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मुख्यमंत्री बघेल ने हरेली पर्व पर आज दो रुपए की दर से चार किसानों से खरीदे 48 किलो गोबर


रायपुर। मुख्यमंत्री निवास में अभनपुर से आए इन किसानों ने ‘गोधन न्याय योजना‘ प्रारंभ करने के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार प्रकट करते हुए कहा कि यह योजना किसानों और छोटे पशुपालकों के लिए बहुत अच्छी योजना है। चक्रधारी ने बताया कि उनके पास पांच मवेशी है। हर रोज लगभग एक झउहा 20 किलो तक गोबर निकलता था, जो कचरे में जाता था। अब इसकी बिक्री होने से हम जैसे हजारों लोगों को इसका लाभ मिलेगा।

मुख्यमंत्री निवास में पारंपरिक रीति-रिवाज के साथ हरेली का त्यौहार मनाया गया। हरेली पर्व में परंपरा है कि किसान और उनके परिवार की महिलाएं अपने खेत और बाड़ी की सब्जियां अपने सियान लोगों को भेंट करते हैं। जय धरती मां महिला स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष दुर्गा बाई चक्रधारी सहित लक्ष्मी धु्रव, आरती साहू सहित समूह की महिलाओं ने मुख्यमंत्री बघेल को सब्जियां भेंट की। लौकी, रमकेलिया, कोहड़ा, बरबट्टी, करेला, तरोई सहित चेचभाजी, पटवा भाजी, अमारी भाजी का गुलदस्ता बनाकर भेंट किए। महिलाओं ने उनकी बाड़ी के भुट्टे भी मुख्यमंत्री को भेंट किए।मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हरेली पर्व पर आज यहां अपने निवास में चार किसानों से 48 किलो गोबर की खरीदी की और किसानों को दो रूपए के हिसाब से 96 रूपए का भुगतान कर गोधन न्याय योजना की प्रदेशव्यापी शुरूआत की। ये किसान रायपुर जिले के अभनपुर विकासखण्ड के ग्राम नवागांव से आए थे।

मुख्यमंत्री ने नवागांव गौठान समिति के जय छत्तीसगढ़ महिला स्व-सहायता समूह के लिए नवागांव के कृष्ण कुमार चक्रधारी, पीलू राम ध्रुव, सेवक राम साहू और शिव नारायण साहू से गोबर खरीदा। मुख्यमंत्री ने स्वयं गौठान समिति के रजिस्टर में गोबर खरीदी की मात्रा भी दर्ज की और गोबर विक्रेता किसानों को गोबर बिक्री का कार्ड भेंट किया। विक्रेता किसानों को दिए गए कार्ड में उनके द्वारा रोज बेचे जाने वाले गोबर की मात्रा दर्ज की जाएगी।

छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों, लोक नर्तकों, लोक गायकों ने पारंपरिक वेशभूषा में वाद्य यंत्रों एवं साज सज्जा के साथ प्रस्तुति दी। हरेली के दिन मुख्यमंत्री निवास में बांस गीत भी गूंजा। गरियाबंद जिले से बांस गीत कलाकारों को विशेष तौर पर बुलाया गया है। बांस गीत की प्रस्तुति लत्ती यादव और साथी कलाकार ने दी। छत्तीसगढ़ की परम्परा के अनुरूप हरेली पर्व पर घर के पशुओं गाय, बैल को निरोगी रखने के लिए जड़ी-बूटी के साथ लोंदी खिलाई जाती है। हरेली के दिन घरों में गुलगुला भजिया और गुरहा चील विशेष रूप से तैयार किया जाता है। यादव समाज के लोग इस दिन गांव में घूम कर घरों में लोगों को बीमारियों से रक्षा के लिए घरों के दरवाजे पर नीम की डाली लगाते हैं। लोहार समाज के लोग अनेक प्रकार के कृषि यंत्र बनाते हैं। गांव की जरूरत के मुताबिक कृषि में उपयोग में आने वाले यंत्र इनके द्वारा ही बनाए जाते हैं। लोक और सामाजिक परम्परा के अनुरूप लोहार समाज के लोग अनिष्ट से रक्षा के लिए घरों में कील ठोंकते हैं।

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