पांच लाख कर्मचारी आंदोलनरत रहे, लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगी, आम आदमी पार्टी
रायपुर – आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कोमल हुपेंडी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ कर्मचारी-अधिकारी-फेडरेशन दो सूत्री मांग को लेकर 25 जुलाई से हड़ताल पर रहा। आंदोलन में शामिल कर्मचारियों का वेतन काटने के आदेश को तानाशाही फरमान बताते हुए उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में सभी सरकारी संस्थान में कामकाज पूरी तरह ठप रहा, लेकिन सरकार को कर्मचारियों की सुध लेने की कोई चिंता नहीं रही। पांच लाख कर्मचारी आंदोलनरत रहे, लेकिन सरकार के कानों में जूं तक नहीं रेंगी। जनसाधारण के कामकाज भी पूरी तरह प्रभावित हैं। लोग दफ्तरों में काम कराने के लिए भटकने को मजबूर हैं।
आम आदमी पार्टी के विजय कुमार झा ने कहा कि एक देश, एक कानून, एक संविधान, एक बाजार, एक महंगाई भत्ते की दर की बात की जाती है। एक राज्य में महंगाई भत्ता व गृह भाड़ा भी एक समान होना चाहिए। महंगाई भत्ता व गृह भाड़ा सातवें वेतनमान के अनुरूप मिलना चाहिए, जबकि राज्य के विधायकों, विधानसभा अध्यक्ष मुख्यमंत्री, नेता प्रतिपक्ष, उपाध्यक्ष और मंत्रियों का वेतन सरकार ने बढ़ा दिया है। इस वृद्धि के साथ ही विधायकों को सबसे ज्यादा वेतन देने वाले राज्यों की सूची में छत्तीसगढ़ शीर्ष वेतन पांच राज्यों में पहुंच गया है। प्रदेश सहसंयोजक सूरज उपाध्याय ने भी सरकार पर जमकर हमला किया।