राज्य में बिजली की खपत बढ़ी..24 घंटे चल रहे कूलर पंखे…
रायपुर| प्रदेश में भारी बिजली संकट की स्थिति पैदा हो गई है। छत्तीसगढ़ राज्य पावर कंपनी के पास 2960 मेगावाट उत्पादन की क्षमता वाले संयंत्र हैं, लेकिन इस समय इनमें से महज 17 सौ मेगावाट बिजली का उत्पादन हो रहा है। जहां तक खपत का सवाल है, तो रिकार्डतोड़ 48 सौ मेगावाट खपत हो रही है। इसके पीछे कारण यह है कि मानसून की बेरूखी के कारण कृषि पंप दिन रात चल रहे हैं। इसमें सबसे ज्यादा बिजली लग रही है।
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इसी के साथ एसी और कूलर भी चल रहे हैं। बिजली की पूर्ति करने पॉवर कंपनी को उद्योगों की बिजली कट करनी पड़ रही है। मानसून में आमतौर पर बिजली की खपत हमेशा कम रहती है, लेकिन ऐसा पहली बार हो रही है कि मानसून में ही बिजली की खपत गर्मी से भी ज्यादा हो रही है। इसके पीछे का कारण यह है कि इस समय बारिश न होने के कारण खेतों को सबसे ज्यादा पानी की जरूरत है। पानी के लिए किसान कृष पंपों पर ही निर्भर है। प्रदेश में साढ़े पांच लाख से ज्यादा कृषि पंप हैं। इनको 24 घंटे बिजली देने के कारण ही बिजली की कमी हो रही है। कृषि पंपों पर रोज पांच से छह सौ मेगावाट बिजली लग रही है।
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पॉवर कंपनी के अधिकारियों का कहना है, कोरबा वेस्ट बैंक में 210 मेगावाट की दो यूनिट में उत्पादन बंद है। एक यूनिट में उत्पादन कम हो रहा है। जल्द ही इनको ठीक करने का प्रयास किया जा रहा है। दो, तीन दिनों में संकट दूर होने की बात की जा रही है।पॉवर कंपनी को अपने उत्पादन संयंत्रों से इस समय महज 17 सौ मेगावाट बिजली मिल रही है। खपत की पूर्ति करने के लिए रोज सेंट्रल सेक्टर से 28 सौ से तीन हजार मेगवाट बिजली लेनी पड़ रही है। यहां से पॉवर कंपनी का शेयर दो हजार मेगावाट है, लेकिन हजार मेगावाट बिजली ज्यादा लेनी पड़ी रही है।
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बारिश न होने के कारण उमस के कारण इस समय एसी और कूलर भी चल रहे हैं। वैसे तो बारिश न होने पर हर साल एसी और कूलर चलते हैं, लेकिन इस बार इनमें बिजली की खपत अधिक है। इसकी वजह पॉवर कंपनी के अधिकारी यह बताते हैं कि उपभोक्ताओं को प्रदेश सरकार चार सौ यूनिट बिजली पर बिल हाफ कर देती है। ऐसे में जो लोग पहले चार घंटे एसी चलाते थे, वे 8 से 12 घंटे चला रहे हैं। जो लोग कूलर 8 से 10 घंटे चलाते थे, वो 16 से 18 घंटे कूलर चला रहे हैं। ऐसे में खपत बढ़ गई है।