छत्तीसगढ़ में भी किसानों का आंदोलन! राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन
रायपुर। दिल्ली सीमाओं पर जारी किसान आंदोलन पर दमन के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चा छत्तीसगढ़ के घटक संगठनों ने देशव्यापी आह्वान पर राजधानी रायपुर में डॉ भीमराव अंबेडकर प्रतिमा के पास प्रदर्शन कर राष्ट्रपति के नाम राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है।
ज्ञापन में किसानों ने कहा कि किसान आंदोलन ने पिछले बार सैकड़ो किसानों की कुर्बानी दी है, उस वक्त केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार बड़े जोर शोर से प्रचार किया था कि ये कृषि कानून किसानों के हित में है, किसानों के राष्ट्रव्यापी विरोध के कारण सरकार ने जन विरोधी तीन कृषि कानून को वापस ले लिया और किसानों की शेष मांगो को पूरा करने के लिए एक कमिटी बनाया लेकिन दो साल गुजर जाने के बाद भी एक मांग पूरा नहीं हुआ, तब किसानों ने मजबूर होकर दिल्ली कुच करने का फैसला लिया तब केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए दुश्मन देश की सेना जैसी व्यवहार करना शुरू कर दिया है,अब तक 05 किसानों की मृत्यु हो चुका है।हजारो लोग जख्मी है, शम्भू बॉडर एवं दिल्ली से जाने वाले अन्य बॉर्डर पर युद्ध जैसा माहौल बना दिया गया है। किसान शांति पूर्वक दिल्ली जाने चाहते हैं।उन्हें दिल्ली जाने से रोका जा रहा है, सरकार के साथ पांच राउंड की बैठक किसानो की हुई है, सरकार किसानों से पूर्व में किये गये वादों को पूरा करने के बजाय सौदेबाजी करने पर तुली है। केंद्र की मोदी सरकार एक तरफ डॉ स्वामीनाथन आनंद को भारत रत्न की उपाधि से सम्मानित करती है वहीं दूसरी तरफ स्वामीनाथन की किसानों के लिए जो अनुशंसा है उसे लागू नहीं करती है क्या यह एक धोखा नहीं है,देश के मेहनतकश मजदूर, किसान एवं आदिवासियों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा,उन पर लगातार दमन बढ़ रहा है,इन्हें अदानी अम्बानी का गुलाम बनाने पर सरकार तुली,यह एक चिंताजनक विषय है।
ये मांगे हैं शामिल:-
1. मूल्य वृद्धि पर नियंत्रण रखें, भोजन, दवाओं, कृषि-इनपुट और मशीनरी जैसी आवश्यक वस्तुओं पर जीएसटी हटाएं, पेट्रोलियम उत्पादों और रसोई गैस पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क में काफी कमी करें।
2. वरिष्ठ नागरिकों, महिलाओं, दिव्यांग व्यक्तियों, खिलाड़ियों को रेलवे द्वारा कोविड के बहाने वापस ली गई रियायतें बहाल की जाएं।
3. खाद्य सुरक्षा की गारंटी और सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाना।
4. सभी के लिए मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी और स्वच्छता के अधिकार की गारंटी। नई शिक्षा नीति, 2020 को रद्द करें।
5. सभी के लिए आवास सुनिश्चित करें।
6. वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) का कड़ाई से कार्यान्वयन, वन (संरक्षण) अधिनियम, 2023 और जैव-विविधता अधिनियम और नियमों में संशोधन वापस लें जो केंद्र सरकार को निवासियों को सूचित किए बिना जंगल की निकासी की अनुमति देते हैं। जोतने वाले को भूमि सुनिश्चित करें।
7. सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों, सरकारी विभागों का निजीकरण बंद करें और राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) को ख़त्म करें। खनिजों और धातुओं के खनन पर मौजूदा कानून में संशोधन करें और स्थानीय समुदायों, विशेषकर आदिवासियों और किसानों के उत्थान के लिए कोयला खदानों सहित खदानों से लाभ का 50 प्रतिशत हिस्सा सुनिश्चित करें।
