बैन के बाद भी चोरी-छिपे बेच रहे एसयूपी, कार्रवाई केवल छोटे दुकानों पर सीमित;
रायपुर – राजधानी के प्रमुख गोलबाजार, बंजारी रोड, शारदा चौक, एमजी रोड, पंडरी, रेलवे स्टेशन रोड, गंजपारा की दुकानों में एसयूपी का लाखों का स्टाक छिपाकर रखा गया है। कारोबारी केवल पहचान वाले दुकानदारों को ही एसयूपी बेच रहे है। चोरी-छिपे इनकी खरीदी-बिक्री हो रही है। कभी 65 रुपये किलो में बिकने वाली झिल्लियां प्रतिबंध के बाद अब 240 रुपये किलो तक बेची जा रही है। इन्हें छोड़कर छोटे दुकानदारों पर जुर्माना लगाने की प्रवृत्ति के कारण निगम अधिकारियों की भूमिका पर भी प्रश्न उठने लगे हैं।
राजधानी के गोलबाजार, बंजारी रोड़ में सबसे ज्यादा प्लास्टिक की दुकानें हैं। कुछ दुकानों की पड़ताल की। यहां जानकारी मिली कि बड़े कारोबारी, छोटे दुकान वाले, सब्जी बेचने वालों को चोरी-छिपे एसयूपी बेच रहे हैं। कुछ बड़े दुकानदार तो अपने कर्मचारियों के हाथ से एक से दस किलो पालीथीन की आपूर्ति सीधे छोटे व्यापारियों को कर रहे हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक व्यापारी ने बताया कि एसयूपी का विकल्प बाजार में उपलब्ध नहीं होने से वे मजबूरी में एक-दो किलो पालीथीन खरीदकर ग्राहकों को सामान दे रहे हैं। नगर निगम की नाक के नीचे ही एसयूपी में सामान की खरीद-बिक्री हो रही है। व्यापारियों से लेकर ग्राहकों में जागरूकता का अभाव दिखता है।
आपूर्ति करने वाले काट रहे चांदी
जानकारों का कहना है कि शहर के बड़े दुकानदारों के पास एसयूपी की पर्याप्त उपलब्धता है। अर्थात उन्हें कहीं से आपूर्ति हो रही है। आपूर्ति करने वालों को चिन्हित कर कार्रवाई करनी चाहिए क्योंकि जब तक आपूर्ति बंद नहीं होगी, तब तक लोग उपयोग करना बंद नहीं करेंगे। प्रतिबंधित एसयूपी कहां से आ रहा है, इसकी जांच करना छोड़कर निगम की टीम केवल खानापूर्ति करने का काम कर रही है। जबकि आपूर्तिकर्ता चांदी काट रहे हैं।
जोन स्तर पर बनी टीम, वार्डों में करेगी छापेमारी
एसयूपी के खिलाफ नईदुनिया के अभियान के बाद निगम की भी नींद टूटी है। जोन स्तर पर विशेष अभियान चलाने की तैयारी है। हर जोन से एक विशेष टीम वार्डों में दुकानों, ठेलों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों छापेमारी करेगी। प्रतिबंधित प्लास्टिक मिलने पर उसे जब्त कर दुकान संचालक के खिलाफ जुर्माना लगाया जाएगा। यहीं नहीं, किसी संस्थान से अगर दोबारा एसयूपी मिलने पर उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी।
नगर निगम द्वारा पिछले कुछ दिनों से बार-बार प्लास्टिक के विकल्प बायो डिग्रेडेबल को अमान्य घोषित किया जा रहा है। इसके साथ ही विकल्प के तौर पर नगर निगम दीदियों के द्वारा तैयार कपड़े का थैला बताकर नान वोवन को अपनाने जोर दिया जा रहा है जबकि इसे छत्तीसगढ़ शासन ने वर्ष 2017 से ही प्रतिबंधित कर रखा है। सूचना के अधिकार से मिली जानकारी के अनुसार, निगम ने प्रतिबंधित नान वोवन पर कोई कार्रवाई नहीं की है, जबकि छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल ने वर्ष 2020 में ही आक्सो बायो डिग्रेडेबल को मान्यता दे चुकी है।
महापौर एजाज ढेबर ने कहा, एसयूपी सेहत और पर्यावरण के लिए हानिकारक है। शासन ने इसका उपयोग प्रतिबंधित कर दिया है तो लोगों को भी स्वस्फूर्त तत्काल इसका उपयोग बंद कर देना चाहिए।