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कर्मचारियों-अधिकारियों का बड़ा मुद्दा, सातवां वेतनमान,केंद्र के समान महंगाई भत्ता….

रायपुर  –  एक ही राज्य में कर्मचारियों-अधिकारियों को मिल रहे तीन तरह के महंगाई भत्ते ने विवाद को गहरा दिया है। आलम यह है कि कर्मी आंदोलनरत हैं, तो सदन में सियासत गर्म है। प्रदेश के कर्मचारी-अधिकारी केंद्र के समान 34 प्रतिशत महंगाई भत्ता, गृहभाड़ा भत्ता व सातवां वेतनमान के लिए अड़े हुए हैं। ऐसे में कलमबंद हड़ताल से हर वर्ग को नुकसान उठाने की मजबूरी बन गई है। राज्य सरकार ने 25 से 29 जुलाई के बीच हुए आंदोलन के बाद हड़तालियों का वेतन काटने का निर्देश दिया तो यह मामला आग में घी डालने जैसा हो गया है। एक बार फिर कर्मी अनिश्चितकालीन हड़ताल के मूड में हैं। ऐसे में जानकारों का कहना है कि सरकार को महंगाई भत्ता की असमानता को दूर करने के लिए समाधान खोजने की जरूरत है।

यह बात जग जाहिर है कि पांच लाख कर्मियों के हड़ताल पर जाने से प्रदेश में स्कूल-कालेज की शिक्षा, रोजमर्रा के कामकाज से लेकर सरकार को मिल रहे राजस्व में भी घाटा उठाना पड़ा है। प्रदेश सरकार में 12 हजार से अधिक सरकारी फाइलों की गति रुक जाने से 1200 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा है। लोगों के रोजमर्रा का कामकाज बुरी तरह से चरमरा गया है। प्रदेश में कार्यरत केंद्रीय कर्मचारियों जैसे रेलवे, बीमा, पोस्ट आफिस, आयकर विभाग, सेंट्रल एक्साइज आदि को एक जनवरी 2022 की स्थिति में 34 प्रतिश्ात महंगाई भत्ता दिया जा रहा है। राज्य में अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों में आइएएस, आइपीएस, आइएफएस को एक जुलाई 2021 से 31 प्रतिश्ात महंगाई भत्ता के साथ-साथ एरियर्स भी मिला है। राज्य के विद्युत मंडल के कर्मचारियों को 34 प्रतिश्ात महंगाई भत्ता दिया जा रहा है। इसी तरह नवा रायपुर स्थित ट्रिपल आइटी संस्थान के कर्मचारियों को भी 34 प्रतिश्ात महंगाई भत्ता मिल रहा है। यहां के कर्मी राज्य सरकार के खजाने से ही वेतन प्राप्त करते हैं। वहीं राज्य सरकार के कर्मचारियों का श्रम दिवस के मौके पर एक मई 2022 को पांच प्रतिश्ात महंगाई भत्ता बढ़ाया गया, तब कहीं जाकर 17 प्रतिश्ात से बढ़कर यह 22 प्रतिश्ात हुआ। यह महंगाई भत्ता एक जनवरी 2020 से मिलना था। कायदे से एक जनवरी 2020 से एरियर्स मिलना था लेकिन कर्मियों को इसका लाभ नहीं मिल पाया है।

चपरासी से लेकर अफसर तक सबको नुकसान
प्रदेश्ा तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के संरक्षक विजय झा ने बताया कि अकेले महंगाई भत्ता में एक चपरासी को हर माह एक से डेढ़ हजार रुपये नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके अलावा एक क्लर्क को दो से ढाई हजार रुपये, नायब तहसीलदार को तीन हजार रुपये और डिप्टी कलेक्टर रैंक के अधिकारियों को चार से पांच हजार रुपये प्रति माह नुकसान हो रहा है। इसी तरह गृहभाड़ा भत्ता में सभी कर्मियों को छठवें वेतनमान की दर पर केवल 10 प्रतिश्ात मिल रहा है, जबकि सातवें वेतनमान में इसी प्रदेश्ा में केंद्रीय कर्मचारी 20 प्रतिश्ात गृहभाड़ा भत्ता प्राप्त कर रहे हैं। महंगाई भत्ता व गृहभाड़ा भत्ता दोनों मिलाकर एक जनवरी 2020 से आज तक प्रत्येक कर्मचारी का एक से डेढ़ लाख रुपये का नुकसान हो रहा है।

