बुरी तरह पिछड़ा छत्तीसगढ़, नेशनल अचीवमेंट सर्वे ……….
रायपुर – नेशनल अचीवमेंट सर्वे (राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण) 2021 की रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ की हालत कुछ ठीक नहीं आई है। यह सर्वे स्कूली स्टूडेंट्स के विषयों पर किया जाता है। इस सर्वे में बच्चों की अलग-अलग विषयों में उनकी परफॉर्मेंस देखी जाती है। सर्वे से पता चला कि भाषा और गणित जैसे विषयों में छत्तीसगढ़ के स्टूडेंट पिछड़ गए हैं। देश के अन्य राज्यों के मुकाबले छत्तीसगढ़ अलग-अलग विषयों में कहीं 32वें तो कहीं 34वें नंबर पर है। पिछले साल नवंबर के महीने में यह सर्वे 1,15,995 बच्चों पर किया गया था।
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है। रिपोर्ट के बाहर आते ही इस मामले पर सियासत शुरू हो गई है। छत्तीसगढ़ के पूर्व शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा है कि मौजूदा शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम को अब बर्खास्त कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की गलत नीतियों की वजह से ही प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था का बेड़ा गर्क हो रहा है।
बृजमोहन ने दावा किया कि शिक्षा मंत्री प्रेमसाय सिंह टेकाम पर कांग्रेस के विधायक ही लेनदेन का आरोप लगा चुके हैं। ऐसे में बेहतर शिक्षा व्यवस्था की क्या उम्मीद की जाए। दूसरी तरफ रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव आलोक शुक्ला ने कहा है कि वह इस पर किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं करेंगे।
सर्वे में छत्तीसगढ़ की बुरी स्थिति
भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने नवंबर 2021 में सर्वेक्षण कराया था। नेशनल अचीवमेंट सर्वे 2021 की रिपोर्ट जारी होते ही शिक्षा गुणवत्ता की कलई खुल गई। रिपोर्ट के मुताबिक छत्तीसगढ़ के बच्चों ने सभी प्रमुख विषयों जैसे भाषा, गणित, अंग्रेजी, पर्यावरण और विज्ञान जैसे विषयों में राष्ट्रीय औसत अंक से काफी कम अंक हासिल किए हैं। छत्तीसगढ़ के कक्षा तीसरी के बच्चों को भाषा में 500 में से औसतन 301 अंक मिले हैं। जबकि देश का औसत अंक 323 है। इस सर्वे रिपोर्ट में छत्तीसगढ़ 34वें नम्बर पर है। छत्तीसगढ़ गणित में 32वें, पर्यावरण विषय मे 34वें नम्बर पर है।
क्या है नेशनल अचीवमेंट सर्वे
राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वे केंद्र सरकार की ओर से कराया जाता है। इसके जरिए स्कूली शिक्षा में उपलब्धियों को परखा जाता है।इसके लिए पूरे देश से सैंपल लिए जाते हैं। जिसके आधार पर कक्षा तीसरी, पांचवी, आठवीं और दसवीं के छात्र-छात्राओं की शैक्षिक उपलब्धियों को परखा जाता है। स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता का आकलन करके सर्वे के आधार पर स्कूली शिक्षा के लिए नई नीतियां बनाकर सुधारात्मक प्रक्रिया की जाती है।