ऑनलाइन के अतिरिक्त अब राज्य सरकार ऑफलाइन भी बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए करेगी अन्य वैकल्पिक व्यवस्थाएं
रायपुर। पढ़ई तुंहर दुआर योजना में ऑनलाइन के अतिरिक्त बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए अन्य वैकल्पिक व्यवस्थाएं भी की जाएंगी, जिससे बच्चों को ऑनलाइन के बिना भी शिक्षा उपलब्ध हो सके। राज्य शासन ने अब यह विचार किया है कि पढ़ई तुंहर दुआर में ऐसे घटक भी जोड़े जाए जिनके लिए ऑनलाइन की आवश्यकता न हो। इसमें गांवों तथा मोहल्लों में समुदाय की सहायता से बच्चों के सीखने-पढ़ने की व्यवस्था, लाउडस्पीकर स्कूल और बुलटू के बोल जैसे घटकों को जोड़ा जाएगा। स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला ने कोरोना संक्रमण के समय बच्चों की पढ़ाई-लिखाई जारी रखने के संबंध में इन योजनाओं को शत-प्रतिशत स्कूलों में लागू करने के संबंध में सभी जिला कलेक्टरों, जिला शिक्षा अधिकारी, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी और संकुल समन्वयकों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
दरअसल प्रदेश में कनेक्टविटी की समस्या की वजह कई जगहों पर आनलाइन क्लास नहीं हो पा रहा था, ऐसे में शिक्षा विभाग आफलाइन क्लास पर जोर दे रहा है। विभाग की तरफ से जो तीन प्रयोग किये गये हैं.. वो पहले प्रयोग के तौर पर कई जगहों पर कामयाब हो चुके हैं, लिहाजा उसे पूरे प्रदेश में लागू करने की तैयारी चल रही है।
कोरोनाकाल में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित न हो। वह लगातार और बेहतर रूप में जारी रहे, इसको लेकर अब छत्तीसगढ़ में कम्युनिटी यानी कि सामुदायिक शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी। गांवों की पंचायतों में लाउडस्पीकर लगाकर शिक्षक क्लास लेंगे। वहीं आदिवासी क्षेत्रों में ब्लूटूथ के माध्यम से ऑडियो पाठ शेयर किया जाएगा। यह सारी कवायद इंटरनेट और मोबाइल की समस्या को देखते हुए की जा रही है।
ये तीन माध्यम होंगे आफलाइन का माध्यम
गांव और मोहल्लों में समुदाय सहायता : इसमें शिक्षक समुदाय के विशेष व्यक्तियों से गांवों और मोहल्लों में बच्चों को पढ़ाने के लिए व्यवस्था का अनुरोध करेंगे। शिक्षक यहां बच्चों को पढ़ाने के लिए एक कैलेंडर तैयार करेंगे और फिर उसी के अनुसार, समुदाय की सहायता से पढ़ाएंगे। इस संबंध में एससीईआरटी की ओर से समय-समय पर दिशा-निर्देश दिए जाएंगे। जो शिक्षा इसमें हिस्सा लेना चाहें, वह गूगल के इस लिंक http://forms.gle/IGXMHTGZwcmaSzpRA पर जाकर फार्म भर सकते हैं।
लाउडस्पीकर स्कूल : पंचायतों की सहायता से लाउडस्पीकर के जरिए गांव में बच्चों को पढ़ाएंगे। ऐसा प्रयोग गांवों में प्रदेश के कई शिक्षकों ने शुरू भी किया है। अब इस सभी पंचायतों में लागू किया जा रहा है। इसके लिए भी शिक्षक स्वेछा से गूगल के लिंक http:forms.gle/acMV5yMEXwXmV4BZ6 पर जाकर फार्म भर सकते हैं।
बुलटू के बोल : वेबिनार के दौरान शिक्षकों ने ऑडियो पाट की भी ब्लूटूथ के जरिए जानकारी दी। इसके लिए इंटरनेट की जरूरत नहीं है। यह फीचर फोन पर भी काम करता है। ऐसे में इस योजना को आदिवासी क्षेत्रों में किए जाने का विचार है। इसको लेकर भी जो शिक्षक स्वेच्छा से काम करना चाहते हों वे गूगल के लिंक http://forms.gle/qKGrFKUprDWtBzyCA पर जाकर जानकारी दे सकते हैं।