प्रदेश में पहली बार ऐसी सड़क जितना चलेंगे, उतनी दूरी का ही टैक्स देना होगा NH पर ”सरकार” का बड़ा फैशला
रायपुर को विशाखापट्टनम से जोड़ने वाले 464 किमी लंबे सिक्स लेन एक्सप्रेस-वे के तहत छत्तीसगढ़ में 124 किमी सड़क का निर्माण होना है। इसमें से 90 किमी की सड़क निर्माण पर राज्य सरकार ने अनुमति दे दी है। 25 अगस्त को शासन ने एनएचएआई को इससे संबंधित पत्र जारी कर दिया।
20,000 करोड़ रुपए की लागत वाली इस सड़क की सबसे खास बात यह है कि इस पर फिक्सड टोल नहीं लगेगा। यानी आप जितनी दूरी चलेंगे, उतनी दूरी का ही टैक्स देना होगा। इसे क्लोज्ड टोलिंग कहा जाता है। इस 124 किमी की सड़क पर 6-7 एंट्री-एग्जिट प्वॉइंट होंगे, जो मुख्य रूप से अभनपुर, आरंग, कांकेर में प्रस्तावित किए गए हैं। इसी सड़क पर केशकाल घाटी से तीन किमी की एक टनल भी प्रस्तावित है।
अभी भी 35 किमी का पेंच फंसा हुआ है। यह 35 किमी का क्षेत्र कांकेर और कोंडागांव जिले में आता है, जो वन्य क्षेत्र है और इसमें भी 3.5 किमी की सड़क टाइगर कॉरीडोर से गुजर रही है। यानी इस मार्ग पर टाइगर का मूवमेंट है। यही वजह है कि इस पर केंद्रीय संस्थान नेशनल बोर्ड ऑफ वाइल्ड लाइफ (एनबीडब्ल्यूएल) अनुमति देगा। उधर, निर्माण पूरा होने से रायपुर से विशाखापट्टनम की दूरी 5 घंटे कम हो जाएगी, जो ईकोनॉमिक, टूरिज्म, हेल्थ और एजुकेशन के लिहाज से अहम है।
इसे एक्सप्रेस-वे को इस्टर्न इकॉनोमिक कॉरीडोर से जोड़ेंगे। एनएचएआई के अधिकारियों का कहना है कि निर्माण अक्टूबर-नवंबर में शुरू हो जाएगा।
एनएचएआई ने 81 करोड़ मुआवजा वन विभाग को दिया
यह एनएच कांकेर के वन क्षेत्र से होकर गुजरेगा, जिसमें बड़ी संख्या में पेड़ काटे जाएंगे। नियमानुसार जितना वन क्षेत्र अधिग्रहित किया गया है, उसके मूल्य की दोगुनी राशि जो 81.85 करोड़ रुपए है, बतौर मुआवजा एनएचएआई ने वन विभाग को दे दी है। इस राशि से पौधरोपण होगा।
इस पूरे प्रोजेक्ट की सबसे खास बात
सड़क जमीन से 4-5 फीट ऊपर होगी- यह सड़क जमीन से 4-5 फीट ऊपर होगी, ताकि गांव क्षेत्र के मवेशी सड़क पर न आएं। सड़क पूरी तरह से स्मूथ रहे। छत्तीसगढ़ की सड़कों पर मवेशी एक बड़ी समस्या है, जो हादसों का बड़ा कारण हैं।
अंडर पासेस- यह सड़क वन्य क्षेत्र से गुजर रही है, जहां से बाघ, हाथी, चीता, भालू के आने-जाने के रास्ते हैं। यही वजह है कि 35 किमी के क्षेत्र में कई अंडर पासेस, ओवर ब्रिज बनेंगे। ताकि वन्य जीव अपने रास्ते निकल सकें। एनएचएआई के अधिकारियों के अनुसार, टाइगर कॉरीडोर में 5 सालों में टाइगर नहीं देखा गया है।
मंकी कैनोपी- मंकी कैनोपी नया शब्द है। इसका मतलब है कि बंदर समेत अन्य जीवों के आने-जाने के लिए एक सुरक्षित व्यवस्था। इसका इस्तेमाल कर वे एक से दूसरे स्थान पर आ जा सकेंगे, सड़क पर नहीं आएंगे। कई वन्य क्षेत्रों से गुजरने वाली सड़क पर यह प्रयोग सफल रहा है।
नक्सलियों ने कोई रोड़ा नहीं डाला- कांकेर, कोंडागांव क्षेत्र और आगे बस्तर नक्सल प्रभावित क्षेत्र है। यहां पर 2 साल में एनएचएआई ने पूरे 124 किमी का सर्वे किया, मगर नक्सलियों ने कोई व्यावधान नहीं डाला। न ही उन्होंने अभी तक इस निर्माण को लेकर कोई आपत्ति जताई है।
केंद्र निर्णय लेगा
शासन ने अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले क्षेत्र पर अनुमति दे दी है। मगर, कुछ हिस्सा टाइगर कॉरिडोर में आ रहा है। इस पर केंद्र निर्णय लेगा।
सुनील मिश्रा, एपीसीसीएफ, नोडल ऑफिसर, वन विभाग
टेंडर फाइनल
90 किमी में निर्माण की अनुमति मिली है, शेष मिल जाएगी। तीनों पैकेज के टेंडर फाइनल हो चुके हैं। अक्टूबर-नवंबर तक काम शुरू होगा।
अभिनव सिंह, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, एनएचएआई धमतरी सर्किल
6-7 एंट्री पॉइंट, जिनसे होगी गणना
124 किमी के हाईवे पर 6-7 एंट्री-एग्जिट पॉइंट होंगे यानी इन्हीं के जरिए इस 6 लेन एक्सप्रेस-वे पर आया जा सकेगा।
आने वाले सिस्टम में एंट्री-एग्जिट पर टोल कंपनी के कर्मी तैनात होंगे, फास्ट टैग के मौजूदा सिस्टम से टोल टैक्स प्राप्त करेंगे। जितनी दूरी चलेंगे उतना ही टोल लगेगा। अनावश्यक 60 किमी का टोल नहीं देना होगा।
अभी 60 किमी की दूरी पर टोल नाका होते हैं, जहां पर ठेका कंपनी के कर्मचारी बैठे होते हैं। फास्ट टैग के जरिए टोल का भुगतान होता है। आने वाले समय में यह सिस्टम अपडेट होगा।
गाड़ियों में डिजिटल नंबर प्लेट सिस्टम आएगा। एंट्री गेट पर लगे कैमरे इन्हें स्कैन करेंगे और राशि ऑटोमैटिक एकाउंट से कट जाएगी। इसमें समय लगेगा।
464 किमी सड़क – विशाखापट्टनम से जुड़ेगा रायपुर
अक्टूबर 2022 में शुरू होगा अक्टूबर 2024 तक पूरा होगा।
250 करोड़ मुआवजा जारी हो चुका है, 20% को मिलना शेष।
20,000 करोड़ रुपए प्रोजेक्ट की कुल लागत
भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत प्रस्तावित यह नई सड़क है।
रायपुर से विशाखापट्टनम के सफर में अब 7-8 घंटे लगेंगे।
छत्तीसगढ़ में 124 किमी सड़क 3 हिस्सों में बनेगी