भारत के गेम चेंजर विमान राफेल का पानी की बौछारों से हुआ स्वागत, फोटो लेना था वर्जित
नई दिल्ली। भारत का सबसे बड़ा योद्धा मल्टी रोल फाइटर जेट राफेल लड़ाकू विमान अंबाला एयरबेस पर सुरक्षित पहुंच गए हैं। फ्रांस से 27 जुलाई की सुबह चले 5 सुपरसोनिक राफेल विमानों की अंबाला एयरबेस पर आज बुधवार दोपहर बाद 3.10 बजे हैप्पी लैंडिंग हुई। पांचों राफेल विमान को लाने वाली टीम की अगुवाई वायुसेना अधिकारी ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह ने की। बता दें कि, 17वीं गोल्डन एरो स्क्वॉड्रन के कमांडिंग ऑफिसर ग्रुप कैप्टन हरकीरत सिंह शौर्य चक्र विजेता हैं।
अंबाला एयरबेस पर लैंडिंग के बाद पांचों राफेल विमानों को वाटर सैल्यूट देकर स्वागत किया गया। इस मौके पर वायुसेना अध्यक्ष एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया सहित वायुसेना के प्रमुख अधिकारी मौजूद रहे। लैंडिंग से पहले इन विमानों ने अंबाला एयरबेस की परिक्रमा की। 5 राफेल विमानों को फ्रांस से लाने वाले पायलटों से एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने मुलाकात की। एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने पायलटों की सराहना की और राफेल फाइटर विमान को फ्रांस से भारत बिना किसी बाधा व रुकावट के लाने के लिए तारीफ की।
फ्रांस से लगभग 8500 किलोमीटर का सफर तय करने के बाद अंबाला एयर बेस पर लैंड करता राफेल विमान
5 राफेल विमानों ने फ्रांस से भारत तक लगभग 8500 किलोमीटर की दूरी दो चरणों में तय की। उड़ान के पहले चरण ने साढ़े सात घंटे में 5800 किलोमीटर की दूरी तय की गई की और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के अल दाफरा एयरबेस पर रुके। फ्रांसीसी वायु सेना (FAF) टैंकर ने उड़ान के दौरान हवा में विमानों को ईंधन दिया। यात्रा के दूसरे चरण में 2700 किलोमीटर से अधिक की उड़ान भरने वाले राफेल विमानों में भारतीय वायुसेना के टैंकर द्वारा एयर-टू-एयर रिफ्यूलिंग की गई।
अंबाला के एयरफोर्स एयरबेस पर एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया के साथ पश्चिम एयर कमांड के चीफ कमांडिंग ऑफिसर एयर मार्शल बी सुरेश, अंबाला एयर फोर्स स्टेशन के एयर कमांडिंग ऑफिसर और राफेल विमान को फ्रांस से लाने वाली टीम के पायलट
ये एयरक्राफ्ट वायुसेना के 17 वीं स्कॉड्रन गोल्डन एरो का हिस्सा होंगे जिसका पुनर्गठन 10 सितबंर 2019 को किया गया था। इस स्कॉड्रन का गठन मूल रूप से अंबाला एयरफोर्स स्टोशन पर 01 अक्टूबर 1951 को हुआ था। वायुसेना की 17 वीं स्कॉड्रन के हिस्से में कई उपलब्धियां हैं, 1955 में जेट फाइटर विमान डी हैविलैंड वैम्पायर से लैस था । अगस्त 1957 में सबसे पहले यह स्क्वाड्रन स्वेप्ट विंग फाइटर के साथ हॉकर हंटर में परिवर्तित हुआ था।