सड़क से लेकर सदन तक हंगामा
विधानसभा के मानसून सत्र में भूपेश बघेल सरकार पर भाजपा ने वादाखिलाफी के आरोप लगाए। सरकारी कर्मचारियों के सामने आने वाले मुद्दों को हल करने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए भाजपा से राजनीतिक लाभ लेने की पूरी कोश्ािश्ा की। आरोप लगाया कि 2018 के विधानसभा चुनावों से पहले कर्मियों से किए गए वादों को पूरा नहीं किया गया। विपक्ष के नेता धरमलाल कौशिक, शिवरतन शर्मा और अजय चंद्राकर सहित भाजपा विधायकों ने सरकार को खूब घेरा।

दूसरे राज्यों ने की है भत्ता बढ़ाने की पहल
उत्तराखंड सरकार ने महंगाई भत्ता बढ़ा दिया है। यहां के सरकारी कर्मचारियों को अब तीन प्रतिश्ात महंगाई भत्ता मिलेगा। सातवें वेतनमान के तहत यह 34 प्रतिश्ात होगा। इसी तरह मध्यप्रदेश्ा सरकार अपने कर्मियों को 31 प्रतिश्ात महंगाई भत्ता दे रही है। ओडिश्ाा में 31 और झारखंड में 34 प्रतिश्ात महंगाई भत्ता दिया जा रहा है। देश्ा में पहला राज्य छत्तीसगढ़ है जहां चार प्रकार का महंगाई भत्ता दिया जा रहा है।

केंद्र सरकार एक कदम चल रही आगे
अभी नई जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार अब 38 प्रतिश्ात महंगाई भत्ता देने की तैयारी कर रही है। मीडिया सूत्रों के अनुसार मार्च 2022 में केंद्र सरकार ने महंगाई दर में बढ़ोतरी करके इसे 31 से 34 प्रतिश्ात कर दिया था। अब यदि चार प्रतिश्ात दर को बढ़ाया जाता है तो 34 प्रतिश्ात से बढ़कर यह 38 प्रतिश्ात तक पहुंच सकता है। इसका लाभ देश के 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 35 लाख पेंशनभोगियों को मिलेगा।

कर्मियों का आरोप, हक छीनकर वेतन काट रही सरकार: फेडरेशन
इधर, छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी फेडरेशन के प्रांतीय संयोजक कमल वर्मा ने बताया कि प्रदेश सरकार को सोचना चाहिए कि हमारे मौलिक अधिकार को छीना जा रहा है। न्यायालयों में निर्णय हो चुका है कि केंद्र सरकार जब महंगाई बढ़ाएगी तो राज्य सरकार भी महंगाई भत्ता बढ़ाएगी। राज्य सरकार हमसे बातचीत नहीं कर रही है और ऊपर से वेतन काटा जा रहा है। कर्मचारियों का तीन हजार से 16 हजार रुपये का हर माह नुकसान हो रहा है। पिछले वर्षों में भी सरकार ने हमारे लिए किसी एरियर्स का उल्लेख आडिट रिपोर्ट में नहीं किया है। आंदोलन तो आगे भी चलता ही रहेगा।
यह पहले से ही नियम है, वेतन कटता रहा है- राज्य सरकार

छत्‍तीसगढ़ के सामान्य प्रश्ाासन विभाग के सचिव डीडी सिंह ने कहा कि यह पहली बार नहीं हुआ है कि जब कर्मी हड़ताल पर गए हों और उनका वेतन काटा गया है। यह आदेश्ा अभी का नहीं है। यह तो पहले से ही चल रहा है। उन्होंने कहा कि जब राज्य सरकार की ओर से महंगाई भत्ता का निर्देश्ा आता है तो उसका पालन किया जाता है। गौरतलब है कि सामान्य प्रश्ाासन विभाग की ओर से जारी निर्देश्ा में सभी कलेक्टरों व विभागाध्यक्षों को हड़ताल, धरना और सामूहिक अवकाश्ा पर चल रहे कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही करने के भी निर्देश्ा दिए गए हैं।
नीतियां सुधारकर सरकार दे सकती है महंगाई भत्ता

कोरोनाकाल में महंगाई अधिक बढ़ गई है। पहली वजह, इस दौरान अर्थव्यवस्था में विकास नहीं हुआ है। दूसरा, अब यूक्रेन और रूस का युद्ध हो रहा है इसलिए वस्तुओं का व्यापार नहीं हो पा रहा है। इससे भी अर्थव्यवस्था को उबारने में दिक्कत है। तीसरी बात यह है कि सरकार कई योजनाओं में लोगों को निश्श्ाुल्क लाभ पहुंचा रही है। इससे सरकार का खजाना घाटे में जा रहा है। यही वजह है कि सरकार कर्मियों को महंगाई भत्ता नहीं दे पा रही है। बाजार में जब कर्मचारी जाते हैं तो उनसे भेदभाव नहीं होता है। सभी को समान दाम में सामग्री मिलती है। सरकार को महंगाई भत्ता बढ़ाने के लिए अपनी नीति में सुधार करने की जरूरत है।

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