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कांग्रेस ने क्रॉस वोटिंग के खतरे से जूझ रहे हरियाणा और राजस्थान का पर्यवेक्षक बनाया… बघेल-सिंहदेव को संकटमोचक की जिम्मेदारी:

–  छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को कांग्रेस संगठन से बड़ी जिम्मेदारी दी है। पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने दोनों नेताओं को राज्यसभा चुनाव में हरियाणा और राजस्थान का पर्यवेक्षक बनाया है। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस क्रास वोटिंग के खतरों से जूझ रही है।

कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने रविवार को नियुक्ति आदेश जारी किया। इसके मुताबिक भूपेश बघेल और राजीव शुक्ला को हरियाणा के विधायकों को संभालने का जिम्मा मिला है। हरियाणा कांग्रेस के विधायक 2 जून की शाम से ही रायपुर में रह रहे हैं। उनकी पूरी व्यवस्था और संवाद का काम भूपेश बघेल पहले ही संभाल चुके हैं। वहीं उदयपुर के एक रिसार्ट में बाड़ेबंदी में रह रहे कांग्रेस विधायकों और समर्थन दे रहे कुछ निर्दलीयों-बसपा के बागी विधायकों को साधने के लिए टीएस सिंहदेव और पवन बंसल को जिम्मेदारी मिली है। भाजपा की रणनीति को भेदकर अगर कांग्रेस इन दोनों प्रदेशों में कांग्रेस प्रत्याशियों को जिता लाती है तो यह भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के लिए भी बड़ी जीत होगी। इससे केंद्रीय नेतृत्व में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अन्य नेताओं का कद भी बढ़ेगा।

यहां फंसा है हरियाणा चुनाव का पेंच

कांग्रेस ने हरियाणा से अजय माकन को टिकट दिया है। वहीं भाजपा ने कृष्णलाल पंवार को उम्मीदवार बनाया है। पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर ताल ठोका है। कार्तिकेय को जननायक जनता पार्टी और निर्दलियों को समर्थन हासिल है। हरियाणा विधानसभा में 90 सीट है। ऐसे में राज्यसभा में जीत के लिए 31 वोटों की जरूरत होगी ही। कांग्रेस के पास वहां 31 विधायक हैं। लेकिन कार्तिकेय शर्मा की दावेदारी ने पेंच फंसा दिया है।

राजस्थान में सुभाष चंद्रा ने उलझा रखा है

राजस्थान में राज्यसभा की चार सीटों के लिए चुनाव हो रहा है। सत्ताधारी कांग्रेस ने वहां से मुकुल वासनिक, प्रमोद तिवारी और रणदीप सिंह सुरजेवाला को मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा ने घनश्याम तिवाड़ी को टिकट दिया है। भाजपा के समर्थन से मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा ने भी वहां ताल ठोक दी है। 200 सीटों वाली राजस्थान विधानसभा में किसी प्रत्याशी को जीत के लिए कम से कम 41 वोट चाहिए। 108 विधायकों वाली कांग्रेस दो सीटों पर आराम से जीत रही है। वहीं 71 विधायकों वाली भाजपा एक सीट आराम से जीतेगी। चौथी सीट के लिए कांग्रेस के पास 26 और भाजपा के पास 30 वोट बच रहे हैं। कांग्रेस को बसपा के बागी विधायकों और निर्दलीयों से वोट की उम्मीद है। वहीं भाजपा कांग्रेस नेताओं पर भी डोरे डाल रही है

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