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छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं हेतु प्राथमिकता से कदम उठाए हैं : मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

इसी तरह डेढ़ दशकों से छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव दूर करने, उसे जरूरतमंद जनता तक पहुंचाने और गुणवत्ता सुनिश्चित करने को लेकर भी तदर्थवाद चल रहा था। हमने स्पष्ट प्राथमिकताएं तय कीं।

 

 

तत्काल भवन बनाकर सुविधाएं जुटाना मुश्किल ही नहीं बल्कि असंभव होता है, लेकिन इसका मतलब यह भी नहीं कि सरकार पीड़ित जनता को अपने हाल पर छोड़ दे। इसलिए हमने गांवों, कस्बों, बसाहटों, पारा-मोहल्लों तक सुसज्जित चलित अस्पताल व शिविरों की सुविधाएं पहुंचाने की व्यवस्था की। ‘मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना’, ‘मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना’, ‘दाई-दीदी क्लीनिक’ जैसे नवाचारों का लाभ लाखों लोगों को मिला है। ‘डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना’ तथा ‘मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना’ देश की सबसे बड़ी आर्थिक मददगार योजना सिद्ध हुई है।

 

पौने तीन साल पहले तक बस्तर में मलेरिया का प्रकोप बहुत अधिक था। हमने ‘मलेरियामुक्त बस्तर अभियान’ चलाया तो बीजापुर जिले में 71 प्रतिशत तथा दंतेवाड़ा जिले में 54 प्रतिशत मामले विगत एक वर्ष में कम हो गए। समूचे बस्तर में 45 प्रतिशत और समूचे सरगुजा संभाग में 60 प्रतिशत तक की कमी आई। इस तरह हमने अब ‘मलेरियामुक्त छत्तीसगढ़ अभियान’ का शंखनाद किया है। मेरा विश्वास है कि हमारे समर्पित स्वास्थ्यकर्मियों की बदौलत यह अभियान भी सफल होगा।

हमने डॉक्टरों तथा अन्य सुविधाओं की कमी दूर करने हेतु प्राथमिकता से कदम उठाए हैं, जिसके कारण ढाई वर्षों के अल्प समय में ही स्नातक चिकित्सकों, विशेषज्ञ चिकित्सकों तथा दंत चिकित्सकों की संख्या 1 हजार 378 से बढ़कर 3 हजार 358 पहुंच गई। इसी प्रकार विभिन्न स्तरों के मेडिकल स्टाफ की संख्या लगभग 18 हजार से बढ़कर 22 हजार हो गई।

अस्पतालों में आईसीयू बिस्तरों की संख्या 279 से बढ़कर 729, एचडीयू बिस्तरों की संख्या शून्य थी, जो अब बढ़कर 515 हो गई, ऑक्सीजनयुक्त बिस्तरों की संख्या 1 हजार 242 से बढ़कर 7 हजार एक सौ, सामान्य बिस्तरों की संख्या 15 हजार से बढ़कर लगभग 30 हजार, वेंटिलेटर्स की संख्या 204 से बढ़कर 723 हो गई। ऑक्सीजन सिलेण्डर और कन्सेंट्रेटर की संख्या तीन गुने से अधिक बढ़ गई है।

 

 

प्रदेश की जनता को रियायती दर पर दवा उपलब्ध कराने के लिए ‘मुख्यमंत्री सस्ती दवा योजना’ नगरीय क्षेत्रों में लागू है। अब यह ‘श्री धन्वन्तरी योजना’ के नाम से जानी जाएगी।

हमारी संवेदनशीलता के साथ तत्काल निर्णय लेने की प्रक्रिया के चलते छत्तीसगढ़, ‘कोरोना’ से अन्य राज्यों की तुलना में कम प्रभावित हुआ। हम लगातार काम कर रहे हैं ताकि संभावित तीसरी लहर में भी छत्तीसगढ़ के लोगों को अधिक क्षति न पहुंचे। मैं आप लोगों से यह अपील करना चाहता हूं कि ‘कोरोना’ को हल्के में न लें।

कोरोना प्रोटोकॉल का हर स्तर पर पालन करें। भीड़ में न जाएं, सही ढंग से मास्क पहनें, साबुन से हाथ धोते रहें और टीके के दोनों डोज समय पर लगवाएं। किसी भी प्रकार की असावधानी नुकसानदेह होती है। संक्रमण से बचने का सबसे सुरक्षित उपाय ‘सावधानी’ ही है। ‘कोरोना’ से लड़ने वाले फ्रंट लाइन वारियर्स को मैं सलाम करता हूं, वहीं कोरोना से प्रदेश के जिन लोगों की मृत्यु हुई है, उन्हें सादर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए, समस्त शोकाकुल परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं।

 

 

भाइयों और बहनों, हमने हर तरह की अधोसंरचना को व्यापक जनहित के नजरिए से देखा है कि अधूरे काम तेजी से पूरे हों और नए काम इस तरह से मंजूर किए जाएं जिससे अधिकाधिक लोगों को लाभ मिले। प्रदेश में 16 हजार करोड़ रूपए की लागत से सड़कों-पुल-पुलियों के निर्माण की कार्ययोजना बनाई गई है और स्पष्ट लक्ष्य रखा गया है कि सारे काम दो साल में पूरे कर लिए जाएं।

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