आपसी रंजिश में दी गई गवाही पर निर्दोष को नहीं दी जा सकती सजा: छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट
बिलासपुर – छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि आपसी रंजिश के चलते दी गई गवाही के आधार पर किसी निर्दोष को सजा नहीं दी जा सकती है। हाई कोर्ट ने कहा है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 30 के तहत सह अभियुक्त की गवाही को साक्ष्य के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। लेकिन दुर्भावना या रंजिशवश दी गई गवाही के आधार पर सजा नहीं दी जा सकती है। मामला जांजगीर-चांपा जिले के सक्ती में जमीन विवाद को लेकर हुई हत्या से संबंधित है।
पुलिस ने दोनों पक्ष के पांच आरोपितों को गिरफ्तार किया था। पीड़ित पक्ष के तीन लोगों को भी निचली अदालत से आजीवन कारावास की सजा मिल गई। उनके खिलाफ दूसरे पक्ष के आरोपितों ने गवाही दी थी। इसके खिलाफ पीड़ितों ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि वे घटना मेंपीड़ित पक्ष हैं। गवाही दुर्भावनावश उन्हें हत्याकांड का आरोपित साबित कर रहे हैं। उनके वकील ने कोर्ट में कहा कि पुलिस याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं जुटा सकी है। सभी साक्ष्य सह अभियुक्तों के खिलाफ है। हत्याकांड में सह अभियुक्ताओं ने दुर्भावनावश याचिकाकर्ताओं को फंसा दिया है। मामले की सुनवाई हाई कोर्ट मेंसंजय के. अग्रवाल व जस्टिस संजय एस. अग्रवाल की डिवीजन बेंच में हुई।आदेश में क्या है
डिवीजन बेंच ने कहा कि विचारण न्यायालय ने अपीलकर्ता सुरेंद्र कुमार, सहानीराम और दधीबल को केवल इकबालिया बयानों के आधार पर दोषी ठहराया है। सह आरोपित जमुना बाई और श्याम के इकबालिया बयानों को छोड़कर अपीलकर्ताओं को दोषी ठहराने के लिए कोई साक्ष्य पेश नहीं किया गया है। डिवीजन बेंच ने स्पष्ट रूप से कहा है कि सह अभियुक्त के इकबालिया बयान का इस्तेमाल केवल सबूत के रूप में किया जाना है। कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं की अपील को स्वीकार करते हुए दोषमुक्त कर दिया है।
निचली अदालत पर की टिप्पणी
डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में कहा है कि ट्रायल कोर्ट द्वारा सह आरोपित जमुना बाई और श्याम सुंदर के इकबालिया बयानों पर भरोसा करते हुए साक्ष्य अधिनियम की धारा 30 की सहायता से इन अपीलकर्ताओं को दोषी ठहराना बिल्कुल अनुचित है। डिवीजन बेंच ने जमुना बाई और श्याम सुंदर द्वारा पेश की गई आपराधिक अपील को खारिज कर दिया है। मालूम हो कि दोनों याचिकाओं को डिवीजन बेंच ने एकसाथ सुनवाई के लिए रखा था।