उत्तरकाशी; टनल में फ़सें 41 मजदूर एक हफ़्ता से क्यों नहीं निकाले जा सके?
उत्तरकाशी: उत्तराखंड (Uttarakhand Tunnel Collapse) के उत्तरकाशी (Uttarkashi Tunnel Collapse) में सिल्क्यारा सुरंग के अंदर फंसे 41 लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने की अविराम कोशिश युद्ध स्तर पर जारी है. वहीं श्रमिकों के मनोबल को ऊंचा रखने के लिए तरह-तरह के प्रयास किए जा रहे हैं. करीब एक सप्ताह से टनल के अंदर फंसे 41 मजदूर अभी सुरक्षित हैं और ये सभी श्रमिक सुरंग के अंदर ही रेगुलर वॉक, योग और रिश्तेदारों से बातचीत कर जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं और अपने मनोबल को हाई किए हुए हैं. कुल मिलाकर उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से सुरक्षित रखने के लिए टनल के अंदर फंसे ये 41 मजदूर अलग-अलग तरीके खोजे हैं.
न्यूज़ 18 की खबर के मुताबिक, सुरंग में फंसे हुए श्रमिकों के मानसिक स्वास्थ्य की देखरेख करने वाले सरकार द्वारा नियुक्त मनोचिकित्सक डॉ. अभिषेक शर्मा का मानना है कि मुश्किल परिस्थिति से निकलने की उनकी स्पिरिट ही उनका सबसे बड़ा मनोबल है. उन्होंने कहा, ‘हमने श्रमिकों से निरंतर संपर्क बनाए रखा है, उनके मनोबल को हाई रखने के लिए योग, पैदल चलने जैसी गतिविधियों का सुझाव दिया है और उनके बीच बातचीत को प्रोत्साहित किया है. अंदर फंसे लोगों में एक गब्बर सिंह नेगी भी हैं, जो पहले भी इस तरह की परिस्थिति से गुजर चुके हैं. उनमें से सबसे बुजुर्ग होने के नाते वह सुनिश्चित कर रहे हैं कि सभी का आत्मविश्वास ऊंचा रहे.
दरअसल, अब तक उत्तरकाशी सुरंग में फंसे सभी वर्कर्सो को मुरमुरे, चना और सूखे मेवे मुहैया कराए जा रहे थे, मगर सोमवार को मलबे के माध्यम से 6 इंच की आपूर्ति पाइप उन तक पहुंचने के साथ ही प्रशासन केले, सेब के स्लाइस, दलिया और खिचड़ी के साथ उनकी खाद्य आपूर्ति में विविधता लाने की योजना बना रहा है. जल्द ही श्रमिकों को खुद को व्यस्त रखने के लिए मोबाइल फोन और चार्जर भी मिलने की उम्मीद है. प्रशासन पाइप के माध्यम से दृश्य कनेक्शन स्थापित करने के लिए एंडोस्कोपी में उपयोग किए जाने वाले कैमरे भी ला रहा है.
बता दें कि बचावकर्मियों को सोमवार को सिलक्यारा सुरंग के अवरूद्ध हिस्से में ‘ड्रिलिंग’ कर मलबे के आर-पार 53 मीटर लंबी छह इंच व्यास की पाइपलाइन डालने में कामयाबी मिल गई, जिसके जरिए पिछले आठ दिनों से सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को ज्यादा मात्रा में खाद्य सामग्री, संचार उपकरण तथा अन्य जरूरी वस्तुएं पहुंचाई जा सकेंगी तथा संभवत: उनके ‘सजीव दृश्य’ भी देखे जा सकेंगे. इससे पहले, यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग के एक हिस्से के ढहने से फंसे श्रमिकों तक आक्सीजन, हल्की खाद्य सामग्री, मेवे, दवाइयां और पानी पहुंचाने के लिए चार इंच की पाइप का इस्तेमाल किया जा रहा था.
दूसरी ‘लाइफ लाइन’ कही जा रही इस पाइपलाइन के जरिए अब श्रमिकों तक दलिया और खिचड़ी भी भेजी जा सकेगी. राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) के निदेशक अंशु मनीष खाल्को, उत्तरकाशी के जिलाधिकारी अभिषेक रूहेला और सुरंग के भीतर संचालित बचाव अभियान के प्रभारी कर्नल दीपक पाटिल ने संयुक्त रूप से मीडिया को यह जानकारी दी.
खाल्को ने कहा कि पिछले कई दिनों से चल रहे बचाव अभियान में यह ‘पहली कामयाबी’ है. उन्होंने कहा, ‘हमने मलबे के दूसरी ओर तक 53 मीटर की पाइप भेज दी है और (अंदर फंसे) श्रमिक अब हमें सुन सकते हैं और महसूस कर सकते हैं.’ कर्नल पाटिल ने कहा,‘ पहली उपलब्धि, बड़ी उपलब्धि. अगला कदम इससे ज्यादा महत्वपूर्ण और सर्वाधिक महत्वपूर्ण है-और वह है उन्हें सुरक्षित और प्रसन्न बाहर निकालना.’
फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने के अन्य रास्तों की संभावना खोजने के लिए अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) से ड्रोन और रोबोट भी मौके पर लाए गए हैं. मलबे को भेदे जाने के दौरान अमेरिकी आगर मशीन के शुक्रवार दोपहर किसी कठोर सतह से टकराने के बाद क्षैतिज ड्रिलिंग रोक दी गयी थी लेकिन यहां जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि इसे शाम को शुरू किया जाना प्रस्तावित है. पहाड़ी के उपर से ड्रिलिंग करके संभवत: करीब 80 मीटर गहरे ‘वर्टिकल’ बचाव शाफ्ट के निर्माण के लिए पहली मशीन भी सुरंग तक पहुंच गई है.
बयान में कहा गया है कि पहाड़ी के उपर सड़क बना दी गयी है और तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम इसके लिए और उपकरण की व्यवस्था कर रहा है. इसके अलावा, सुरंग के दूसरे छोर बड़कोट से भी ड्रिलिंग शुरू हो गयी है. सुरंग हादसे के नौवें दिन केंद्र सरकार के आग्रह पर बचाव अभियान में सहयोग करने अंतरराष्ट्रीय स्तर के सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स भी सिलक्यारा पहुंच गए और मौके पर मौजूद अधिकारियों के साथ रणनीति पर चर्चा की.
कर्नल पाटिल ने संवाददाताओं को बताया कि नई पाइपलाइन से दलिया, खिचड़ी, कटे हुए सेब और केले भेजे जा सकते हैं. उन्होंने बताया कि खाने के इन सामानों को चौड़े मुंह वाली प्लास्टिक की बोतलों में पैक किया जाएगा. उन्होंने कहा कि पाइप के जरिए मोबाइल फोन और चार्जर भी श्रमिकों तक भेजे जा सकेंगे. कर्नल पाटिल ने कहा कि इन सब बातों का श्रमिकों पर अच्छा मनोवैज्ञानिक प्रभाव होगा.
उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने कहा कि यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या पाइपलाइन में कोई तार डाला जा सकता है जिससे श्रमिकों के सजीव दृश्यों को देखने की संभावना बन सके. बचावकर्मी और सुरंग के अंदर फंसे हुए लोग एक दूसरे से अब भी बातचीत कर रहे हैं और श्रमिकों के रिश्तेदारों की भी उनसे बात कराई जा रही है. छह इंच व्यास का पाइप एक बड़ी कामयाबी है.