75 प्रतिशत से अधिक और विश्व जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करते हैं जिसमें निम्न देश सदस्य है- भारत, अमेरिका, चीन, रूस, ब्राजील, कनाडा, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मेक्सिको, कोरिया गणराज्य, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्कि, यूनाइटेड किंगडम एवं यूरोपीय संघ।
कहां और कब होगा:- नई दिल्ली में स्थित ITPO Covection Centre के प्रगति मैदान के भारत मंडपम में 9-10 सितंबर को जी-20 समिट होगा। चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग एवं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नही हो रहे शामिल।
G-20 का लोगो:- G20 लोगो भारत के राष्ट्रीय ध्वज के जीवंत रंगों – केसरिया, सफेद और हरे, एवं नीले रंग से प्रेरित है। इसमें भारत के राष्ट्रीय पुष्प कमल को पृथ्वी ग्रह के साथ प्रस्तुत किया गया है जो चुनौतियों के बीच विकास को दर्शाता है। पृथ्वी जीवन के प्रति भारत के पर्यावरण अनुकूल दृष्टिकोण को दर्शाती है, जिसका प्रकृति के साथ पूर्ण सामंजस्य है। G20 लोगो के नीचे देवनागरी लिपि में “भारत” लिखा है।
भारत का G20 अध्यक्षता का विषय:- “वसुधैव कुटुम्बकम” या “एक पृथ्वी · एक कुटुंब · एक भविष्य” – महा उपनिषद के प्राचीन संस्कृत पाठ से लिया गया है। अनिवार्य रूप से, यह विषय सभी प्रकार के जीवन मूल्यों – मानव, पशु, पौधे और सूक्ष्मजीव – और पृथ्वी एवं व्यापक ब्रह्मांड में उनके परस्पर संबंधों की पुष्टि करता है।
देश को फायदा:- यह विषय (थीम) व्यक्तिगत जीवन शैली और राष्ट्रीय विकास दोनों स्तरों पर पर्यावरण की दृष्टि से धारणीय और जिम्मेदार विकल्पों से संबद्ध LiFE (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) पर भी प्रकाश डालता है, जिससे वैश्विक स्तर पर परिवर्तनकारी कार्यों के परिणामस्वरूप एक स्वच्छ, हरे-भरे और उज्जवल भविष्य का निर्माण होता है।यह विषय सामाजिक और व्यक्तिगत उत्पादन और उपभोग विकल्पों पर भी प्रकाश डालता है और पर्यावरण की दृष्टि से व्यवहार्य और जिम्मेदार व्यवहार विकल्प अपनाने का आह्वान करता है जिससे वैश्विक सुधारात्मक कार्रवाई की जा सके ताकि मानवता को अपेक्षाकृत स्वच्छ, हरित और उज्जवल भविष्य प्राप्त हो।