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वैज्ञानिक समाज ने कोरोना वैक्सीन की कड़ी आलोचना

नई दिल्ली। रूस (Russia) के कोरोना वायरस (Coronavirus) की सफल वैक्सीन बनाने के दावे की वैज्ञानिक समाज ने कड़ी आलोचना की है. एक्सपर्ट्स ने रूस के कदम को ‘लापरवाही भरा और मूर्खतापूर्ण’ बताया है. भारत समेत दुनिया के कई वैज्ञानिकों (Scientists) का कहना है कि समय की कमी को देखते हुए इसका समुचित ढंग से परीक्षण नहीं किया गया है. इसकी प्रभावशीलता साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हो सकते हैं. हालांकि, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) का कहना है कि वैक्सीन की जांच की गई है और उनकी एक बेटी को भी वैक्सीन दी गई.

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने मंगलवार को घोषणा की थी कि उनके देश ने कोरोना वायरस के खिलाफ दुनिया का पहला टीका विकसित कर लिया है जो कोविड-19 से निपटने में बहुत प्रभावी ढंग से काम करता है. इसके साथ ही उन्होंने खुलासा किया था कि उनकी बेटियों में से एक को यह टीका पहले ही दिया जा चुका है. रूस को अक्टूबर तक बड़े पैमाने पर वैक्सीन का निर्माण शुरू होने की उम्मीद है और आवश्यक कर्मचारियों को पहली खुराक देने की योजना बना रहा है. हालांकि विज्ञान समुदाय के कई लोग इससे प्रभावित नहीं हैं.

पुणे में भारतीय विज्ञान संस्थान, शिक्षा और अनुसंधान से एक प्रतिरक्षाविज्ञानी विनीता बल ने कहा, ‘‘जब तक लोगों के पास देखने के लिए क्लीनिकल परीक्षण और संख्या समेत आंकड़े नहीं हैं तो यह मानना मुश्किल है कि जून 2020 और अगस्त 2020 के बीच टीके की प्रभावशीलता पर सफलतापूर्वक अध्ययन किया गया है.’ उन्होंने कहा, ‘क्या वे नियंत्रित मानव चुनौती अध्ययनों के बारे में बात कर रहे हैं? यदि हां, तो यह सबूत सुरक्षात्मक प्रभावकारिता की जांच करने के लिए भी उपयोगी है.’

अमेरिकी प्रोफेसर बोले- नहीं लूंगा टीका

अमेरिका के माउंट सिनाई के इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन में प्रोफेसर फ्लोरियन क्रेमर ने टीके की सुरक्षा पर सवाल उठाए. क्रेमर ने ट्वीटर पर कहा, ‘निश्चित नहीं है कि रूस क्या कर रहा है, लेकिन मैं निश्चित रूप से वैक्सीन नहीं लूंगा जिसका चरण तीन में परीक्षण नहीं किया गया है. कोई नहीं जानता कि क्या यह सुरक्षित है या यह काम करता है. वे एचसीडब्ल्यू (स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ता) और उनकी आबादी को जोखिम में डाल रहे है.’’

भारतीय प्रतिरक्षा विद् सत्यजीत रथ ने क्रेमर से सहमति जताई. नई दिल्ली के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ इम्यूनोलॉजी से प्रतिरक्षाविज्ञानी ने कहा, ‘‘हालांकि यह इसका उपयोग प्रारंभिक सूचना है, लेकिन यह इसकी प्रभावशीलता का सबूत नहीं है. इसकी प्रभावशीलता के वास्तविक प्रमाण के बिना वे टीके को उपयोग में ला रहे हैं.’

वैज्ञानिकों ने उठाए सवाल
वायरोलॉजिस्ट उपासना रे के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने टीके के निर्माताओं को निर्धारित दिशानिर्देशों का पालन करने के लिए कहा है. रे ने कहा कि रूसी अधिकारियों के पास चरण एक और दो के परिणाम हो सकते हैं, लेकिन चरण तीन को पूरा करने में इतनी तेजी से विश्वास करना मुश्किल होगा जब तक कि आंकड़े सार्वजनिक रूप से उपलब्ध न हो. डब्लूएचओ के अनुसार सिनोवैक, सिनोपार्म, फाइजर और बायोएनटेक, ऑस्ट्रलिया ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के साथ एस्ट्राजेनेका और मॉडर्न द्वारा बनाये गये कम से कम छह टीके विश्व स्तर पर तीसरे चरण के परीक्षणों तक पहुंच गए हैं. कम से कम सात भारतीय फार्मा कंपनियां कोरोना वायरस के खिलाफ एक टीका विकसित करने के लिए काम कर रही हैं.

न्यूज़ सोर्स: NEWS18

akhilesh

Chief Reporter

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