8. बिजली (संशोधन) विधेयक, 2022 को वापस लें। कोई प्री-पेड स्मार्ट मीटर नहीं।
9. काम के अधिकार को मौलिक बनाया जाये। स्वीकृत पदों को भरें और बेरोजगारों के लिए रोजगार पैदा करें। मनरेगा का विस्तार और कार्यान्वयन (प्रति वर्ष 200 दिन और 600 रुपये प्रतिदिन मजदूरी)। शहरी रोजगार गारंटी अधिनियम बनायें।
10. किसानों को बीज, उर्वरक और बिजली पर सब्सिडी बढ़ाएं, किसानों की उपज के लिए एमएसपी सी2$50 प्रतिशत की कानूनी गारंटी दें और खरीद की गारंटी दें। किसानों की आत्महत्याओं को हर कीमत पर रोकें।
11. कॉर्पोरेट समर्थक पीएम फसल बीमा योजना को वापस लें और जलवायु परिवर्तन, सूखा, बाढ़, फसल संबंधी बीमारियों आदि के कारण किसानों को होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सभी फसलों के लिए एक व्यापक सार्वजनिक क्षेत्र की फसल बीमा योजना स्थापित करें।
12. चार श्रम सहिंता को वापस लिया जाए।
13. सभी कृषक परिवारों को कर्ज के जाल से मुक्त करने के लिए व्यापक ऋण माफी योजना की घोषणा करें।
14. केंद्र सरकार द्वारा दिए गए लिखित आश्वासनों को लागू करें, जिसके आधार पर ऐतिहासिक किसान संघर्ष को निलंबित कर दिया गया था। सभी शहीद किसानों के लिए सिंधू सीमा पर स्मारक, मुआवजा दें और उनके परिवारों का पुनर्वास करें, सभी लंबित मामलों को वापस लें, गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी पर मुकदमा चलाया जाए।
15. एनपीएस को खत्म करें। ओपीएस को बहाल करें और सभी को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करें।
16. संविधान के मूल मूल्यों-अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, असहमति का अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता, विविध संस्कृतियों, भाषाओं, कानून के समक्ष समानता और देश की संघीय संरचना आदि पर हमला बंद करें।
17. विश्व व्यापार संगठन(डब्लू टी ओ) से भारत बाहर आये।
छत्तीसगढ़ राज्य से संबंधित इन मांगों को भी रखा:-
1. जल जंगल जमीन से आदिवासियों पर दमन एवं बेदखली बंद हो।
2. हसदेव अरण्य क्षेत्र में कोयला उत्खनन के लिए जारी स्वीकृति रदद् किया जाए।
3. बस्तर संभाग में माओवाद के नाम पर निर्दोष आदिवासियों पर हमले बंद हो और सभी मुठभेड़ों
का न्यायिक जांच किया जाए।
4. छत्तीसगढ़ में गेल इंडिया पाईप लाइन से प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा दिया जाए।
5. नया रायपुर प्रभावित किसानों के मांगों पर चर्चा कर उन्हें पूरा किया जाए।
6. आंगनबाड़ी,अंशकालिक एवं अनियमित कर्मचारियों को स्थायी किया जाए।
प्रदर्शन में जिला किसान संघ बालोद के संयोजक जनकलाल ठाकुर, छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से नवाब जिलानी, ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के संयोजक विश्वजीत हारोडे, आदिवासी भारत महासभा के संयोजक सौरा यादव, भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश प्रभारी प्रवीण क्रांति प्रदेश महासचिव तेजराम विद्रोही, क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच के संयोजक तुहिन, छत्तीसगढ़ किसान महासभा के सदस्य बिसहत कुर्रे, अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के संयोजक हेमंत टंडन, कृषक बिरादरी के सदस्य पवन सक्सेना सहित सतवीर सिंह, पलविंदर सिंह पन्नू, रेखराम साहू, सोमन यादव, उत्तम कुमार, भुनुराम, कृष्णा नरवाल, मोहम्मद यूसुफ, लखबीर सिंह आदि शामिल रहे।