छत्तीसगढ़

11वीं के छात्रों ने कोडिंग से तैयार किया केमिकल का नया फॉर्मूला, अब दवाइयां बनाना होगा और भी आसान…

रायपुर। 11वीं के दो छात्रों ने मशीन लर्निंग से एक मॉडल तैयार किया है। इससे केमिकल की बजाय कोडिंग के जरिए कप्यूटर पर ही टेस्टिंग और एक्सपेरिमेंट किया जा सकेगा। अनिरुद्ध दत्ता और इशान चौधरी ने बताया, इसके द्वारा अब खाद, कपड़े और एंटी-बैक्टीरियल दवाइयां बनाने की प्रक्रिया और भी आसान और किफायती हो सकती है।

अभी तक इन चीजों को बनाने में एक खास केमिकल का इस्तेमाल होता था, जो डील्स एल्डर प्रोसेस से तैयार किया जाता था। यह केमिकल आमतौर पर एल्यूमिनियम आधारित होता है। लेकिन अब यही केमिकल 2.6 गुना ज्यादा मात्रा में और बेहतर गुणवत्ता के साथ तैयार किया जा सकता है। इसका मतलब है कि खाद, कपड़े और दवाइयां पहले से ज्यादा अच्छी होंगी और उनकी कीमतों पर भी असर पड़ सकता है, क्योंकि इन्हें बनाना अब और आसान हो गया है।

वही राजधानी रायपुर के चौबे कॉलोनी स्थित महाराष्ट्र मंडल में रविवार को होली मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कई रोचक खेल आयोजित किए गए। मंडल के सदस्यों ने जमकर फूलों की होली खेली और होली के गीतों में खूब थिरके। मुय अतिथि पल्लवी गौर रहीं। कार्यक्रम की शुरुआत ‘नवरंग’ फिल्म से गीत ‘अरे जा हट नटखट…’ गीत की प्रस्तुति के साथ हुई। इस गीत पर जहां रचना ठेंगड़ी और रीना बाबर की जोड़ी ने धमाल मचाया।

वहीं देविका देशपांडे ने भी इसी गीत पर एकल प्रस्तुति देकर सभी को मंत्रमुग्घ कर दिया। गीता दलाल ने बताया कि गेम में महिला और पुरुष के लिए अलग- अलग खेल था। म्यूजिक बजने के साथ सभी प्रतिभागी यानी महिला और पुरुष अलग- अलग राउंड में घूम रहे थे। इस खेल में महिला टीम में प्रथम भारती पसलोदकर रहीं। पुरुष टीम में प्रथम रितेश बाबर रहे। हाउजी में अजय पुराणिक और सृष्टि दंडवते विजेती रहीं। अजय मधुकर काले और अंजलि काले ने ‘गोरे रंग पे न इतना गुमान कर….’ गीत के साथ रैंपवॉक किया।

ऐसे आया आइडिया

छात्रों ने बताया, हमने अमरीका में प्रकाशित एक रिसर्च आर्टिकल पढ़ा था। उसी से पता चला कि लैब की अपेक्षा मशीन लर्निंग मॉडल से टेस्टिंग आसान होती है। इसकी क्षमता भी लैब के मुकाबले कहीं अधिक होती है। हमने इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तर के विज्ञान मेले में भी एग्जीबिट किया था।

रीसाइक्लिंग भी आसान

छात्रों ने बताया, अभी जो एल्यूमिनियम आधारित केमिकल इस्तेमाल होता है, उसमें हानिकारक तत्व क्लोरीन शामिल होता है, जिसे रीसाइक्लिंग करना बहुत मुश्किल होता है। लेकिन नई तकनीक से यह समस्या काफी हद तक हल हो सकती है, जिससे पर्यावरण को नुकसान होने से बचाया जा सकता हैं।

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