अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघ की मौत, प्रबंधन पर उठे सवाल
रायपुर। छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व (एटीआर) में एक युवा बाघ की मौत ने वन्यजीव संरक्षण पर सवाल खड़े किए हैं। लमनी रेंज के पास करीब बाघ का शव मिला। यह बाघ करीब दो साल का था। प्रबंधन को इस मौत की खबर देर से मिलना वन विभाग के लचर नेटवर्क को उजागर करता है।
अचानकमार टाइगर रिजर्व, फील्ड डायरेक्ट, सीसीएफ (वाइल्ड लाइफ) मनोज कुमार पांडे ने बताया कि एटीआर अंतर्गत लमनी कोर परिक्षेत्र के छिरहट्टा के जंगल में एकेटी- 13 मादा टाइगर की मृत्यु की सूचना प्राप्त हुई थी। संभवत: टी-200 के साथ मेटिंग या टेरिटरी की लड़ाई का परिणाम है। इसकी जानकारी एटीआर की एसटीपीएफ के सदस्य द्वारा प्राप्त हुई है। 24 जनवरी 2025 को एनटीसीए प्रोटोकॉल अनुसार मृत टाइगर का शव विच्छेदन एवं घटना के कारणों को पता किया गया।
छत्तीसगढ़ में बाघों की गिरती संख्या
2014 में नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) के आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में 46 बाघ थे, जो 2018 में घटकर मात्र 19 रह गए।
नकारा प्रबंधन के कारण बढ़ रही समस्याएं
जहां मध्यप्रदेश को ‘टाइगर स्टेट’ का दर्जा प्राप्त है। वहीं, छत्तीसगढ़ में बाघों की संख्या में लगातार गिरावट हो रही है। स्थानीय अमले की अनदेखी और शिकारियों की बढ़ती गतिविधियों के कारण घटनाएं बढ़ रही हैं। वन विभाग का रवैया भी इस मुद्दे को और गंभीर बना रहा है। जिन इलाकों से गांवों को विस्थापित किया गया था, वहां भी बाघों के लिए अनुकूल वातावरण नहीं बनाया जा सका है।